बरेली (ब्यूरो)। कैंट हॉस्पिटल में लोगों को उपचार नहीं मिल पा रहा है। यहां पर डॉक्टर्स मरीजों को भर्ती करने से कतराते है। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को वहां के स्टाफ द्वारा 108 पर कॉल करने की सलाह देकर वापस लौटा दिया जाता है। एंबुलेंस होने पर भी उसे मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं करवाया जाता। इसको लेकर हॉस्पिटल का स्टाफ अलग-अलग तर्क सामने रखता है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने ट्यूजडे की रात इसको हॉस्पिटल में स्टिंग ऑपरेशन किया तो यह ही हकीकत सामने आई।

पीपीपी मोड का भी नहीं मिल रहा लाभ
बता दें कि कैंट बोर्ड, कैंट जनरल हॉस्पिटल को कई बार पीपीपी मोड पर चलाने का प्रयास कर चुका है, लेकिन ठेकेदार अधर में ही हॉस्पिटल को छोड़ देता है। यह ही वजह है कि कैंट बोर्ड पांच से ज्यादा ठेकेदारों को अब तक ब्लैक लिस्ट कर चुका है। हॉस्पिटल को कई बार कैंट बोर्ड ने भी खुद चलाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। हॉस्पिटल हमेशा ही विवादों से घिरा रहा, जिस वजह से यहां लोगों को उपचार नहीं मिला पाया। मौजूदा समय में भी हॉस्पिटल पीपीपी मोड पर चलाया जा रहा है। हॉस्पिटल में कई अधुनिक मशीन्स लगाई गई हैं, लेकिन उन्हें ऑपरेट करने के लिए ऑपरेटर्स की कमी है। इसके साथ ही गंभीर मरीजों को भर्ती करने से अस्पताल का स्टाफ बचता है।

रात में नहीं मिलती दवाई
बता दें कि बीते दिनों कैंट जनरल हॉस्पिटल को कैंट बोर्ड ने पीपीपी मोड पर शुरू किया था। इस दौरान कई डॉक्टर्स को अपॉइंट भी किया गया है। अस्पताल में हर समय दवाएं मिल सकें। इसके लिए मेडिकल खोला गया था, लेकिन स्टाफ ने इसे चलवाने में सहयोग नहीं किया। चर्चा है कि हॉस्पिटल के कर्मचारियोंं ने बोर्ड के कर्मचारी के रिश्तेदार का मेडिकल चलवाने के लिए उसका अंदरखाने विरोध किया, जिस वजह से हॉस्पिटल में चलने वाला मेडिकल बंद हो गया। मौजूदा समय में रात में मरीज को दवा न तो हॉस्पिटल से मिल रही है, न ही बाहर से। यह ही नहीं कर्मचारी के रिश्तेदार का मेडिकल चलवाने के लिए हॉस्पिटल का मुख्य गेट भी बंद कर दिया गया है। इस वजह से मरीजों को अधिक दूरी तय कर दूसरे गेट से हॉस्पिटल के अंदर जाना पड़ रहा है।

हॉस्पिटल में है नई एंबुलेंस
आसपास के मरीजों को लाने के लिए कैंट बोर्ड ने कई लाख रुपए की एंबुलेंस हॉस्पिटल को दी हुई है, लेकिन हॉस्पिटल में खड़ी एंबुलेंस हाथी के दांत की तरह दिखाने जैसी साबित हो रही है। ट्यूजडे की रात दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम हॉस्पिटल पहुंची थी। वहां ईएमओ डॉ। फिरोज मिले। उन्होंने बातचीत में बताया कि एंबुलेंस मरीजों को लेने नहीं जाती है।

बातचीत पर एक नजर
रिपोर्टर : एक मरीज को भर्ती कराना है।
डॉक्टर : क्या हुआ है।
रिपोर्टर : सर सीने में तेज दर्द है।
डॉक्टर : 108 पर कॉल करें
रिपोर्टर : सर 108 तो जिला अस्पताल लेकर जाएगी।
डॉक्टर : जी कॉल करें। कॉल उठेगी नाम पता पूछा जाएगा। बता देना एंबुलेंस आ जाएगी।
रिपोर्टर : सर ऐसे तो एंबुलेंस आ जाएगी, लेकिन यहां से नहीं हो पाएगा।
डॉक्टर : नहीं भाई यहां से वैसे कोई एंबुलेंस नहीं जाती है।
रिपोर्टर : मैं पेशेंट को यहीं भर्ती कराना चाहता हूं। यहां भी इलाज हो सकता है।
डॉक्टर : नहीं मरीज ले आओ, एक बार देखते हैं।
रिपोर्टर : सर एंबुलेंस चालक का नंबर दे दें। हम एंबुलेंस चालक को फोन कर लेंगे। उसे पेमेंट दे देंगे।
डॉक्टर : कौन सी एंबुलेंस
रिपोर्टर : जो बाहर खड़ी है।
डॉक्टर : नहीं यह एंबुलेंस घर नहीं जाती है। इसके बाद डॉक्टर कमरे में सोने चले गए।


हॉस्पिटल में एबंलेंस है, जो ऑन डिमांड मरीजों को लेकर जाती है और लेकर आती है। जिस किसी को चाहिए, उसे मिलेगी। उसके लिए भुगतान करना होता है।
रविंद्र कुमार, सीईओ कैंट बोर्डअस्पातल में सब कुछ सही चल रहा है। आने वाले मरीजों को उपचार दिया जा रहा है। एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो रही। इसकी जानकारी नहीं है।
डॉ। वैभव जयसवाल, नामित सदस्य कैंट बोर्ड

एंबुलेंस खड़ी रहती है। मरीज डिमांड करते रहते है। लेकिन एंबुलेंस नहीं दी जाती है। हॉस्पिटल का स्टाफ मनमानी पर उतारू रहता है। हॉस्पिटल का एक गेट भी साजिश के तहत बंद कर दिया है। जिस वजह से मरीजों का दूसरे गेट से ज्यादा चलकर हॉस्पिटल में जाना पड़ रहा है।
काशिफ खान, स्थानिय निवासी