क्या है यह rabies

रेबीज आम तौर पर कुत्तों में वायरस से होने वाली बीमारी है। यह बीमारी वाइल्ड एनिमल्स से स्ट्रे डॉग्ज से होते हुए पेट्स में और फिर इंसानों में फैल जाती है। कुत्तों के काटने से होने वाली इस बीमारी में नर्वस सिस्टम पर इफेक्ट पड़ता है। इससे गले की थ्रोट मसल्स पर भी पैरालिसिस पड़ता है। पेशेंट के मुंह से झाग निकलने लगता है और वह पानी को देखकर डरने लग जाता है। यह एक नॉन क्यूरेबल डिजीज है। इससे एनिमल और इंसान 10 दिन से दो महीने में अपनी जान गंवा देते हैं।

Pets vaccination जरूरी

ज्यादातर पेटलवर्स अपने पेट्स को रेग्युलर एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने में इंटे्रस्ट नहीं दिखाते हैं। वेटरिनरी एक्सपर्ट का कहना है कि ज्यादातर पेटलवर्स यह मानते हैं कि एक बार एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने के बाद पेट्स को रेबीज का खतरा नहीं रहता, जो कि पूरी तरह मिथ है। एक्सपर्ट बताते हैं कि इस वैक्सीन को सिर्फ तीन साल तक के लिए ही इफेक्टिव माना जाता है। वहीं प्रैक्टिकली इसे 1 साल के टाइम पीरियड में लगवाना ही बेस्ट है।

2000 vaccine की demand

रेबीज नॉन क्यूरेबल होने के साथ ही नॉन नोटिफाइड बीमारी है.  इंसानों के इलाज में यूज होने वाली एंटी रेबीज वैक्सीन की सप्लाई करने वाली कंपनियों के मुताबिक सिटी में हर महीने करीब 2000 वैक्सीन की डिमांड रहती है। इसमें रूरल और अर्बन दोनों एरिया शामिल हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक यह जरूरी नहीं कि एनिमल बाइट्स के सारे केसेज रेबीज वाले ही हो लेकिन प्रिकॉशनरी लोग सेफ्टी पर्पज से वैक्सीन लगवाने में ही भलाई समझते हैं।

करीब 30 हजार आवारा जानवर

अनुमान के मुताबिक शहर में करीब 30 हजार आवारा जानवर अपना बसेरा बनाए हुए हैं। इनमें से 5 फीसदी का रिकॉर्ड भी नगर निगम के पास नहीं है। वहीं सिटी में घरों में पल रहे पेट्स का भी नगर निगम के पास प्रॉपर रिकॉर्ड नहीं है। इंसानों में रेबीज बीमारी का सबसे बड़ा खतरा स्ट्रे डॉग्ज ही होते हैं। सिटी में इनकी हजारों की तादाद इस खतरे को और बढ़ा देती है। लेकिन नगर निगम इन आवारा जानवरों खासकर की पॉपुलेशन कंट्रोल करने में फिसड्डी रहा है। वहीं डॉग्ज स्टेरेलाइजेशन की प्रोसेस को नगर निगम कार्यकारिणी के अप्रूवल की जरूरत होती है। इसमें होने वाली देरी हर साल इस अभियान की हवा निकालने का काम  करती है।

'डॉग बाइटिंग में डॉग की एज और उसे कितने वैक्सीन लग चुके हैं, इस पर ध्यान न दें। न ही इस पर ध्यान दें कि वह पेट है या फिर स्ट्रे डॉग्ज। डॉग बाइट होने पर तुरंत एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाएं और वैक्सीन सिर्फ बांह पर लगवाएं.'

- डॉ। जेके भाटिया, फिजिशियन

'पेटलवर्स को हर साल अपने पेट्स को रेबीज के वैक्सीन लगवाने चाहिए। अगर पपी पाल रहे हैं तो 1 से 3 महीने के अंदर ही उसे वैक्सीन जरूर लगवा लें। डॉग बाइट में 24 घंटे के अंदर डॉक्टर से कंसल्ट की इलाज शुरू कराएं.'

- डॉ। अभय तिलक, वेटरिनरी

'नगर निगम के पास काफी समय से कैटल कैचिंग दस्ता नहीं हैं। हर साल कार्यकारिणी के अप्रूवल से डॉग्ज स्टेरेलाइजेशन अभियान शुरू कराया जाता है। पिछली बार करीब 1000 डॉग्ज को स्टेरेलाइज्ड किया गया था। वेटरिनरी ऑफिसर की कमी से काम बाधित होता है.'

- डॉ। आरएन गिरी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

'रेबीज के बारे में आज भी ज्यादातर लोग अवेयर नहीं हैं। कोलकाता की तर्ज पर सिटी में भी मिशन रेबीज इंडिया शुरू करने की जरूरत है। आईवीआरआई में रेबीज के परमानेंट क्योर वाली वैक्सीन बनाने पर काम चल रहा है.'

- डॉ। पीसी शुक्ला, कोआर्डिनेटर, रेबीज वैक्सीनेशन प्रोग्राम, आईवीआरआई

Report by-Govind Singh