बरेली (ब्यूरो)। नगर निगम की ओर से बरेलियंस को बेहतर सुविधा देने का वादा किया जाता है। लेकिन, वादों को धरातल पर उतारने में निगम उदासीनता दिखाता है। शहर में कुल 42 ओवरहेड टैैंक हैैं, जिनकी सफाई का जिम्मा जलकल विभाग के पास है। लेकिन, इसको लेकर भी अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। इन टैैंकों में से कई की सफाई को एक साल से अधिक समय हो चुका है तो कई टैैंक में सफाई की डेट ही नहीं लिखी गई है, जिससे किसी को इसकी सफाई कब की गई है, इसकी जानकारी न मिल सके। इन टैैंकों का पानी शहर के लाखों लोगों के घरों तक पहुंचता है। ऐसे मेें प्रत्येक वर्ष इसकी सफाई बहुत जरूरी हो जाती है। जिस तरह जलकल विभाग के ओवर हेड टैंक की हालत दिखाई दी उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे निगम की टंकी का पानी साफ है, मन करे तो मान लीजिए। वेडनेसडे को टैैंक की सफाई की सच्चाई जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने मौके पर जाकर देखा तो हकीकत सामने आ गई। पढि़ए पूरी रिपोर्ट।

घरों में पहुंच रहा गंदा पानी
नगर निगम का जलकल विभाग शहर की करीब 15 लाख की आबादी को 42 ओवरहेड टैंक से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति का दावा करता है। मगर हकीकत कुछ और है। ओवर हैड टैंकों की सफाई नही होने से घरों में गंदा पानी पहुंच रहा है। तो कहीं पर पानी की लाइन लीकेज होने के कारण लोगों के घरों में गंदा पानी पहुंच रहा है। परेशान होकर लोग शिकायत कर रहे हैं लेकिन समस्या दूर करने के लिए उन्हें भी मशक्कत करनी पड़ जा रही है। ज्ञात हो पिछले सप्ताह तो लोगों ने रोड पर उतरकर रोड जाम तक कर दिया। इसके बाद कहीं जाकर सप्लाई ठीक हो सकी।

42 टैैंक से होती है सप्लाई
शहर में लाखों की संख्या में लोग पीने का पानी निगम के ओवरहेड टैैंक से शुद्ध पेयजल के नाम पर पीते हैैं। ऐसे में इनकी सफाई और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। एक्सपट्र्स बताते हैैं कि इन टैैंक्स की सफाई छह माह में की जानी चाहिए। दूषित पानी पीने से कई तरह की बीमारी हो सकती हैै। लेकिन, जिम्मेदार इसकी सफाई की समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे हैैं।

बीमार न कर दे यह पानी
फिजिशियन डॉ। सौरभ गोयल बताते हैैं कि दूषित पानी पीने से स्कीन संबंधी समस्याएं, डाइजेस्टिव सिस्टम भी प्रभावित होता है। साथ ही दूषित पानी पीने से टायफाइड, डायरिया व लीवर संबंधित बीमारियां भी हो सकती हैैं। स्किन में रैशेेज, एग्जिमा आदि दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए हमेशा साफ पानी ही पीना चाहिए। यानि कहा जाए तो सही है नगर निगम सिर्फ आपके घर तक पानी ही पहुंचा रहा है लेकिन इसकी शुद्धता जांचना आपका काम है।


सीन-01
बरेली कॉलेज कालीबाड़ी साइड डलावघर के पीछे बने निगम के आवरहेड टैैंक पर व्हाइट पेंट पर सफाई की जानकारी नहीं लिखी हुई थी। निगम के स्टोर के पास स्थित इस ओएचटी पर कोई पंप ऑपरेटर भी मौजूद नहीं था। टैंक पर जहां डेट दर्ज होनी चाहिए वहां पर इतनी हालत खराब थी कि कुछ दिखाई देने की कंडीशन नहीं था।

सीन-02
जिला पंचायत कार्यालय के सामने स्थित डलावघर में बने गवर्नमेंट कॉलेज के ओएचटी की सफाई को भी एक साल से अधिक का समय हो चुका है। लेकिन, अब तक इसकी सफाई नहीं की गई है। यहां भी पंप ऑपरेटर मौके पर मौजूद नहीं था।

सीन-03
मौलाना आजाद इंटर कॉलेज में नगर निगम के जलकल विभाग की तरफ से टैंक बनाया गया। यहां पर चौकीदार मिला लेकिन उसे पता नहीं कि पानी के टैंक की सफाई कब हुई। पानी की टैंक पर अंकित जो डेट थी 22 अक्टूबर 2023 थी। लेकिन इसके अनुसार अभी सफाई होनी चाहिए। ये डेट इस तरह लिखी गई थी कि इसे देखकर कोई समझ नहंी पा रहा था कि सफाई होने की डेट थी या फिर सफाई करने के बाद डेट दर्ज की गई।

एक-दूसरे पर डाली जिम्मेदारी
ओवर हेड टैंक के बारे में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने जब जलकल के एक्सईएन सिद्धार्थ कुमार से बात की तो उन्होंने बात को टालते हुए अपने आपको मीटिंग में बता दिया। इसके बाद जब एई प्रवीण कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हम सिर्फ ओवरहेड टैंक का निर्माण करते हैं। इसका संचालन रख-रखाव नगर निगम करता है इसलिए इस बारे में वे ही बेहतर बता सकते हैं।