बरेली (ब्यूरो)। स्पोट्र्स स्टेडियम में खेल के कोचिंग पर दो महीने का ब्रेक लग गया है। कारण यह कि सब एडहॉक कोचेज का कार्यकाल पूरा हो रहा है। आउटसोर्सिंग के जरिए नियुक्त हुए कोच का कार्यकाल सिर्फ एक साल का ही होता है। इसकी वजह से प्लेयर्स को सेल्फ प्रेक्टिस के भरोसे ही दो महीने बिताने होंगे। ऐसे में इस टाइम पीरियड में स्टेडियम तो खुला रहेगा पर कोच नहीं आएंगे।

गैपिंग की प्रॉब्लम
स्टेडियम में कई सारे खेल चल रहे हैैं, जिसमें वॉलीबॉल, हॉकी, एथलेटिक्स, जिम्नास्टिक, वेेट लिफटिंग, लॉन टेनिस, फुटबॉल, बॉक्सिंग, बैडमिंटन, क्रिकेट, बास्केटबॉल शामिल हैैं। इनमें हर खेल में 50 प्लस प्लेयर्स है। कुछ प्लेयर्स का कहना था कि कोच की प्रजेंस में जिस तरह प्रेक्टिस हो जाती है, उस तरह सेल्फ प्रेक्टिस नहीं हो पाती। गेम में कहीं न कहीं गैपिंग भी होने लगती है।

होती है परेशानी
हर साल कोच के चेंंज होने से प्लेयर्स को परेशानियों का सामना करना होता है, क्योंकि कोच और प्लेयर दोनों ही एक दूसरे के लिए नए हो जाते हैैं। नए कोच को प्लेयर्स को समझने में बहुत ही परेशानी होती है। ऐसे में दोनों को ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। वॉलीबॉल कोच अभिलाषा ने बताया कि वे यहां पर पांच साल से है वह उन्होंने देखा है कि हर साल कोच बदल जाते हैैं। इसकी वजह से दिक्कत तो आती है। वहीं खेलो इंडिया के जरिए चल रहे गेम हॉकी में कोई हॉलीडे नहीं होगा। हॉकी में कोच और प्लेयर्स को टाइमली प्रजेंट होना होगा। कोच शिल्पा ने बताया कि हॉकी स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के जरिए रेगुलेट हो रहा है। इसकी वजह से इसमें कोई ब्रेक नहीं दिया गया है।

डेट नहीं फिक्स्ड
सभी कोच के लिए अब तक रीज्वाइनिंग मंथ अप्रैल डिसाइड हुआ है। डिसाइड किया गया है कि कोच को सेम प्लेस पर ही दोबारा भेजा जाएगा या किसी नई प्लेस पर शिफ्ट किया जाएगा। कोच राजेश यादव ने बताया कि ऐसा कुछ फिक्स नहीं होता है कि सेम कोच को सेम प्लेस पर ही भेजा जाए। इसके अलावा रीज्वाइनिंग की कोई फिक्स डेट डिसाइड नहीं हुई है, क्योंकि इलेक्शन भी आ रहे हैैं। स्टेडियम में दो कोच संविदा पर भी नियक्ति हुए हैैं, जिनकी लीव डेट अभी डिसाइड नहीं हुई है। इसकी वजह से वे कब जा रहे हैैं, इसका पता नहीं है। इसमें वेट लिफ्टिंग कोच हरिशंकर और बॉक्सिंग कोच मुकेश यादव शामिल हैैं।

आउटसोर्सिंग से नियुक्ति
ज्यादातर खेलों में आउटसोर्सिंग के जरिए ही नियुक्तियां हुई हैैं। आउटसोर्सिंग का मतलब होता है किसी अदर पार्टी के जरिए नियुुक्ति होना। भारत सरकार ने स्पोर्ट कोच की नियुक्ति के लिए दो कंपनीज को इनवॉल्व किया गया था। इसमें लखनऊ की कंपनी अवनि परिधी और मुंबई की टीएनएम शामिल हैं, जो कोच की नियुुक्ति करती हैैं।

गेम कोच
एथलेटिक्स संध्या
जिम्नासटिक राजेश यादव
लॉन टेनिस मीनू
वॉलीबॉल अभिलाषा यादव
बास्केटबॉल सोनेंद्र श्रोतिया
क्रिकेट अमित यादव


इस खेल में नहीं थे कोच
स्टेडियम में 2023-24 सेशन में नियुुक्त हुए कोच में बहुत से खेेल ऐसे थे, जिनमें कोच ही नहीं थे। प्लेयर्स को इसमें सेल्फ प्रेक्टिस से ही काम चलाना पड़ा था। वहीं कुछ में तो प्लेयर्स ही कम हो गए। इसमें हैैंडबॉल, टेबल टैनिस, बैडमिंटन जैसे खेल शामिल थे। वहीं क्रिकेट जैसा खेल जिसमें कोच थे लेकिन वे दो-तीन महीने की लीव पर पहले से ही थे। इसकी वजह से सभी प्लेयर्स को सेल्फ प्रेक्टिस के भरोसे ही रहना पड़ा।

सिर्फ कुछ कोच परमानेंट
स्टेडियम में सिर्फ दो कोच ही पर्मानेंट हैं। इनमें फुटबॉल कोच शमीम और स्वीमिंग कोच सुमित शामिल हैं। आरएसओ जितेंद्र यादव भी परमानेंट लिस्ट में शामिल हैैं। इसके अलावा अदर कोच कंपनी और कोच की सुविधा के अनुसार चेंज होते रहते हैैं।

गैप पीरिएड में नहीं सैलरी
कोचेज ने बताया कि इस पूरे पीरियड में उन्हें कुछ पे भी नहीं किया जाता है। उन्हें इसमें कोई भी सैलरी नहीं मिल पाती है। इस साल कंपनी का टेंडर भी पूरा हो रहा है। इस दौरान नई कंपनी आएगी, जिसके बाद प्लेस डिसाइड किया जाएगा कि किसे कहां भेजना है।

कोच को दो महीने का लीव पीरियड मिलता है। यह पूरा प्रोसीजर सरकार द्वारा ही तय किया जाता है। कोच चेंज होने पर जरूर फर्क पड़ता है, लेकिन यह कोच और कंपनी ही तय करती है। इसमें हम लोग कुछ नहीं कर सकते हैैं।
जितेंद्र यादव, आरएसओ