प्रयागराज ब्यूरो । प्रयागराज- महंगाई के इस जमाने में अगर घर में छोटी सी पार्टी करिए और महज दो सौ लोगों को खिलाइए तो आसानी से 80 हजार से एक लाख रुपए खर्च हो जाता है। लेकिन, पार्षद पद का चुनाव जीतने वाले हमारे नेताजी तो गजब निकले। हफ्तों दर्जनों समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार करने के बावजूद वह चंद पैसों में ही चुनाव जीत गए। यह हम नहीं कह रहे हैं। निर्वाचन कार्यालय को दिए गए उनके चुनावी खर्च के हिसाब में ऐसा बताया गया है। आइए जानते हैं किस प्रत्याशी ने कितने कम पैसे में जीता चुनाव

एक लाख भी नहीं हुआ खर्च

वैसे तो इस बार निकाय चुनाव में पार्षद पद के लिए अधिकतम चुनावी खर्च की सीमा 3 लाख रुपए रखी गई थी। जिसे इतनी महंगाई में भी कम समझा जा रहा था। लेकिन चुनाव जीतने वाले पार्षदों ने जो आर्थिक रणनीति दिखाई है वह चुनाव आयोग को फिर से सोचने पर मजबूर कर देगी कि तीन लाख की चुनावी खर्च की सीमा को क्यों न और घटा दिया जाना चाहिए। इसकी वजह से वह पार्षद हैं जिनका कुल चुनावी खर्च एक लाख भी नही पहुंचा है और उन्होंने जीत दर्ज कर ली है। इनमें वार्ड 97 से विनिंग प्रत्याशी सुनीता चोपड़ा हैं। उनका चुनावी खर्च महज 26390 रुपए रहा है। इसी तरह वार्ड 68 न्याय नगर क्षेत्र के पार्षद प्रत्याशी पंकज जायसवाल ने 26739 रुपए खर्च कर चुनाव में जीत हासिल कर ली है। इसी क्रम में वार्ड 28 लूकरगंज से सुनीता दरबारी ने 69050, वार्ड 52 हवेलिया से ख्वाजा खुदा दाद खान ने 61692, वार्ड 61 कर्नलगंज से आनंद घिल्डियाल ने 89985, वार्ड 27 से राजू शुक्ला ने 68993, वार्ड 64 से मीनू तिवारी ने 39010, वार्ड 44 से जहांआरा ने 56812 और राजापुर वार्ड 7 से भाष्कर ने 53 हजार रुपए खर्च कर चुनाव अपने नाम किया है।

लेकिन यह तो ज्यादा खर्च करके भी हार गए

दूसरी ओर तमाम प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिन्होंने चुनाव में मोटी रकम खर्च की लेकिन अपनी कुर्सी पर कब्जा नही कर सके। इनमें वार्ड 96 से प्रत्याशी मो। शाहिद कमाल खान ने 1.47 लाख और वार्ड 39 से ऊषा देवी ने 1.13 लाख रुपए खर्च किए, फिर भी चुनाव नही जीत सके। इसी तरह वार्ड 54 से लालबाबू तिवारी 72400 खर्च करने के भी दूसरे नंबर पर रहे। इन प्रत्याशियों को फिलहाल कम पैसे में चुनाव जीतने की ट्रेनिंग लेने की जरूरत है।

इस बार बढ़ा दी गई थी दरें

ऐसा नही है कि इस बार का निकाय चुनाव पुरानी व्यय दरों पर हुआ है। इस साल भी प्रशासन की रिव्यू कमेटी ने खर्च की दरों मे बढ़ोतरी की थी। बावजूद इसके प्रत्याशियों का चुनावी खर्च काफी कम रहा है। चाय, समोसा, गुटखा, पान, टेंट, कुर्सी, मोटरसाइकिल, कार, लाउड स्पीकर, भोजन आदि का प्रयोग न के बराबर किया है, जिससे वह इतने कम पैसे मं चुनावी जीत गए।

तीन माह का मिला है समय

हालांकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मुकाबले निकाय चुनाव के नियम काफी नरम हैं। इसमें चुनाव खत्म होने के बाद से तीन माह का समय चुनाव व्यय का डिटेल देने के लिए मिलता है। अगर प्रत्याशी नही देता है तो आवश्यक कार्रवाई का प्रावधान है और निर्धारित सीमा तीन लाख से अधिक खर्च दिखाता है तो जमानत जब्त किए जाने का नियम है। ऐसे में अभी तक कुल 97 पार्षद प्रत्याशियों ने अपना खर्च पेश किया है। बाकी के पास इसे पेश करने के लिए पर्याप्त समय बचा है।