बरेली (ब्यूरो)।
सत्र 2024-25 शुरू हो गया है, लेकिन अभी तक एनसीईआरटी की बुक्स के स्टूडेंट्स को सही से दर्शन तक नहीं हो रहे हैैं। मार्केट में एनसीईआरटी बुक्स आज भी गायब हैं। कोतवाली क्षेत्र में कई बुक्स शॉप हैैं। कई शॉप्स में एनसीईआरटी बुक्स के बारे में मालूम किया गया, पर बुक्स नहीं मिली। पेरेंट्स बुक्स लेने पहुंचते हैैं तो बुक सेलर के पास एक ही जवाब होता है कि अभी तक बुक्स का सॉल्ट नहीं आया है। वहीं बुक्स को आने में 10 से 15 दिन का टाइम लग जाएगा, पर यह टाइम खत्म ही नहीं हो रहा है.
नहीं पूरी होती डिमांड
शहर कोतवाली के पास बुक्स सेलर से बात कि आखिर एनसीईआरटी बुक्स की डिमांड इतनी है पर पूरी क्यों नहीं हो रही है। ऐसे में बुक्स सेलर्स का कहना है कि एनसीईआरटी के लिए काफी पहले ही टेंडर दे दिया गया था, लेकिन फिर भी ऑर्डर की ही बुक्स टाइम पर नहीं आती है। महीनों पहले ही रिक्वायरमेंट भेज दी जाती हैं। पर हर साल का सेम ही हाल होता है कभी भी बुक्स एवेलेबल नहीं होती हैैं।
कई क्लास की बुक्स गायब
क्लास 6, 7, 9, 11 की एनसीईआरटी बुक्स तो पूरी मार्केट में नहीं हैै। वहीं कहीं-कहीं 10 और 12 की एनसीईआरटी बुक्स भी गायब हैैं। ऐसे में स्टूडेंट्स कब तक बुक्स का इंतजार करें। जल्द ही हर स्कूल की समर वैकेशन भी शुरू हो जाएंगी। ऐसे में गार्जियंस को चिंता बनी हुई है कि स्टूडेंट्स छ्ट्टियों में स्टडी नहीं कर पाएंगे।
आधी-अधूरी बुक्स से पढ़ाई
सेशन को शुरू हुए एक महीना बीत गया एनसीआरटी की बुक्स न होने की वजह से स्टूडेंट्स आधी अधूरी बुक्स से साथ पढ़ाई कर रहे हैैं। एनसीईआरटी की बुक्स की कमी की वजह से पेरेंट्स को अपने बच्चों को कम बुक्स से साथ ही पढ़ाना पड़ रहा हैैं। हर साल किताबों की किल्लत स्टूडेंट्स को झेलनी पड़ती है। कुछ पेरेंट्स से बात कि तो उन्होंने कहा कि ऐसे में कोर्स को पूरा करने के लिए उन्हें कई प्राइवेट पब्लिकेशन की बुक्स लेनी पड़ जाती है.
इनकी भी सुनिए
स्कूल्स में एनसीईआरटी की बुक्स लगाई जाती हैं, लेकिन जितने स्टूडेंट्स हों, उतनी बुक्स नहीं मिल पाती है। हर बार पेरेंट्स को बुक्स लेने के लिए नई डेट देनी पड़ती है। वैसे अभी जल्द ही बुक्स आ जाएंगी.
गुरु भाई मेहरोत्रा, ओनर, सरस्वती सदन बुक्स स्टॉल
एनसीईआरटी की बुक्स नहीं होनेे की वजह से अभिभावकों को ऑनलाइन स्टडी का ही सहारा लेना पड़ता है। फिर मार्केट से प्राइवेट पब्लिकेशन की बुक्स ली जाएं.
आदर्श शर्मा, गार्जियन
निजी पब्लिशर्स की बुक्स लेनी ही पड़ती है, क्योंकि एनसीईआरटी की बुक्स मिलती ही नहीं है। वहीं पता भी नहीं होता है कि बुक्स कब आएंंगी। हर बार एक नई डेट मिल जाती है।
अंगद कुशवाहा, गार्जियन