बरेली (ब्यूरो)। नगर निगम का जलकल विभाग शहर के कई एरियाज में शुद्ध पेयजल के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। खासकर पुराना शहर, रबड़ी टोला, मढ़ीनाथ, सुभाषनगर और किला एरिया में यह समस्या अक्सर आती है। दूषित पानी पीने से लोगों में कई बीमारियां भी पनप रही हैं, लेकिन जिम्मेदारों का इस तरफ कोई ध्यान नहीं जाता है। डॉक्टर्स का कहना है कि शुद्ध पेयजल ही पीना चाहिए, क्योंकि दूषित जल पीने से हमारी बॉडी में स्किन एलर्जी, डायरिया, हेपेटाइटिस, डिसेंट्री और अन्य बीमारियां हो जाती है। इन बीमारियों से बचाव तभी हो सकता है, जब हम पीने के लिए शुद्ध पेयजल का उपयोग करें। बरेलियंस का कहना है कि दूषित पानी की समस्या को लेकर नगर निगम तक कंप्लेंट करने जाते हैं, लेकिन उनकी सुनवाई तब तक नहीं हो पाती जब तक लोगों का आक्रोश विरोध प्रदर्शन के रूप में सडक़ पर न उतर जाए।

नहाने लायक भी नहीं पानी
विगत दो माह से गंदे पेयजल की समस्या से जूझ रहे सूफी टोला, रबड़ी टोला और सैलानी के लोगों का सब्र का बांध जवाब दे गया। लोगों ने तीन मई को ईसाइयों की पुलिया पर जाम लगा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने नगर निगम मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। लोगों का कहना था कि उनके एरिया में गंदे पानी की समस्या और घरों में पानी का फ्लो कम होना आम बात हो गई है। जलकल विभाग से इस बारे में कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की जाती। इस बारे में कई बार प्रार्थना पत्र भी दिया जा चुका है। परेशान होकर लोगों को सडक़ों पर उतरना पड़ा। इसके बाद अगले दिन समस्या को हल कराया गया। परेशान लोगों का कहना है कि अगर जिम्मेदारों ने अब भी ध्यान नहीं दिया तो वे नगर निगम में पहुंचकर धरना प्रदर्शन करेंगे। लोगों का कहना था कि पीने योग्य तो दूर की बात है, वह पानी तो नहाने लायक भी नहीं है।

यहां सबसे अधिक समस्या
शहर के जिन एरिया में पानी की पाइप लाइन पुरानी हो गई है, वहां पर आए दिन पाइपलाइन टूट जाती है या फिर लीक हो जाती है। ऐसे में टूटी या फिर लीक पाइपलाइन में सीवर का पानी चला जाता है। वही पानी घरों में सप्लाई हो जाता है, जिसको पीने के बाद लोगों को बीमारी होना लाजमी है। जिम्मेदारों से इसकी शिकायत की जाती है तो वो दो चार दिन तो कार्रवाई हो रही है, ऐसा कह-कह कर ही गुजार देते हैं। उसके बाद समाधान में लंबा समय लग जाता है।

बच्चे भी बीमार
शहर के जिन एरिया में दूषित पेयजल की समस्या है वहां पर लोगों को का कहना था कि कई घरों में गंदा पानी पीने से बीमार हो गए हैं। कई बच्चों का इलाज भी चल रहा है। अब ऐसे में वह मजबूर होकर सडक़ों पर उतरे हैं, लेकिन जिम्मेदार इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। बुजुर्ग और बच्चे अब गंदा पानी पीकर बीमार हो रहे हैं, लेकिन नगर निगम के जलकल विभाग को कान में जूं भी नहीं रेंगती है, जबकि टैक्स भी वो लोग समय से जमा करते हैं फिर भी पेयजल भी शुद्ध मुहैया नहीं हो पा रहा है।

बीमारी से बचने को ये करें उपाय
- पेयजल कीटाणुरहित, फिल्टर्ड और उबला हुआ होना चाहिए।
- अपने हाथों को ठीक से धोना सुनिश्चित करें और स्वच्छता बनाए रखें।
- बिना फिल्टर किए पानी का सेवन कभी न करें। यात्रा के दौरान साफ पानी पीना सुनिश्चित करने के लिए हमेशा एक पोर्टेबल फिल्टर या उबलते पानी का उपयोग करें।
-क्लोरीन कीटाणुनाशक का उपयोग करें कि संरक्षित किया गया कोई भी पानी साफ रहता है।
-खतरनाक बैक्टीरिया को मारने के लिए नहाने से पहले पानी में एंटीसेप्टिक लिक्विड की कुछ बूंदें मिलाएं।

पीने को मिल रहा काला पानी
नगर निगम पानी का टैक्स और हाउस टैक्स तो पूरा समय से जमा करवाता है, लेकिन पेयजल के नाम पर जो घरों में सप्लाई मिल रही है, वह ठीक नहीं है। मोहल्ले के अधिकांश घरों में पेयजल के नाम पर काला पानी आ रहा है।
-सलीम खान

-नगर निगम द्वारा दी जा रही वाटर सप्लाई बहुत गंदी मिलती है। इतना काला पानी आ रहा है कि अब उसे पीने के विषय में सोचना तो दूर की बात, लोग उससे नहा भी नहीं सकते हैं।
यासमीन

शहर के जिस भी एरिया से पेयजल से संबंधित कंप्लेंट आती है, उसे ठीक कराया जाता है। कुछ एरिया में जहां पाइप लाइन खराब है, उसे भी ठीक कराने का काम चल रहा है। शहर में शुद्ध पेयजल लोगों के घरों तक पहुंचे यह ही प्राथमिकता है।
सिद्धार्थ कुमार, एक्सईएन, जलकल विभाग

दूषित पेयजल से वैक्टीरियल बीमारियां होती है। यह पेट में जाएगा तो उल्टी आदि होती है तो आंतों से पानी निकल जाता है। वाटर लागिंग की कंडीशन में गंदे पानी में नंगे पैर चलने से पानी में चूहों की यूरिन भी होती है। वह स्किन से बॉडी में प्रवेश कर जाती है। इससे भी बुखार और लीवर आदि की समस्या होती है। दूषित पानी से यथासंभव बचना चाहिए।
डॉ। अनुपम शर्मा, फिजिशियन