बरेली (ब्यूरो)। पुलिस का रजिस्टर नंबर 8 अंग्रेजों के जमाने से लेकर अब तक चल रहा है। डिजिटल दौर में भले ही सब कुछ ऑनलाइन हो गया हो, लेकिन यह रजिस्टर आज भी ऑफलाइन चल रहा है। इस रजिस्टर में आज भी अंग्रेजों के जमाने के अपराधियों के नाम दर्ज हैं। यह रजिस्टर हमेशा ही मोहल्ला और ग्रामवार चलता रहता है। कोई घटना होने पर सबसे पहले रजिस्टर नंबर 8 को ही पलटा जाता है। इस रजिस्टर से ही पुलिसकर्मियों को अपराधी के आपराधिक रिकॉर्ड और उसकी हिस्ट्री के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त होती है। खास बात यह है कि अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान वे सबसे पहले रजिस्टर नंबर 8 को ही महत्व देते हैं।

दर्ज होते हैं दूसरे जनपदों के भी मामले
बता दें कि रजिस्टर नंबर 8 पुलिस का सबसे महत्वपूर्ण रजिस्टर है। कोई भी घटना होने पर पुलिस आपराधिक मामला रजिस्टर नंबर 4 में दर्ज करती है। इसके साथ ही पुलिस घटना के तुरंत बाद ही अपराधी के व्यक्ति के मोहल्ला और ग्राम का पूरा ब्योरा दर्ज करने के बाद उसको रजिस्टर नंबर 8 में दर्ज किया जाता है। यह ही नहीं किसी भी अपराधी के पकड़े जाने पर संबंधित थाने से संपर्क करने के बाद पुलिस पर्चा काटकर संबंधित थाने को भेजती है। इसके बाद उसे रजिस्टर नंबर 8 में दर्ज किया जाता है ताकि पुलिस को उसके किए गए सभी क्राइम के बारे में जानकारी रहे।

चस्पा होती है हिस्ट्री शीट
कहीं पर कोई भी घटना होने के बाद गैंगस्टर, गुंडा एक्ट और अपराधी की हिस्ट्रीशीट खुलने के बाद संबंधित थाने को भेज दी जाती है। इसके बाद संबंधित थाना अपराधी का रिकॉर्ड खंगालने के बाद उसको रजिस्टर नंबर 8 में चस्पा करता है। अपराधी के द्वारा फिर कोई घटना करने पर संबंधित थाने से संपर्क किया जाता है, जिसके बाद पुलिस को उसका आपराधिक रिकॉर्ड पूरी तरह प्राप्त हो जाता है। यह ही वजह है कि पुलिस किसी भी अपराधी को पकडऩे के बाद तुरंत ही उसका आपराधिक रिकॉर्ड खोज निकालती है।

ये हैं महत्वपूर्ण रजिस्टर
वैसे तो पुलिस तरह-तरह के कई रजिस्टर थानों में रखती है, जिसमें अपराधियों का हर तरीके का अपराध दर्ज रहता है। इसमें पुलिस द्वारा किए गए गुड वर्क के भी कई रजिस्टर मौजूद रहते हैं। अगर खास रजिस्टर्स की बात की जाए तो उसमें सबसे अहम रजिस्टर नंबर 8 होता है। यह रजिस्टर आजादी के बाद से अब तक लगातार गतिशील है। इसमें अपराधी की हर गतिविधि दर्ज की जाती है। इसके बाद दूसरे नंबर पर सबसे महत्वपूर्ण रजिस्टर नंबर चार होता है। इसे साल दर साल बनाया जाता है। इसमें साल भर में होने वाले अपराध को साल की संख्या और अपराध संख्या के हिसाब से दर्ज किया जाता है। इसके बाद पुलिस का एक रजिस्टर ऐसा होता है, जिसमें एफआर और चार्जशीट दाखिल की जाती हैं। मौजूदा समय में पुलिस के लिए आगंतुक रजिस्टर और हेल्प डेस्क के जनसुनवाई और महिला अपराध से संबंधित रजिस्टर महत्वपूर्ण बने हुए हैं। इन रजिस्ट्रेशन के सहारे अपराधियों का पूरा रिकॉर्ड कलेक्ट किया जाता है।

निरीक्षण में देखे जाते हैं रजिस्टर
गौरतलब है कि पुलिस अधिकारी आए दिन थाने का निरीक्षण करते हैं। इस दौरान पुलिस अधिकारी ज्यादातर थानों की सफाई व्यवस्था और अन्य व्यवस्थाओं पर नजर डालते हैं। निरीक्षण के दौरान हर एक रजिस्टर की बारीकी से जांच पड़ताल अधिकारी करते हैं। अगर किसी थाने में यह रजिस्टर इनकंप्लीट मिलता है तो इसके लिए संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है।

समय-समय पर थानों का निरीक्षण किया जाता है। सभी रजिस्टर चैक किए जाते हैं और पुलिसिंग को लेकर दिशा निर्देश दिए जाते हैं। निरीक्षण के दौरान खामी पाए जाने पर संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। रजिस्टर नंबर 8 लगातार चलता रहता है ताकि अपराधियों की गतिविधियों के बारे में जानकारी होती रहे।
-डॉ राकेश सिंह आईजी