- कहीं हॉस्टल तो कहीं आफलाइन क्लासेस की मांग को लेकर आवाज बुलंद कर रहे युवा

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PRAYAGRAJ: विवेकानंद की जयंती पर जहां पूरा देश नेशनल यूथ डे मना रहा है। हर तरफ स्वामी विवेकानंद के विचार और युवाओं के अधिकार को आगे बढ़ाने की बात कर रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रयागराज में युवा अपने अधिकारों व करियर को संवारने की चाह को लेकर हर कदम पर संघर्ष कर रहा है। ऐसे में युवाओं के लिए नेशनल यूथ डे तब ही होगा जब उनके अधिकार और उनके करियर की राह आसान होगी। नेशनल यूथ डे के अवसर पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट युवाओं के संघर्ष की कहानी बयां कर रहा है। जिसमें कोई हॉस्टल, कोई ऑफलाइन क्लासेस तो कोई अपने करियर के लिए अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है।

छात्रसंघ बहाली के लिए चल रहा संघर्ष

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ बहाली के लिए युवाओं का हुजूम लंबे समय से संघर्ष कर रहा है। छात्रसंघ बहाली के साथ ही छात्रों के हितों की अन्य मांगों को लेकर समाजवादी छात्र महासभा के छात्रों का एक समूह पिछले 175 दिनों से यूनिवर्सिटी कैंपस में ही अनशन पर बैठा है, लेकिन इसको लेकर निर्णय लेने वाले जिम्मेदार अधिकारी, प्रोफेसर व वाइस चांसलर को युवाओं के इस संघर्ष की तरफ कोई रूझान नहीं दिख रहा है। फिर ये युवा अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ बहाली की मांग हर वर्ग और हर संगठन के युवा कर रहे है। लेकिन फिलहाल उनकी मांग के लिए चल रहा उनका ये संघर्ष खत्म होने की स्थिति नहीं बन रही है।

हॉस्टल के लिए जारी है संघर्ष

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में सिटी के साथ ही कई प्रदेशों और शहरों से युवा सुनहरे करियर का सपना लेकर पढ़ने के लिए आते हैं। छात्रों की सुविधा के लिए यूनिवर्सिटी के साथ ही कई संस्थाओं के हॉस्टल भी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संबद्ध है। लास्ट इयर कोरोना महामारी के कारण हॉस्टल को खाली कराने का निर्देश दिया गया। लेकिन जब स्थिति सामान्य हो गई तो छात्र अपने घरों से वापस लौटकर अपने हॉस्टल में रहने की उम्मीद करने लगे। लेकिन उन्हें हॉस्टल में रहने की इजाजत नहीं मिल रही है। जिसको लेकर दूर दराज एरिया के गरीब छात्र लगातार हॉस्टल खोलने की मांग कर रहे है, लेकिन फिलहाल यूनिवर्सिटी की ओर से हॉस्टल खोलने को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका है। ऐसे में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए संघर्ष कर रहे छात्र अपनी लाचारी पर अफसोस करने के सिवाय कुछ भी करने में सक्षम नहीं दिख रहे है।

जॉब के लिए जारी है दिव्यांग युवाओं का संघर्ष

अच्छी नौकरी की चाहत हर किसी को होती है। लेकिन कई बार योग्यता के बाद भी चाहत पूरी नहीं हो पाती है। बेसिक शिक्षा परिषद कार्यालय पर दिव्यांग आरक्षण को पूरी तरह लागू करते हुए जॉब की मांग को लेकर 69000 शिक्षक भर्ती के दिव्यांग अभ्यर्थी लगातार अनशन पर बैठे हुए है। अनशन के बाद भी जब सरकार और विभाग की ओर से उनसे मिलने और उनकी मांगों को सुनने के लिए कोई नहीं आया तो मजबूरी में इन दिव्यांग अभ्यर्थियों ने पिछले छह दिनों से भूख हड़ताल शुरू कर दी। भीषण ठंड और गलन के बीच युवा खुले आसमान के नीचे अपने करियर को संवारने की चाह में संघर्षरत है। उनका संघर्ष कब पूरा होगा, ये समय बताएगा।