रियलिटी चेक

बरेली:

कोरोना संक्रमण का कहर शहर में इस कदर बढ़ा है कि लोग परेशान हो रहे हैं। कोई सोशल मीडिया पर तो कोई एक दूसरे से मदद मांग रहा है। शहर में कई ऐसे लोग भी हैं जो जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं, लेकिन इस दुखद घड़ी को भी कुछ मतलब परस्त लोग आपदा को अवसर समझ भुना रहे हैं। इसमें अब चाहे, मेडिसिन, ऑक्सीजन सिलिंडर हो या फिर एम्बलुेंस हो। कुछ लोग तो मौका मिलते ही ओवर रेट वसूलने से नहीं चूकते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्सट ने वेडनसड को 300 बेड हॉस्पिटल में पेशेंट्स को निजी एम्बुलेंस से लाने और जाने वाली एंबुलेंस का रियिलटी चेक किया तो हकीकत चौंकाने वाली सामने आई। शहर की जिस एरिया में जाने का महज 400 से 500 रुपए अधिकतम लेते थे अब इस संकट की घड़ी में पीडि़तों के परिजनों से 5 से 6 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं।

केस:-1

मनमाने वसूल रहे रेट

किला से बीमार पेशेंट को लेकर 300 बेड हॉस्पिटल पहुंचे फैसल ने बताया कि कहीं और तो हॉस्पिटल में बेड ही नहीं मिल रहा था, 300 बेड हॉस्पिटल आए तो यहां पर भी बेड नहीं मिला। खुद एम्बुलेंस से पेशेंट को उतारा है ऑक्सीजन लगाई लेकिन कोई देखने के लिए नहीं आया। अब ऐसी हालत में आम लोग क्या करें। जहां एक तरफ पेशेंट्स को एडमिट कराने के लिए मशक्कत हो रही तो वहीं एम्बुलेंस वाले भी मनमानी वसूली कर रहे हैं। एम्बुलेंस वाले तो शहर में किसी भी हॉस्पिटल ले जाने की बात करो तो वह 4-6 हजार से नीचे का रेट ही नहीं बताते हैं। अब ऐसे में कोई कैसे कहीं इलाज कराने के लिए हिम्मत कर पाएगा।

केस:-2

एक लाख रुपए में की एंबुलेंस

शहर में रहकर प्राइवेट काम करने वाले असादुल खां ने बताया कि वह प्राइवेट जॉब करते हैं। वह मूल रूप से कोलकत्ता के रहने वाले हैं। उनके साथ अन्य लोग भी फैमिली के साथ रहते हैं। कुछ दिन पहले एक महिला को डॉगी ने नोंच लिया इसके बाद उसकी हालत बिगड़ी तो जांच कराई रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद किसी तरह तीन सौ बेड हॉस्पिटल में एडमिट कराया। अभी उनकी हालत ठीक नहीं है। अब हम लोग महिला को कोलकत्ता ले जा रहे हैं, एम्बुलेंस बुक की है तो एंबुलेंस संचालक ने एक लाख रुपए लिए हैं। मूजबूरी में पेशेंट को लेकर तो जाना ही है। एंबुलेंस में भी कोई डॉक्टर भी नहीं है।

केस:-3

दिल्ली से बरेली के मांगे 1 लाख

अमित कुमार राय की तबियत खराब है। वह नोयडा में निजी कंपनी में कार्यरत है। संक्रमित होने के बाद नोयडा के किसी हॉस्पिटल में इलाज नहीं मिला तो उनके भाई सुधाकर राय उन्हें बरेली इलाज के लिए लेकर आए। वहां से बरेली आने के लिए एंबुलेंस वाले ने एक लाख रुपए मांगे। किसी तरह किसी परिचित की एंबुलेंस बुक की तो उन्हें 33 हजार रुपए दिए। सुधाकर राय का कहना है कि एंबुलेंस संचालकों ने तो आपदा को अवसर बना लिया है। इस तरह देखकर लगता है कि इनके अंदर इंसानियत तो खत्म हो गई है।

केस:-2

हॉस्पिटल तक लिए दो हजार

शहर के सीबीगंज ईएसआई हॉस्पिटल से 300 बेड हॉस्पिटल बुजुर्ग मां को लेकर पहुंचे वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि वह अभी तो ईएसआई हॉस्पिटल से आए हैं। मां को घर से चार किलोमीटर ईएसआई हॉस्पिटल तक ले जाने में ही दो हजार रुपए ले लिए। वहां से फिर ईएसआई हॉस्पिटल की एंबुलेंस से रेफर किया गया है। अब ऐसे में कोई हॉस्पिटल इलाज के लिए एडमिट नहीं कर रहा है तो फिर से वहीं ईएसआई हॉस्पिटल के लिए जा रहा हूं, कहीं इलाज नहीं मिल रहा है।