हर क्षेत्र में दिखती है बेटियों की बादशाहत

ALLAHABAD: आज के समय में बेटियों को किसी से भी कमतर आंकना सबसे बड़ी भूल है। बेटियों ने हर मोर्चे पर खुद को बेटों से बेहतर साबित किया है। फिर वह चाहे करियर और एजूकेशन से जुड़ी फील्ड हो या फैमली को सपोर्ट करने की बात हो। बेटियां हैं, तभी हमारा कल है। ये विचार हैं सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा के। एक बेटी के पिता होने पर संजय सिन्हा खुद पर गर्व करते हैं। वे कहते हैं कि समय के साथ लोगों की सोच भी बदल रही है। अब लोग बेटे या बेटी में कोई फर्क नहीं करते हैं। आखिर किसी बात का फर्क है। मै खुद दो भाई और एक बहन हूं। अगर तीनों की तुलना की जाए, तो हमारी बहन हम दोनों भाईयों से ज्यादा अच्छी है। वह हर कदम पर सभी का साथ देती है।

बंट ना जाए प्यार

संजय सिन्हा बताते हैं कि शादी के बाद जब उनके घर में फूल सी बिटियां ने जन्म लिया तो उन्होंने पत्‍‌नी मिताली के साथ मिलकर निर्णय लिया कि अब बेटी ऐना ही उनके जीवन का आधार रहेगी। पत्‍‌नी मिताली ने भी निर्णय को पूरा समर्थन दिया। इसके पीछे एक और विचार के बारे में बताते हुए संजय सिन्हा कहते हैं कि बेटी का प्यार किसी से ना बंटे इस सोच ने निर्णय को अधिक बल दिया।

बेटियां रखती हैं अधिक ध्यान

बेटियों व बेटों में तुलना की जाए, तो पैरेंट्स का ध्यान रखने में बेटियों से बेहतर बेटे नहीं होते हैं। पहले के समय में जो धारणा थी कि उसके पीछे डर होता था। लोगों की सोच थी कि चाहे जैसा भी हो, बेटा कम से कम बुढ़ापे में ख्याल तो रखेगा ही। ऐसा इसलिए भी था कि उस सयम लड़कियां अधिक पढ़ी लिखी नहीं होती थी। लेकिन अब समय पूरी तरह से बदल गया है। बेटियां हर क्षेत्र में खुद को बेटों से बेहतर साबित कर रही हैं।

बेटी का सपना पूरा करना की मकसद

ऐना इस समय लखनऊ के इशाबेल कालेज से ग्रेजूएशन कर रही है। आगे की पढ़ाई के लिए उसे जो भी करना है। उसको पूरा सपोर्ट करना ही उनकी लाइफ का मकसद है। उनकी बेटी वो सभी चीजें अपनी लाइफ में इचीव कर सके, जो वह करना चाहती है, इसके लिए वे हमेशा प्रयासरत रहते हैं। पत्‍‌नी मिताली का भी इसमें पूरा सपोर्ट मिलता है। इस छोटे परिवार में ही हर खुशी मिलती है।