-थोड़ी सी लापरवाही जान पर पड़ सकती है भारी

-टेंप्रेचर और पल्स का समय-समय पर ध्यान रखने की जरूरत

बरेली : कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते बिना लक्षण वाले अधिक से अधिक मरीजों को होम आइसोलेट किया जा रहा है। ऐसे में होम आइसोलेट हुए मरीजों को अपनी सेहत का अधिक ख्याल रखना है। यानी बुखार, खांसी व जुखाम के लक्षण होने पर तुरंत अलर्ट हो जाना है। इसके लिए समय-समय पर अपना टेंप्रेचर और ऑक्सीजन लेवल चेक करना होगा। यदि तापमान बढ़े और पल्स रेट घटे तो तुरंत डॉक्टर और कंट्रोल रूम को सूचना दें। ताकि जान को कोई खतरा ना हो। अपर मुख्य सचिव के दो दिन के दौरे के दौरान कुछ इसी तरह की चेतावनी और डरावनी हकीक़त सामने आई थी। क्यूंकि अधिकांश लोगो के पास ऑक्सीमीटर ही नहीं था। ऐसे लोगो के लिए होम आइसोलेशन के लिए एप भी लांच किया गया है, ताकि उनकी पल पल की रिपोर्ट मिल सके। अब तक 500 से अधिक मरीज होम आइसोलेट किए जा चुके हैं।

एप डाउनलोड का पहुंचेगा मेसेज

होम आइसोलेट किए जा रहे मरीजों की निगरानी के लिए उनसे एक एप डाउनलोड कराया जा रहा है। डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ सर्विसेस ऑफ उत्तर प्रदेश यानी डीजीएमएचयूपी की अेर से होम आइसोलेशन का पोर्टल तैयार किया गया है। डीजीएमएचयूपी की और से मरीज के पास एक मेसेज भेजा जाएगा, जिसमें एप्लिकेशन डाउनलोड करने का लिंक होगा। इस लिंक पर क्लिक करने पर एप डाउनलोड हो जाएगा। एप इंस्टाल होने पर न्यू रजिस्ट्रेशन कराना होगा। उसके बाद रजिस्ट्रेशन में डिटेल फिल करनी होगी और फिर ओटीपी मोबाइल में आयेगा, जिसके बाद फॉर्म सबमिट करना होगा और फिर होम आइसोलेशन का डेली ट्रैकर स्टार्ट हो जाएगा, जिसमें आपको डेली अपने लक्षण भरने होंगे। जैसे खांसी, बुखार, सांस में तकलीफ व अन्य की जानकारी देनी होगी। इसमें फैमिली की भी डिटेल फिल की जाएगी। एप की पूरी प्रक्रिया 9 चरणों की है। किसी भी इमरजेंसी में एप में दिए गए टोल फ्री नंबर पर कॉल कर सकते हैं। इसके अलावा पोर्टल पर भी लॉगिन कर सकते हैं।

यह होना है बहुत जरूरी

होम आइसोलेशन के लिए कुछ जरूरी नियम बनाए गए हैं। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद सबसे पहले लोगो से पूछा जाता है कि वह हॉस्पिटल जाएंगे या फिर होम आइसोलेट होंगे। लोग हॉस्पिटल जाने से बचने के लिए होम आइसोलेशन की बात कह देते हैं, जबकि उनके पास सबसे पहले घर में सेपरेट रूम और बाथरूम होना जरूरी है। इसके अलवा उनकी केयर करने वाला भी हो, इसके अलावा उसे ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर भी रखना होगा ताकि समय-समय पर टेंप्रेचर और ऑक्सीजन लेवल चेक किया जा सके। इसके अलावा उसे मास्क, ग्लब्ज व अन्य सामान भी रखना होगा, लेकिन देखने में आया है की ऐसा न के बराबर हो रहा है। लोग ग्लब्ज, मास्क और थर्मामीटर तो रख ले रहे है लेकिन ऑक्सीमीटर नहीं रख रहे हैं। जबकि 94 परसेंट से कम ऑक्सीजन नहीं जानी चाहिए। 70 परसेंट ऑक्सीजन जान के लिए खतरनाक है। फ्राइडे को जब अपर मुख्य सचिव ने एक महिला मरीज से कंट्रोल रूम में फोन करके पूछा था तो बताया था कि उसके पास न तो ऑक्सीमीटर है और न ही कितने परसेंट ऑक्सीजन रहने चाहिए यह याद है। इसी दौरान सामने आया था कि 90 परसेंट होम आइसोलेट मरीजों के पास ऑक्सीमीटर है ही नहीं।

इस तरह से हो रहे ट्रैक

होम आइसोलेट किए गए मरीजों कि निगरानी हेल्थ टीम कर रही है, जिसके तहत कंट्रोल रूम से मरीजों को फोन करके पूछा जा रहा है। उसके बाद उनके घर मेडिकल टीम जा रही है, जो उन्हें जरूरी दवाएं देकर आती है। यही टीम चेक करती है कि घर में अलग रूम, बाथरूम है या नहीं। इसके अलावा उसके पास होम आइसोलेशन का जरूरी सामान है कि नहीं। मेडिकल टीम रोजाना फोन पर अपडेट लेती है। इसके अलावा अपर मुख्य सचिव ने भी मरीजों को डॉक्टर्स के नंबर देने के लिए बोला है ताकि वो इमरजेंसी में संपर्क कर सके और एम्बुलेंस भेजकर उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया जा सके, ताकि अधिक से अधिक मरीजों की जान बचाई जा सके।

पड़ोसी कर रहे दु‌र्व्यवहार

जिस तरह से पहले लोग खासकर पड़ोसी कोरोना मरीज की रिपोर्ट आने पर उससे अजीब सा बिहेव कर रहे थे और पुलिस व कंट्रोल रूम में शिकायत करते थे कि मरीज अभी तक अपने घर पर है, वह बाहर घूम रहा है। वैसे ही अब होम आइसोलेटेड मरीजों के साथ किया जा राह है। लोग पड़ोसी की मदद करने के बजाय उसके या उसके घर वालों के बाहर झांकने से भी परेशान हो रहे हैं और पुलिस को फोन लगा दे रहे हैं। जबकि लोगों को पड़ोसी की हर संभव मदद करनी चाहिए। उन्हें जरूरत का सामान फोन पर बात करके उनके दरवाजे तक पहुंचा दें। डीएम ने इसको लेकर पहले से अपील भी की है।