बरेली (ब्यूरो)। स्कूल्स में भले ही हैप्पी समर वैकेशन हो गई हों, लेकिन स्टूडेंट्स के लिए ये वैकेशन्स बिल्कुल भी हैप्पी नहीं होती हैं, क्योंकि जितनी पढ़ाई बच्चों को पूरे साल नहीं करनी पड़ती है, उतनी उन्हें इन वैकेशन्स में करनी पड़ती है। स्कूल से मिलने वाला होमवर्क बच्चों के लिए एक मेंटल प्रेशर बन जाता है। बच्चों का सारा दिन इसे कंप्लीट करने में ही निकल जाता हैै। स्कूल की ओर से स्टूडेंट्स को वैकेशन के नाम पर होमवर्क का लंबा-चौड़ा बोझ मिल जाता है।

पेरेंट्स पर भी बर्डन
यह होमवर्क सिर्फ स्टूडेंट्स तक ही सीमित नहीं रह जाता है, बल्कि इसमें पेरेंट्स के साथ-साथ भाई-बहन पर भी बर्डन बढ़ जाता है। हॉलीडे होमवर्क को कंप्लीट करने के लिए पूरे घर को मिलकर सहयोग करना पड़ता है तब जाकर कहीं वह पूरा हो पाता है। हॉलीडे होमवर्क बच्चों के साथ-साथ पेरेंट्स के लिए एक मेंटल प्रेशर बन जाता हैै। सुमन ने बताया कि 15 मई से उनके बच्चे की वैकेशन्स स्टार्ट हुई हैैं, लेकिन हॉली डे के नाम पर स्कूल से चार से पांच पन्नों का काम उन्हें मिल गया है। सारा-सारा दिन निकल जाता है उन्हें अपने बच्चे के साथ उनका काम पूरा कराने में। इसके अलावा उन्हें घर का काम भी देखना होता है। होमवर्क मिलना चाहिए, मगर इतना नहीं कि बच्चा अपना एंज्वाय भी न कर पाएं।

पड़ रहा मेंटल प्रेशर
बच्चे होमवर्क को लेकर काफी परेशान रहते हैैं कि उन्हें जो 30-40 दिन मिले हैैं, उसमें वे हॉलीडे मनाएं या फिर होमवर्क करें। ज्यादा हॉलीडे बच्चों को काफी मेंटली परेशान करता है। क्योंकि अगर काम पूरा नहीं होगा तो स्कूल में डांट पड़ेगी और घर में काम नहीं करेंगे तो पेरेंट्स डांटते हैैं। साइकोलॉजिस्ट रविंद्र कुमार ने बताया कि ऐसे में बच्चे इरिटेटिड फील करने लगते हैैं, क्योंकि वे अपने मन का काम नहीं कर पा रहे। पढऩा जरूरी है, पर पढ़ाई के साथ-साथ एंज्वाएमेंट भी उतना ही जरूरी है। फिलिपिन्स, पोलैैंड, आइरलैंड, चाइना, यूनाइटेड स्टेट, फनलैैंड आदि कंट्रीज में तो स्टूडेंट्स के सिर पर से काम के बोझ को हटाने के लिए होमवर्क ही बैन कर दिया गया है।

पेरेंट्स ने बयां की अपनी पीड़ा
बच्चों के सिर पर होमवर्क का बोझ नहीं डालना चाहिए। अगर छुट्टïी दी जा रही है तो उसमें इतना होमवर्क देने से बच्चे काफी बिजी हो जाते हैैं। इस पर कंट्रोल होना चाहिए।
-सुमन

आजकल इतना कंप्टीशन हो गया है कि बच्चों पर वैसे भी काफी पे्रशर होता है। ऐसे में बच्चों पर ज्यादा काम का प्रेशर नहीं डालना चाहिए। इससे वे परेशान ही होते हैैं और एंज्वाय नहीं कर पाते हैैं।
-रचना

मैैं तो हॉलीडे होमवर्क के बिल्कुल खिलाफ हूं। साल भर बच्चे वैसे भी इतना बिजी रहते हैैं कि उन्हें स्कूल, ट्यूशन के काम से ही फुर्सत नहीं मिलती हैैं। ऐसे में इतना काम नहीं देना चाहिए।
-ऋचा

20-30 दिन की छुट्टिïयों में साल भर के वर्क के बराबर काम मिल जाता है। ऐसे में बच्चे सही से कहीं घूमने ही नहीं जा पाते हैैं। बच्चों को कराया हुआ काम ही याद करने के लिए दे देना चाहिए।
आशाएक टाइम था जब बच्चों पर ज्यादा प्रेशर नहीं होता था और वे अच्छा परफॉर्म भी करते थे, लेकिन आज के टाइम पर बच्चों पर बचपन से ही प्रेशर क्रिएट कर दिया जाता है। उनसे बचपन से ही कहा जाता है कि तुम्हें अच्छे से पढ़ाई करनी है, क्लास में फस्र्ट आना है, काम पूरा करके ही आना है। ऐसे में बच्चों की प्रोडक्टिविटी पर भी असर पड़ता है।
डॉ। रविंद्र कुमार, साइकोलॉजिस्ट