बरेली (ब्यूरो)। रुहेलखंड विश्वविद्यालय दिन-ब-दिन अखाड़ा बनता जा रहा है। विश्वविद्यालय में पढऩे वाले छात्रों के बीच आए दिन विवाद हो रहे है। खास बात यह है कि आपसी विवाद में आउटसाइडर भी शामिल हो रहे है। यूनिवर्सिटी की सुरक्षा को तोडक़र यूनिवर्सिटी में छात्रों पर हमला करने की घटना किसी दिन अधिकारियों के लिए गले की फांस बन सकती है। बता दें कि पीजी हॉस्टल में हुई मारपीट के मामले में वार्डन का दायित्व संभाल रहे प्रोफेसर त्रिलोचन शर्मा ने तीन नामजद छात्रों के साथ ही 25 से 30 आउटसाइडर्स के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। इस मामले में पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ गाली-गलौचा, मारपीट और बलवे की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की हैं।

यह है पूरा मामला
रुहेलखंड विश्वविद्यालय के पीजी हॉस्टल के मेस में थर्सडे की दोपहर छात्र खाना खा रहे थे। मेस में बाहर से आकर कुछ आउटसाइडर खाना खाने लगे, जिसका छात्रावास के छात्रों ने विरोध किया। इसका विरोध करने पर बी फार्मा फिफ्थ के हिमांशु, अमन और लिटल ने 20 से 25 आउटसाइडर लोगों के साथ उन छात्रों पर हमला कर दिया। आरोपितों ने छात्रों को जमकर लाठी और डंडों से पीटा था। बचने के लिए छात्र भागे तो आरोपितों ने उन्हे दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था। इसमें एमए प्रथम वर्ष के छात्र मनोज कुमार वशिष्ठ, महेश शुक्ला और आकाश सिंह बुरी तरह से घायल हुए थे। उनका उपचार एक मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। इस मामले में वार्डन प्रोफेसर त्रिलोचन शर्मा की ओर से हिमांशु, अमन और लिटल सहित 25 से 30 आउटसाइडर्स के विरुद्ध रिपोर्ट पंजीकृत कराई गई थी।

एक-दूसरे को बता रहे जिम्मेदार
बता दें कि इस मामले में चीफ प्रॉक्टर एके सिंह और वार्डन का दायित्व देख रहे प्रोफेसर त्रिलोचन शर्मा एक दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं। एके सिंह का कहना है कि आउटसाइडर हॉस्टल में कैसे दाखिल हुए, इसकी पूरी जिम्मेदारी वार्डन प्रोफेसर त्रिलोचन शर्मा की है। इस मामले को लेकर पूरे घटनाक्रम से वीसी प्रो। केपी सिंह को लिखित में रिपोर्ट भेजी जाएगी। वहीं दूसरी ओर वार्डन प्रोफेसर त्रिलोचन शर्मा का कहना है कि छात्रों पर हमला हॉस्टल के बाहर हुआ था। बाहरी लडक़े हॉस्टल में कैसे दाखिल हुए, इसकी जवाबदेही चीफ प्रॉक्टर की है। सिक्योरिटी होने के बाद भी कैसे बाहर के लडक़े दाखिल होते हैं। यह बड़ा सवाल है।

पूर्व में भी हुआ था झगड़ा
दो माह पूर्व भी आरयू कैंपस में छात्रों के दो गुटों में झगड़ा हो चुका है। यहां से एटा के राघवेंद्र और सिटी की पवन विहार कॉलोनी का बाला प्रताप शोध कर रहे हंै। राघवेंद्र विश्वविद्यालय परिसर में स्थित नानाजी देशमुख छात्रावास में रहता है, जबकि बाला प्रताप की कॉलोनी विश्वविद्यालय के पास बीसलपुर चौराहे के पास रहता है। विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग में दोनों को गेस्ट फैकल्टी के रूप में भी जिम्मेदारी मिली हुई है। गत दिवस राघवेंद्र और बाला प्रताप के बीच एक एक्सल शीट को लेकर विवाद हो गया था। आरोप है कि इसके बाद बाला प्रताप अपने पांच-छह साथियों के साथ छात्रावास में पहुंचा और राघवेंद्र पर सरिया और डंडों से हमला बोल दिया, जिसमें राघवेंद्र को काफी चोटें आईं थी। जिम्मेदारों ने आपसी विवाद होने की वजह से दोनों छात्रों को बैठाकर फैसला करा दिया था।