बरेली (ब्यूरो)। अर्थराइटिस से बड़ी आबादी परेशान है। खास तौर से बड़ी उम्र के लोगों में यह समस्या ज्यादा होती है, लेकिन अब यह परेशानी युवाओं में भी देखने को मिल रही है। पुरुषों के कंपैरिजन महिलाओं में सबसे अधिक अर्थराइटिस की समस्या पाई जा रही है। इसका असर लोगों में भारी संख्या पर पड़ रहा है। लोग अपने दिन भर के काम तक सही तरह से नहीं कर पा रहे हैैं।

क्या है अर्थराइटिस
ज्वाइंट इंफ्लेमेशन, अर्थराइटिस यानी की गठिया बहुत ही आम समस्या होती जा रही है। इसमें लोगों के ज्वाइंट्स में स्टिफनेस आ जाती है। इस दौरान लोगों को उठने, बैठने या फिर चलने में तकलीफ होती है। यह बीमारी शरीर के किसी एक या एक से अधिक जोड़ को प्रभावित कर सकता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव घुटनों में और उसके बाद कूल्हे की हड्डियों में दिखाई देता है।

युवाओं में भी अर्थराइटिस
पहले अर्थराइटिस एक खास उम्र के बाद होता था, लेकिन आज के टाइम में कई चीजों की तरह यह बीमारी भी उम्र से इतर किसी को भी होने लगी है। युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक इसकी कई वजह हो सकती हैं। जैसे कि जेनेटिक कारण, ट्रॉमा और ऑटो इम्यून डिजीज, बदलती लाइफ स्टाइल, फैट आदि। डॉक्टर ने बताया कि यह बीमारी 20 साल के बाद किसी को भी हो सकती है। वहीं इसकी कोई एज लिमिट नहीं है।

कितने तरीके की होती है अर्थराइटिस
-ऑस्टियो अर्थराइटिस
-रूमेटीइड
-फाइब्रोमायल्जिया
-गाउट
-ल्यूपस

कारण:
लेस एक्टिविटी
लॉन्ग टाइम सिटिंग जॉब
रिपैटिड वर्क
हेवी वेट लिफ्टिंग

4 ग्रेड में होता है अर्थराइटिस
ग्रेड 1:
माइनर पेन, अंनोटिस्एबल
ग्रेड 2:
तेज पेन
ग्रेड 3:
चलने फिरने में तकलीफ और दर्द
ग्रेड 4:
सीवियर पेन, सूजन उठ-बैठ न पाना

क्या हैैं लक्षण
चलने-फिरने में दिक्कत होना
बार-बार उठने-बैठने में दर्द होना
जोड़ो में लगातार सूजन बने रहना
सुबह जोड़ों में जकडऩ होना

कैसे करें बचाव
डॉक्टर्स ने बताया कि यह पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है, लेकिन इसके लिए पैशेंट को लग कर इलाज कराना होगा। ऐसा नहीं होता कि कुछ टाइम के लिए इलाज कराया फिर बंद कर दें। फिजिकल एक्टिविटी लोगों को जरूर करनी चाहिए, लोग जितना एक्टिव रहेंगे, उतना ही इस तरह की बीमारियों से दूर रहेंगे।

क्या हैं उपाय
एलोपैथ
डॉ। बृजेश्वर सिंह ने बताया कि यह एक से ज्यादा ज्वाइंट में होने वाली बीमारी है। इसमें लोगों के ज्वाइंट वाले पार्ट में पेन के साथ सूजन भी होती है। इसमें ज्वाइंट जकड जाते हैं। यह महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है। मेडिकल साइंस में यह नहीं माना जाता कि खाने-पीने का असर अर्थराइटिस पर पड़ता है। इस दौरान लोगों को ज्वाइंंट मोबेलाइजेशन एक्सरसाइज करनी चाहिए।

होम्योपैथ
होम्योपैथ के डॉ। विकास वर्मा ने बताया कि अर्थराइटिस पहले उनको होती थी, जिनकी फैमली में किसी को यह बीमारी होती थी। आजकल यह ओबीसिटी से लिंक हो गई है। लोग अपने खान-पान पर ध्यान नहीं देते हैं। इसके अलावा लोग बिना सोचे-समझे पेन किलर लेने लगते हैैं। यह उनके लिए ही नुकसानदेह होती है। एंटी इंफ्लेमेट्री ड्रग उन्हें कई दूसरी गंभीर बीमारियां देती है। होम्योपैथी में अर्थराइटिस का इलाज मरीज पर डिपेंडेंट होता है। किस तरह का मरीज, कैसी बीमारी, कैसे होगा इलाज यह मरीज की बीमारी पर निर्भर होता है।

आयुर्वेद
आयुर्वेदिक डॉक्टर सीबी सिंह ने बताया कि यह बीमारी पूरी तरह से ठीक की जा सकती है। अर्थराइटिस की बीमारी का इलाज अयुर्वेद पद्धति के अनुसार दो तरह से किया जा सकता है जैसे कि शोधन चिकित्सा और संशमन चिकित्सा। यह कई तरह के होते हैैं, लेकिन लोगों में ज्यादातर रूमेटवाइड, ऑस्टियो आर्थराइटिस आदि। इसमें लोगों को ठीक करने के लिए पंच कर्म चिकित्सा की जाती है। इसके अलावा यह पेशेंट डिपेंडेंट होता है। इसमें कई चीजें कम या फिर नहीं खानी चाहिए। जैसे कि दही, बैंगन, दाल, प्रोटीन आदि।

केस 1:
मोहित मुझे यह बीमारी काफी समय से थी पर मुझे इसके बारे में पता नहीं था। मैैं कॉमन दवाइयां ही ले रहा था।

केस 2:
सुधा ने बताया कि उनके पैर में लगातार सूजन रहती थी पर उन्हें अर्थराइटिस के बारे मेंंं जानकारी ही नहीं थी। नार्मल दवाइयों ने उनकी बीमारी बढ़ा दी।