बरेली (ब्यूरो)। आज के दौर में हर किसी को अपनी लाइफ में स्पेस चाहिए फिर चाहे वो घर में हो या बाहर। फैमिली में हो या फिर पति-पत्नी के बीच। अगर स्पेस न मिले तो लोग इरिटेट होने लगते हैैं, जो कहीं न कहीं झगड़ों की वजह बन जाता है। ये ही झगड़े आगे चलकर दो लोगों के रिलेशन को डिसबैलेंस कर देते हैैं और बात अलग होने तक पहुंच जाती है। इसकी वजह से न सिर्फ दो लोगों का रिलेशन खराब होता है, बल्कि दो परिवारों के बीच के संबंध भी खराब हो जाते हैैं। परामर्श केंद्र पर आए दिन ऐसे केसेज सामने आते रहते हैं। कई केस तो ऐसे आते हैैं कि लोग एक-दूसरे से बात करना तो दूर की बात, चेहरा भी नहीं देखना चाहते हैैं। ऐसे ही कुछ कपल्स से हमने बात की तो उन्होंने अपनी फीलिंग ओपनली शेयर कीं।

नीड नहीं हो रही कम
लोगों में पेशेंस लेवल कम होता चला जा रहा है। बात इतनी बढ़ जाती है कि लोग एक-दूसरे के साथ कोऑपरेट तक नहीं करना चाहते हैं। साल की शुरुआत जहां परिवार को साथ रखने से होती है, वहीं पहला महीना खत्म होते-होते कई परिवार टूटने के कगार पर भी जा पहुंचते हैं। आंकडों की बात करें तो साल के पहले महीने में 25 जनवरी तक 47 केस सामने आ चुके हैैं। एसआई आयशा ने बताया कि लोगों की अपेक्षाएं पहले से अधिक बढ़ गई हैं, जिनके पूरे न हो पाने पर फैमिली में डिस्प्यूट बढऩे लगे हैं। यह ही वजह है कि रिश्ते टूट रहे हैैं। लास्ट ईयर करीब 1500 ऐसे केस सामने आए थे।

नहीं समझ रहे फीलिंग
परामर्श केंद्र पर आए कपल्स से जब हमने बात की तो अधिकांश में एक कॉमन प्रॉब्लम देखने को मिली कि वे एक दूूसरे की फीलिंग्स को समझना ही नहीं चाहते हैैं। एक -दूसरे की छोटी-छोटी बातों को इतना दिल से लगा लेते हैैं कि एक अच्छे खासे रिश्ते को ही तोडऩे में जुट जाते हैैं। घर की रोजाना होने वाली प्रॉब्लम्स को ईगो पर ले लेते हैैं और एज अ रिजल्ट वो बातें तिल का ताड़ बन जाती हैैं।


केस : शालिनी नाम की एक महिला ने बताया कि मेरे पति मेरी बात नहीं सुनते हैं। सास और देवर की बातों में आकर मेरे साथ मारपीट करते है। उनका कहना था कि उनकी शादी को 20 साल हो चुके हंै। उनके बड़े-बड़े बच्चे हैैं, लेकिन आज तक एक ही चीज देखती चली आ रही हैं। बोलीं कि इससे पहले भी उन लोगों के बीच समझौता हो चुका है कि आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा, लेकिन इस बार तो हद ही हो गई। यहां से इतनी बार डेट लगाई गई, लेकिन पति एक बार भी नहीं आए।

खर्च न देने की कंप्लेंट
आज के टाइम पर पैसा सबसे बड़ी प्रॉब्लम बन गया है। लोगों के अपनी डेली लाइफ के खर्च ही नहीं पूरे हो रहे हैैं। शो ऑफ बहुत बढ़ गया है। परिवार परामर्श केंद्र की एसआई आयशा ने बताया कि लोग अपने खर्च ही नहीं मैैनेज कर पा रहे हैं। उनमें सबसे बड़ी प्रॉब्लम घर खर्च को लेकर आती है। पत्नी का कहना होता है कि पति मेरा खर्च ही नहीं उठा पा रहे हैैं। इसके अलावा अगर पतियों की मानें तो वे कहते हैैं कि उनकी इतनी इनकम ही नहीं है कि वाइफ को हर महीने बाहर ले जाएं व हर महीने एक बंधा हुआ अमाउंट वाइफ को दे पाएं। एसआई आयशा के अनुसार कुछ केस तो जेन्यून होते हैैं। वहीं कुछ केसेज में हसबैंड्स जानबूझ कर वाइफ को तंगी में रखते हैैं।

केस: साहिल और हिना के बीच हुए आपसी मदभेद की सबसे बड़ी वजह घर खर्च ही है। हिना का कहना है कि उनके पति उन्हें घर खर्च ही नहीं देते हैैं व अपने सारे खर्च फ्री होकर पूरे कर रहे हैैं। जब मुझे खर्च देने की बात आती है तो इनके पास पैसे ही नहीं होते हैैं। वहीं उनके पति का कहना है कि मैैं एक गोडाउन में काम करता हूं। हर महीने एक बंधा हुआ पैसा नहीं दे सकता हूं। उनके अनुसार हर महीने इतना खर्च वह नहीं समेट सकते हैं। इस बात के कारण ही उन दोनों का रिश्ता अलगाव तक आ पहुंचा है।

इंटरफेयरेंस नहीं पसंद
पति और पत्नी के बीच एक और बड़ी प्रॉब्लम होती है। एक्चुअली आज के टाइम में पत्नियों को दांपत्य जीवन के बीच किसी थर्ड परसन का इंटरफेयरेंस जरा भी पसंद नहीं होता। वे एक अलग स्पेस चाहती हैं। उनके बीच होने वाले किसी मैटर में जब परिवार को कोई अन्य व्यक्ति बोलता है तो बहुत बार बात बनने के बजाय और भी बिगड़ जाती है। महिला पक्ष की मानें तो ससुराल पक्ष के लोग कभी उन्हें सपोर्ट नहीं करते हैैं और हमेशा उन्हें ही समझाते रहते हैैं। वहीं पुरुष पक्ष की मानें तो महिलाएं कभी समझने की कोशिश ही नहीं करती हैैं।

केस : शालिनी का कहना है कि मेरे पति मेरी कोई भी बात कभी भी सुनते ही नहीं है। दूसरों की बातें सुन कर मुझे मारते-पीटते हैैं। ऐसे में इन सब से मैं अब बहुत थक गई हूं। जब मुझसे और अधिक नहीं सहा गया तो मैैं अपने मायके आ गई। बंदिशों भरी लाइफ मैं नहीं जी सकती। मेरी भी अपनी कुछ इच्छाएं हैं, कुछ अरमान हैं, जिनके पूरा न हो पाने का दुख मुझे परेशान करता रहता है। अब मामला परामर्श केंद्र में है, लेकिन मेरे पति सुनवाई के लिए यहां पर आते ही नहीं हैं।

हम लोग पूरी कोशिश करते हैैं कि लोगों की प्रॉब्लम्स हर पॉसिबल लिमिट तक सॉल्व कर दी जाएं, जिससे वे हंसी-खुशी अपने घर जाएं और एक सफल जीवन बिता सकें। यहां पर लोगों के रेगुलर सेशन लगाए जाते हैैं। अगर इस महीने की बात करें तो 25 जनवरी तक 47 केस हमारे यहां प्रजेंट हुए हैं।
आयशा, एसआई, परिवार परामर्श केंद्र