प्रयागराज ब्यूरो । अगर आपका बैंक में खाता है और उसमें नामिनी दर्ज नहीं है तो
होशियार हो जाइए। क्योंकि आपका अगला मैनुअल ट्रंाजेक्शन फेल हो सकता है। ऐसा इसलिए कि अब सिंगल खातों में नामिनी की जानकारी मांगी जा रही है। इसे नहीं देने पर खाते में लेन देन प्रभावित हो सकता है। इसको लेकर पब्लिक भी परेशान है। हालांकि बैंकों का कहना है कि इससे ग्राहक फायदा है। सरकार भी चाहती है कि बिना नामिनी कोई भी खाता नहीं चलाया जाएगा।
एग्जाम्पल वन-
लूकरगंज के रहने वाले प्रतीक श्रीवास्तव दो दिन पहले सिविल स्थित एक सरकारी बैंक की मेन ब्रांच में गए थे। उन्हे अपने खाते से चेक के जरिए 50 हजार निकलवाने थे लेकिन बैंक इम्प्लाई ने ऐसा करने से मना कर दिया। उसका कहना था कि आपके करेंट एकाउंट में नामिनी दर्ज नहीं
है। पहले फार्म भरिए उसके बाद ट्रंाजेक्शन की सुविधा मिलेगी।

एग्जाम्पल टू
चौक के रहने वाले प्रदीप केसरवानी नजदीक के एक प्राइवेट बैंक की ब्रांच में गए तो वहां पर भी यही सुनने को मिला। उनका कहना था कि भुगतान तभी हो पाएगा जब आप नामिनी का नाम दर्ज कराएंगे। यह सरकारी नियम है ओर इसका पालन करना जरूरी है। ऐसा नही करने पर बैंक के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

क्यों जरूरी है नामिनी
अभी तक बैंक खाते में पार्टनर होने या ज्वाइंट एकाउंट होने पर नामिनी जरूरत नहीं पड़ती थी लेकिन ऐसे सभी सेविंग या करेंट एकाउंट, जो सिंगल हैं। उनमें नामिनी आवश्यकता पड़ती है। ऐसा नही करने पर इन खातों से आने वाले समय में आफलाइन और आनलाइन दोनो तरह का ट्रंाजेक्शन खत्म हो सकता है। सरकार का कहना है कि बिना नामिनी किसी भी तरह का खाता आपरेट करना संभव नहीं होगा।

क्या है नामिनी
नामिनी वह होता है जो खाताधारक की मृत्यु के बाद उसके फिक्स्ड डिपाजिट या खाते की रकम का हकदार होता है। वह इसका क्लेम कर सकता है। इसके लिए अलग से सरकार ने एक फार्म जारी किया है। जिसमें नामिनी के लिए जगह दी गई है। इस फार्म में नामिनी का नाम, पता, उम्र आदि को भरकर जमा कराना होगा। इसके बाद आपका ट्रंाजेक्शन आसान हो जाएगा। नामिनी पति, पत्नी, बच्चे, भाई बहन, दोस्त या रिश्तेदार कोई भी बन सकता है। इतना ही नही नाबालिग को भी नामिनी बनाया जा सकता है। बशर्ते उसका एक अभिभावक हो जो खाताधरक के मरने के बाद उसकी रकम ले सके। बैंक अधिकारी कहते हैं कि जब खाता खुलवाया जाता है तभी नामिनी का कॉलम होता है। लेकिन लोग इसे छोड़ देते हें। जबकि ऐसा नही होना चाहिए। उसी समय नामिनी भर देने से बैंक खाते में आपकी मृत्यु हो जाने से आसानी से पूरी रकम नामिनी के नाम कर दी जाती है।