बरेली (ब्यूरो)। जस्ट इमेजिन लाइफ में कोई कलर ही नहीं है। हमारे आसपास सब कुछ ब्लैक एंड व्हाइट ही है। ऐसे मेें लाइफ कितनी बोरिंग हो जाएगी। लाइफ में कलर्स हमारी हैप्पीनेस में चार चांद लगा देते हैं। खुशी हो या दुख हर तरफ रंगों का बहुत महत्व होता है फिर चाहे वह रंग हमारे आसपास हो या फिर हमारे खानपान में। रंगों ने साइकोलॉजी से लेकर फिलॉसफी तक हर जगह अपना ही रंग बिखेरा हुआ है।

रखते हैैं हमें हेल्दी
ग्रीन कलर : बॉडी को हेल्दी रखने के लिए हरे रंग वाले खाने का सेवन करना चाहिए, जिससे बॉडी में किसी भी तरह के पौष्टिक आहार की कमी न हो।

रेड कलर: रेड कलर की चीजें खाने से विटामिन ए की कमी दूर होती है और यह स्किन को हेल्दी रखते हैैं। जैसे कि टमाटर, वॉटरमेलन आदि।

ब्राउन, मरून कलर: इस कलर के आहार का सेवन करने से बॉडी में फाइवर की कमी नहीं होती है। यह बॉडी को क्लीन रखता है, जैसे कि बीन्स, होल ग्रेन

ब्लू, परपल: यह कलर बॉडी में एंटीऑक्सीडेंट की तरह बिहेव करता हैै, जो थ्वार्ट डिजीज को प्रीवेंट करने में भी हेल्प करता है, जैसे ब्लू बैरी, ग्रेप्स आदि।

व्हाइट कलर: व्हाइट कलर जम्र्स को किल करने में मदद करता है। इस कलर का खाना खाने से बॉडी में एंटीऑक्सीडेंट क्रिएट होता है। जैसे गार्लिक और कॉलीफ्लॉवर

लाइट ग्रीन: ग्रीन कलर का सेवन करने से बॉडी में हेल्दी सेल्स पैदा होते हैैं। बॉडी में विटामिन के की कमी नहीं होती है। जैसे कबेज और बॉकली

डार्क ग्रीन: इस कलर के खाने के सेवन से बॉडी में आइरन की कमी नहीं होती है। फोलेट फॉर हेल्दी ब्लड। इसमें स्पैनिश और अदर ग्रीन वेजीज शामिल हैं।

ऑरेंज: इस कलर का सेवन करने से बॉडी में विटामिन सी की कमी नहीं होती है और यह इम्यूनिटी को बूस्ट करता है। जैसे कैरेट और पम्पकिन आदि।

फिजिक्स ने निखारा
फिजिक्स ही है, जिसने अलग-अलग रंग को डिफरेंशिएट करना सिखाया है। इसी ने बताया कि व्हाइट कलर सात कलर्स से मिलकर बना है। लाइट का स्पेक्ट्रम बहुत ही बड़ा है। कई कलर तो ऐसे भी हैं, जिन्हें हम नैकेड आई से देख नहीं सकते हैैं। ह्यूमन आई के लिए चार हजार एंग्सट्राम से लेकर आठ हजार एंग्सट्राम तक का होता है। वैसे तो हर कलर के पीछे अलग ही साइंस है। कलर इलेक्ट्रोमेगनेटिक रेडिएशन से एसोसिएटेड होते हैैं, जो एक फिक्स वेवलेंथ को रिप्रजेंट करते हैैं, जिसे नेकेड आई से देखा जा सकता है। ह्यूमन आई में विजिबल स्पैक्ट्रम में विबग्योर आता है। इसमें रेड, ऑरेंज, येलो, ग्रीन, ब्लू, इंडिगो, वॉयलेट आदि शामिल हैैं। अगर यूनिवर्स की बात की जाए तो यूनिवर्स में 18 डीसिलियन कलर अवेलेबल हैैं।

कलर दो तरह के होते हैैं
प्राइमरी कलर्स
सेकंड्री कलर्स

रंग-रंग का खेल
रंग ह्यूमन साइकोलॉजी को शो करते हैं। रंगों की पसंद लोगों की पहचान करने में मदद करती है। कई रिसर्च में यह साबित हुआ है कि अलग-अलग रंगों का अलग-अलग असर होता है। साइंस बताता है कि ब्लू रंग शांति का प्रतीक होता है। वहीं पीला रंग हैप्पीनेस और एनर्जी को शो करता है। ग्रीन रंग उम्मीद और नई शुरुआत का प्रतीक होता है। रेड रंग प्रोत्साहन और गंभीरता का प्रतीक होता है।

रेड कलर : यह रंग प्रेम, उत्साह, गंभीरता और प्रोत्साहन का सिंबल है। इसे अक्सर प्यार और प्रेम को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

येलो कलर : यह कलर एनर्जी और खुशी का प्रतीक होता है। यह कलर लाइफ में मनोदशा को पॉजिटिव रखने में मदद करती है। इसके अलावा हैप्पीनेस को बढ़ाता है।

ग्रीन कलर: यह कलर उम्मीद, फ्रेशनेस और नई शुरुआत का प्रतीक होता है। यह रंग ताजगी और एंवायरमेंटल फीलिंग को क्रिएट करता है।

ब्लू कलर: यह रंग पीस, रेस्ट और सेल्फ कॉन्फिडेंस का प्रतीक होता है। इसे अक्सर आत्मविश्वास को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इस रंग से मच्छर भी दूर भागते हैं।

व्हाइट कलर: यह शुद्धता, सादगी और शांति का सिंबल होता है। इसे शुद्धता और पवित्रता के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसकी धार्मिक मान्यता भी है।

मूड पर डालता प्रभाव
बरेली कॉलेज के प्रो। राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि रंगों का सलेक्शन हमारी भावनाओं और मूड पर डायरेक्ट असर डालता है। वाइब्रेंट और ब्राइट कलर जैसे रेड, येलो, ऑरेंज हमें खुश और एनर्जेटिक फ ल करवाता है। पेस्टल और सॉफ्ट कलर जैसे लाइट गुलाबी, बेबी पिंक और स्काई ब्लू हमें शांत और रिलैक्स फ ल करवाता है।

धार्मिक महत्व
रंगों का धार्मिक महत्व भी है। हर धर्म में कलर का अलग-अलग सिंबल होता है। कुछ रंग सांस्कृतिक और धार्मिक इंपॉर्टेंस को शो करते हैैं, जैसे
शादियों में लाल रंग का इस्तेमाल किया जाता है। रेड कलर खुशियों, सुहाग और शुभ काम को शो करता है। ग्रीन कलर पॉजिटिविटी को शो करता है। ऐसे ही हर कलर की अलग महत्ता है।

फैक्ट एंड फिगर
4,595 लोगों पर हुआ सर्वे
30 कंट्रीज को किया था शामिल
51 प्रतिशत लोगों ने ब्लैक को दुख से जोड़ा
43 प्रतिशत लोगों ने व्हाइट को रिलीफ से किया कनेक्ट
68 प्रतिशत लोगों ने रेड को प्यार से जोड़ा
35 प्रतिशत लोगों ने ब्लू को रिलीफ से जोड़ा
39 प्रतिशत लोगों ने ग्रीन को कौनटेनमेंट से जोड़ा
52 प्रतिशत ने माना येलो हो जॉय का प्रतीक
25 प्रतिशत लोग परपल को प्लेजर से जोड़ा
36 प्रतिशत लोगों का मानना है ब्राउन है डिसगस्ड
44 प्रतिशत का मानना है ऑरेंज है ज्वायफुल
50 प्रतिशत ने कहा पिंक इज लव

कलर्स का यह भी यूज
एंशिएंट टाइम में कलर साइकोलॉजी का इस्तेमाल लोगों को ठीक करने के लिए किया जाता था। कलरोलॉजी का उपयोग आज भी अल्टरनेटिव है। 2020 के सर्वे में यह माना भी गया था। इसके इस्तेमाल से हॉस्पिटल में काम करने वालों को सुकून भी मिलता है।

-रेड कलर का यूज शरीर और दिमाग को उत्तेजित करने और परिसंचरण को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
-येलो कलर नर्व को स्टीमुलेट करता है और शरीर को शुद्ध करता है।
-ऑरेंज कलर का उपयोग फेफ ड़ों को ठीक करने और एंर्जी लेवल को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- नीला रंग बीमारियों को शांत करता है और दर्द का इलाज करता है।
- इंडिगो शेड्स त्वचा की समस्याओं को कम करते हैं


कलर पर ही पूरी साइकोलॉजी डिपेंड करती है। हर किसी का माइंड कलर के अनुसार बदलता है। यह ही वजह है कि जब कोई परेशान होता है तो वह अपनी सोशल साइट पर वैसा ही शो करने लगता है। कई लोग तो अपनी डीपी भी हटा देते हैैं। वहीं हॉस्पिटल में ग्रीन और पिंक कलर का ही इस्तेमाल किया जाता है।
डॉ। आशीष, साइकोलॉजिस्ट

लाइफ में कलर बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले करता है। हिंदू माइथोलॉजी में भी रंगों का अपना एक अलग स्थान है। कलर सलेक्शन हमारी पर्सनालिटी को शो करता है। पुराने समय की बात करें तो लोग टेसू और दूसरे फूलों के रंगोंं का इस्तेमाल किया करते थे।
-डॉ। राकेश कुमार गुप्ता, प्रोफेसर, बरेली कॉलेज

हर कलर किसी न किसी विटामिन को शो करता है। जैसे कि हरा रंग विटमिन-ई, डी, आयरन आदि को शो करता है। कलरफुल और अच्छे प्रजेंटेशन का खाना हमारी एपीटाइट को भी बढ़ाता है। अगर एक ही कलर का खाना बिना किसी प्रॉपर प्रजेंटेशन के खाते रहेंगेू तो हमारे मन को खराब कर देता है।
-डॉ। मुक्ता वोहरा, डायटीशियन