बरेली (ब्यूरो)। कानों को स्वस्थ्य और सुरक्षित रखना आज के टाइम में एक टफ टास्क है। बाहर हो या घर, हर किसी के कानों पर एक यंत्र लगा ही रहता है जिसे कई नामों से जाना जाता है जैसे इयर फोन, हेड फोन, नेक बैंड, इयर बड, इयर डॉप्स आदि। इनका रेगुलर वे में यूज करना बहुत ही नुुकसानदायक है। इसका एहसास तब होता है, जब प्रॉब्लम ज्यादा बढ़ जाती है। इससे टिनिटस की प्रॉब्लम सामने आ सकती है। हाई बीपी, डायबिटीज, एनीमिक पेशेंट्स में इसकी संभावना अधिक बढ़ जाती है।

क्या है टिनिटस
टिनिटस आज के टाइम पर लोगों में होने वाली एक कॉमन प्रॉब्लम है। इसमें कानों में सनसनाहट एहसास होता है। कई बार घंटी बजने की आवाज भी आती रहती है। अगर यह प्रॉब्लम गंभीर हो जाती है तो किसी भी काम में धीरे-धीरे फोकस कम होने लगता है और भिनभिनाहट की आवाज तेज हो जाती है। यह बीमारी दो तरह की होती है। टिनिटस दो तरह की होती है। नंबर एक सब्जेक्टिव टिनिटस, जिस का मतलब होता है वह आवाज, जो केवल पेशेंट को ही सुनाई देती है। दूसरी ऑब्जेक्टिव टिनिटस यानि कानों में होने वाली वह आवाज, जो दूसरों को भी सुनाई देती है।

कम उम्र में बढ़ रही परेशानी
इएनटी डॉ। पुलकित ने बताया कि टिनिटस की वजह से हियरिंग लॉस तक की प्रॉब्लम हो जाती है। इसकी वजह से आवाज लगातार आती रहती है। जहां पहले यह दिक्कत 50 साल के लोगों में देखी जाती थी, वहीं अब कम उम्र के लोगों में यानी युवाओं में देखी जा रही है।

ऐसा करने से बचें
लोगों की आदत होती है कि वे अक्सर दूसरे लोगों का भी हेडफोन यूज कर लेते हैं। यह आदत बहुत ही बुरी होती है। इसकी वजह से कानों में इंफेक्शन की समस्या बढ़ जाती है। कानों में इसका पता रात में ज्यादा चलता है। ऐसे में लोगों में एंग्जायटी और स्ट्रेस से समस्या और बढ़ जाती है। इस कंडीशन में लाउड साउंड से बचना चाहिए।

टिनिटस के कारण
कानों में इंफेक्शन
कानों में वैक्स का जमा होना
सर या गर्दन में चोट लगना
एज लिमिट
मेडिसन का साइड अफेक्ट
हेडफोन का एक्सेसिव यूज
हाई बीपी, डायबिटीज, ऐनीमिया
स्ट्रैस
एज रिलेटिड हियरिंग लॉस
थायरॉइड

क्या होती है प्रॉब्लम
काम में मन न लगना
नींद पूरी न होना, घबराहट होना
-ड्रिप्रेशन होना

सावधानी है जरूरी
-अधिक शोर से दूरी बनाए
-लाउड साउंड सुनने से बचे
-लेट कर खाना या पानी नहीं
-नहाते समय कानों में रूई लगा लें, कान में पानी जाने से कम सुनने की समस्या हो सकती है।
-किड्स को गर्दन के ऊपर की तरफ रखकर ही दूध पिलाएं।
-ग्रीन वेजिटेबल और विटामिन बी का सेवन करना चाहिए, जिससे नर्वस सिस्टम स्ट्रांग हो जाए।


कई पेशेंट्स आते हैैं, जिनमें यह परेशानी होती है। ऐसे मेंं लीस्ट पॉसिबिलिटी वाले केस को भी मैने मेडिसिन से ही सही किया है। लोगों को टाइमली प्रॉपर ड्रीटमेंट कराना चाहिए।
-डॉ। पुलकित अग्रवाल, ईएनटी एंड एचएन सर्जन

टिनिटस में नर्व इरिटेट हो जाती हैं। ऐसे में आवाजें सुनाई देती है। कई बार यह काफी बढ़ जाता है। अब यंग एज में यह समस्या होने लग गई है। 70 से 80 परसेंट लोग ठीक हो जाते हैं। बस पूरा ट्रीटमेंट करने की जरूरत होती है।
-डॉ। गौरव गर्ग, एमएस ईएनटी, डायरेक्टर गर्ग हॉस्पिटल