-दीपावली पर सबसे अधिक प्रदूषित एरिया सिविल लाइंस, दूसरे नम्बर पर रहा राजेन्द्र नगर
शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक - 456
एक्यूआई - 2019 - 2020
सिविल लाइन- 370 - 456
राजेंद्रनगर - 310 - 420
गंगापुर - 320 - 467
सिकलापुर - 290 - 435
कोहाड़ापीर - 330 - 478
साहूकारा - 356 - 437
आलंगिरीगंज - 318 - 430
गांधीनगर - 290 - 422
100 फूटा रोड(कालोनियां)- 312-469
¨सधुनगर - 325 - 458
पवन विहार - 312 - 416
आशुतोष सिटी - 328 - 418
महानगर - 314 - 428
बिहारीपुर - 303 - 412
सुभाषनगर - 340 - 446
बरेली:
शहर में निर्माण कार्य और पराली से बढ़े प्रदूषण के बाद आतिशबाजी ने लेबल में जबरदस्त इजाफा किया है। आम दिनों में जहां 200 के करीब एक्यूआई था वह दीपावली पर आतिशबाजी से हुए प्रदूषण के बाद ढाई गुना तक आगे पहुंच गया। मौसम विभाग के आंकड़ों की मानें तो दीपावली पर इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक प्रदूषण रहा है। इसमें एक कारण यह भी है कि पिछले वर्ष के मुकाबले शहर में निर्माण कार्य भी कई जगह चल रहे हैं। इस कारण भी प्रदूषण पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक रहा है। वहीं शहर की बात करें तो शहर में सबसे अधिक सिविल लाइंस जबकि दूसरे नम्बर पर राजेन्द्रनगर की हवा प्रदूषित रही।
पर्यावरण की चिंता छूटी पीछे
वातावरण में बढ़ते प्रदूषण के चलते ही एनजीटी ने दिल्ली व एनसीआर में आतिशबाजी को बैन किया। दीपावली पर यह बैन अन्य शहरों के लिए भी चेतावनी था। अपने शहर में बड़े डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट्स के कंस्ट्रक्शन के चलते पहले ही आबोहवा प्रदूषण के सामान्य स्तर को पार कर चुकी है। दीपावली पर इसके खतरनाक स्तर को भी पार करने की पहले ही संभावना जताई जा रही थी। यही वजह थी कि लोगों से इस पर्व पर आतिशबाजी कम से कम करने की अपील की जा रही थी। यह अपील सैटरडे लेट नाइट पर्व की खुशियों के सामने बेअसर साबित हुई। लोगों ने पर्यावरण की चिंता छोड़कर खूब आतिशबाजी की।
जितना पॉश एरिया, उतना ज्यादा प्रदूषण
शहर में खुशियों के पर्व की रौनक और प्रदृषण के स्तर की स्थिति भी लोकेशन के अनुसार अलग-अलग देखी और महसूस की गई। इस पर्व पर जब शाम से आतिशबाजी शुरू हुई तो देर रात तक चली। पॉश एरिया में आतिशबाजी अधिक हुई तो यहां की आबोहवा में धुंए का गुबार भी अधिक रहा। सैटरडे नाइट 10 बजे से ही राजेन्द्र नगर, जनकपुरी, डीडीपुरम, मॉडल टाउन, डेलापीर जैसी लोकेशन पर स्मॉग का असर सबसे अधिक देखने को मिला। इससे यहां आंखों में जलन तक महसूस की जाने लगी।
नहीं जा पाती खतरनाक गैस
एक्सपर्ट की माने तो आतिशबाजी से निकले प्रदूषण में सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड धुएं के साथ भारी वातावरण के चलते आसमान में नहीं जा पाते और नमी के साथ वापस जमीन पर आते हैं। इसी वजह से स्मॉग बनता है। पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है।
खूब बिकी आतिशबाजी
चेतावनी के बाद भी दीपावली पर आतिशबाजी का कारोबार बूम पर रहा। शहर में जहां भी आतिशबाजी का मार्केट सजा रहा वहां दोपहर से ही खरीदारों की भीड़ नजर आने लगी। यह भी समय बीतने के साथ ही बढ़ती चली गई। आतिशबाजी के मेन मार्केट मिनी बाईपास, सौ फुटा रोड पर तो शाम को खरीदारी के चलते जाम तक की स्थिति रही। यही हाल आतिशबाजी की रिटेल फड़ मार्केट मनोहर भूषण इंटर कॉलेज रोड, जीआईसी मैदान, सुभाषनगर में भी रही। लोगों ने अपनी खुशियों के चलते आतिशबाजी की रेट की चिंता नहीं कि और बैग भरकर खरीदारी की। इस भारी खरीदारी से पर्व के मौके पर शहर में भी आतिशबाजी बैन होने की आशंका से चिंतित कारोबारियों के चेहरे भी खिल उठे।