बरेली (ब्यूरो)। स्मोकिंग को आजकल लोगों ने एक फैशन ट्रैंड बना लिया है। यूथ की लाइफ में हेल्थ और हेल्दी जैसे शब्द सिर्फ नाम के ही रह गए हैं। लोगों को लगता है कि वे यह सब करके काफी कूल दिख रहे हैं, लेकिन ऐसा है नहीं। वेडनेसडे को सोशल मीडिया पर दिन भर नो स्मोकिंग डे टॉप ट्रेंड पर चलता रहा। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने इस बारे में जब गांधी उद्यान में आए लोगों, कॉलेज के स्टूडेंट्स और स्पोट्र्स स्टेडियम में प्लेयर्स से बात की तो उन्होंने अपने एक्पीरियंस शेयर किए।

दोस्त देते हैैं बढ़ावा
गांधी उद्यान में मिले शाहिद ने बताया कि उन्हें स्मोकिंग की आदत उनके दोस्तों से लगी थी। वह उनके साथ रहते थे। पहले वह इसको इग्नोर करते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें इसमें इंंटरेस्ट आने लगा और आज वह बिना स्मोकिंग किए रह नहीं पाते हैं। स्टेडियम में मिले अनुराग ने बताया कि उनके घर के पास एक शॉप है, जहां कई लोग पान मसाला खाने आते हैं। उन्हें देखकर उन्हें मसाला खाने की आदत लग गई। उन्होंने बताया कि आजकल गल्र्स एंड ब्व्ॉयज दोनों में स्मोकिंग को लेकर कॉम्पटीशन चल रहा हैं। दोनों ही इस रेस का हिस्सा हो रहे हैं।

काउंसलिंग में बच्चे
जिला अस्पताल के मेल वार्ड में बच्चे स्मोकिंग की लत छुड़वाने के लिए काउंसलिंग करवाने के लिए पहुंच रहे हैैं। चाइल्ड काउंसलर ने बताया कि लास्ट मंंथ 29 बच्चे काउंसलिंग के लिए पहुंचे थे, जो डेंटल वार्ड से यहां रेफर होकर काउंसलिंग के लिए आते हैैं। उनको समझाया जाता है कि स्मोकिंग बहुत बड़ी प्रॉब्लम है। यह लॉन्ग टर्म के बाद क्योरेबल नहीं रह जाता है और लोग बैड रिडन तक हो सकते हैैं।

जिले में चल रहा अभियान
लोगों को स्मोकिंग से बचाने के लिए जिला अस्पताल की ओर से नो स्मोकिंग अभियान चलाया जाता है। हाल ही में लोगों को पुलिस लाइन, नगर निगम में लोगों को तंबाकू यूज के लिए जागरूक किया गया। इसके अलावा बीएसए, डीआईओएस आदि को भी बच्चों को नशा एवं धूम्रपान से मुक्तकरने के लिए अभियान चलाने के लिए पत्र भेजा गया है।

क्या कर रहा ट्रिगर
स्मोकिंग की लत लगने के बाद उसको छोडऩा इतना आसान नहीं होता है। कई ऐसे मूमेंट्स आते हैं, जहां बॉडी स्मोकिंग करने के लिए ट्रिगर हो जाती है। इससे बचने के लिए माइंड को डिस्ट्रेक्ट करने की योजना बनानी चाहिए। स्मोकिंग की इच्छा होने पर खुद को व्यस्त रखें। इसमें योग, गेम और अदर चीजें भी शामिल कर सकते हैं।

बाद में होता है असर
चेस्ट फिजीशियन डॉ। रजत अग्रवाल के अनुसार यंग एज में स्मोकिंग करने से इतना पता नहीं चलता है, लेकिन इसका असर 40 साल के बाद बहुत तेजी से होता है। जब एज के साथ हेल्थ खराब हो रही होती है। स्मोकिंग की वजह से लंग कैंसर कॉमन बीमारी है। इसकी वजह से 80 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है।

चेस्ट रिलेटिड प्रॉब्लम
प्रदूषण हर बीमारी की एक बड़ी परेशानी बनी हुई है। लोगों पर आसपास हो रहे एंवायरनमेंटल चेंज का काफी असर पड़ रहा है। इसके अलावा मौसम में हो रहे बदलाव भी परेशानी की वजह बनी हुई है। जिला अस्पताल में डॉ। नरेश सिंह ने बताया कि हर दिन चेस्ट प्रॉब्लम को लेकर लगभग 150 से 200 लोग आ रहे हैं। फेफ ड़ों से जुड़ी बीमारी हर दिन बढ़ती जा रही है। इस बीमारी की वजह से लोग कहीं न कहीं डिप्रेशन और एंग्जाइटी के भी शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा महिलाओं में टीबी, अस्थमा और अदर वायरल बीमारियां भी बढ़ रही हैं।

सोशल मीडिया पर कर रहा ट्रेंड
लोकेश गुरू नाम के यूजर ने लिखा कि मुझे स्मोकर्स से इसलिए चिढ़ है, क्योंकि वे अपने साथ-साथ दूसरों की लाइफ भी प्रभावित करते हैैं.हार्दिक नाम के यूजर लिखते हैं कि आज का यह दिन उन लोगों के लिए है, जो साल के 364 डे स्मोकिंग में बिता देते हैं। यह एक दिन उन लोगों को ब्रेक टाइम की तरह है।

डॉ। निधी वाधवा ने एक्स पर लिखा कि क्विटिंग द स्मोक इज नॉट ए सैक्रीफाइस। यह एक इंवेस्टमेंट है ब्राइटर फ्यूचर के लिए।

सरदारा राम नाम के यूजर ने लिखा कि नो स्मोकिंग डे उन लोगों के लिए एक रिमाइंडर है, जो स्मोकिंग के एडिक्टेड हो गए हैं और लाइफ में स्मोकिंग छोडक़र एक बेहतर चेंज लाना चाहते हैैं।

मोनी वर्मा नाम की यूजर ने लिखा कि धूम्रपान और तंबाकू जैसे नशीले पदार्थ राक्षसी प्रवृत्ति को जन्म देते हैं और मस्तिष्क की कार्य क्षमता को कम कर देते हैं। ये शरीर को दुर्बल बना देते हैं और मनुष्य की इच्छाशक्ति को नष्ट कर देते हैं इसलिए इनसे दूरी बनाकर रखें।

क्या हैं लक्षण
सांस लेने में तकलीफ
सीने में जकडऩ
गहरी सांस लेने में तकलीफ या दर्द
बीकनेस होना
लगातार वेट लॉस होना
रेस्पिरेटरी सिस्टम गड़बड़ाना
पैरों में सूजन
चलने-फिरने में सांस फूलना
हाथ कंपकपाना

कैसे करें क्योर
प्रॉपर ट्रीटमेंट लेना जरूरी है
रेगुलर एक्सरसाइज करना चाहिए, जिससे लंग्स स्वस्थ रहें।
भीड़-भाड़ वाली जगाहों से जाने से बचेें
मास्क का इस्तेमाल करें
धूल मिट्टïी से बचाव करें
स्मोकिंग को पर पूरी तरह से रोक लगाएं
प्रॉब्लम होने पर वैक्सीनेशन का सहारा लें

स्मोकिंग स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। यह सांस की प्रॉब्लम को बढ़ाता है और कैंसर को दावत देता है। यंग एज में इसका पता नहीं चलता है, इसका असर बाद में होता है। बीमारी बढ़ जाती है तो इसका इलाज भी बहुत ही महंगा हो जाता है कि कई लोग इसे अफॉर्ड भी नहीं कर पाते हैं।
डॉ। रजत अग्रवाल, पल्मोनोलॉजिस्ट

आज के टाइम में बीड़ी, सिगरेट पीने की वजह मेंटल प्रेशर है। जैसे-जैसे कल्चर बदल रहा है, लोगों का कंसन्ट्रेशन भी डेबिएट हो रहा है। ऐसे में लोग नए-नए रास्ते बनाने की कोशिश करते हंै, जिसमें स्मोकिंग, नशे जैसी चीजों को शामिल कर लेते हैं। ऐसे में मेंटल पीस ढूंढना चाहिए।
डॉ। ज्ञानेंद्र गुप्ता, पल्मोनोलॉजिस्ट

स्मोकिंग की वजह से आजकल हर कोई परेशान है। इसकी वजह से वो लोग जो स्मोकिंग करने वाले का पास मौजूद हैं, वे भी प्रभावित होते हैं। उनमें भी लंग्स की प्रॉब्लम सामने आ जाती हैं।
चंचल राजपूत

आज ही मैैं एक शॉप पर समान खरीदने गया था। वहां 10-12 साल का बच्चा जो कि बड़ी आराम से वहां खड़े होकर स्मोकिंग कर रहा था। पेरेंट्स को बच्चों का समझाना चाहिए, उन पर नजर रखनी चाहिए।
अविनाश