बरेली (ब्यूरो)। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जननी सुरक्षा योजना का मुख्य उद्देश्य मां और नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है कि वह गर्भवती महिलाओं को चिह्नित कर समय-समय पर उनका चेकअप कराए और सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित कराए। इस योजना को कितनी संजीगदी से क्रियान्वयित किया जा रहा है, यह जिला महिला अस्प्ताल में पांच महीने का रिकार्ड बता रहा है। जुलाई से नवंबर तक पांच महीनों में यहां 46 बच्चे पैदा तो हुए पर वह दुनिया में आंख नहीं खोल सके। इसकी पीड़ा भले ही स्वास्थ्य विभाग न समझे पर उन परिवारों पर क्या गुजरी होगी, इसको वही जानते होंगे।

दो पल में टूट गए सपने
परिवार में नए मेहमान आने की खुशी जितनी गर्भवती को रहती है, उतनी ही घर के दूसरे सदस्यों को भी रहती है। नौ महीने तक जिस बच्चे का पूरा परिवार इंतजार कर रहा होता है वह अगर मृत पैदा हो या पैदा होने के बाद न रहे तो, इससे सभी को गहरा सदमा लगता है। घर की खुशियों पर भर में बिखर जाती हैं। जिला अस्पताल में नौ महीने में 46 नवजात के जीवत नहीं रहने से इतने घरों की खुशियां भी छिन गई।

उठ रहे हैं सवाल
जिला महिला अस्पताल में महज पांच महीने में 46 बच्चों की मौत से पूरे सिस्टम पर ही सवाल उठ रहे हैं। यह मौतें कैसे हुई, क्या जननी सुरक्षा योजना सिर्फ दिखावा है, क्या इस योजना के नाम पर सिर्फ बजट बर्बाद किया जा रहा है, क्या जो कर्मचारी इसमें लगे हैं वह सिर्फ अपनी नौकरी चला रहे है, जैसे सवाल हर किसी के मन में हैं और यह सवाल सभी को कचोट भी रहे हैं। कई लोग मानते हैं कि विभाग की ओर से हर मामले में लापरवाही बरती जाती है।

मृत बच्चों की संख्या

21 जुलाई से 20 अगस्त- 11
21 अगस्त से 20 सितंबर- 9
21 सितंबर से 20 अक्टूबर- 5
21 अक्टूबर से 20 नवंबर- 10
21 नवंबर से अब तक-10

वहीं आज एक मौत के साथ इसमें एक संख्या और बढ़ गई है।

इतने जन्मे बच्चे
नवंबर 471
अक्टूबर 529
सितंबर 555
अगस्त 516
जुलाई 378

खुल भी नहीं पाई आंखे
रविवार की देर रात बारादरी निवासी मीना को लेबर पेन स्टार्ट के चलते अस्पताल पहुंची। सुबह नौ बजे उसे ओटी शिफ्ट किया गया, जहां बच्चे का जन्म तो हुआ पर उसकी मौत हो गई। इस संबंध में नर्स सरिता ने बताया कि बच्चे का जब जन्म हुआ तो उसके गले में कॉर्ड फस हुआ था और बच्चे की मौत कॉर्ड कोलैप्स की वजह से हुई परिजनों का कहना है कि जब मीना को अस्पताल लाया गया। उस वक्त वह बिल्कुल सही थी और बच्चा भी ठीक था। वहीं डॉक्टर के चेकअप में पता चला की बच्चे के गले मे कॉर्ड फस गया है। मीना के घर तेरह साल बाद बच्चे की किलकारी गूंजने वाली थी, पर उन्हें यह किलकारी सुनने को नसीब नहीं हुई।

नवजात मौत के क्या कारण
महिला जिला अस्पताल के सीएमएस ने बताया कि इसकी कई वजह हो सकती है, जैसे की मालन्यूट्रिशन, सही से खाना-पीना न होना, इसके अलावा अन्य कई वजह होती हैं। मालन्यूट्रिशन का मतलब महिलाएंं अपना आहार सही से नहीं लेती है, जिसकी वजह से शरीर में विटामिन, मिनिरल, प्रोटीन आदि की कमी हो जाती है। इसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है। वहीं कई बार महिलाएं यह समझ भी नहीं पाती है कि कब अस्पताल आना है। इस वजह से अस्पताल में जाने में देरी हो जाती है। ऐसे में कई बार बच्चा पेट में पोटी कर देता है। ऐसे में बच्चा कई बार फ्लूड में मिक्स गंदगी को पी लेता है। इसकी वजह से भी बच्चे की मौत हो जाती है।


नवजात कीमौत के पीछे कई वजह होती हैं। बॉडी में न्यूट्रीशन की कमी। कई बार गर्भवती जरूरत के हिसाब से आहार नहीं लेती हैै। इसकी वजह से भी बच्चे की मौत हो जाती है। प्रसव के लिए गर्भवती को अस्पताल लाने मे देरी नहीं करनी चाहिए।
डॉ। त्रिभुवन प्रसाद,सीएमएस महिला अस्पताल