बरेली (ब्यूरो)। सडक़ों पर सुरक्षित सफर के लिए कायदे कानून भी बहुतेरे हैं, इनको फॉलो कराने के लिए सरकार का पूरा सिस्टम भी है, शासन से लेकर प्रशासन भी इसके लिए तरह-तरह की कवायद करता है, पर नतीजा वही ढाक के चार पात। सडक़ हादसों के रिकार्ड पर गौर करें तो इनको रोकने में न तो ट्रैफिक मैनेजमेंट असरदार साबित हुआ है और न ही अवेयरनेस। वर्ष 2023 अभी पूरा बीता भी नहीं है जिले में सडक़ हादसों की संख्या 1100 पार तक पहुंच गई है। हादसों का यह आंकड़ा बीते पांच सालों में सर्वाधिक है। साल बीतते-बीतते आंकड़ा नया रिकार्ड भी कायम कर सकता है।

पांच सालों में 2218 की मौत
सडक़ हादसों पर लगाम लगाना कितना जरूरी है, यह हादसों में जान गंवाने वालों की इस संख्या से समझा जा सकता है। रोड एक्सीडेंट के वर्ष 2019 से 2023 तक के आंकड़े बताते हैं कि इन पांच सालों में इन हादसों ने 2218 की जिंदगी निगल ली। इससे कितनों का सुहाग उजड़ा, कितने बच्चे अनाथ हुए, कितने माता-पिता का बुढ़ापे का सहारा छिना और कितने घरों की खुशियों को ग्रहण लगा, इसका तो सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है।

इस साल अब तक 431 ने गंवाई जान
सडक़ हादसों में इस साल अब तक जान गंवाने वालों का आंकड़ा देखें तो यह आंकड़ा 431 पहुंच चुका है। साल बीतने तक यह आंकड़ा 500 तक भी पहुंच सकता है। इस साल का जो आंकडृा प्राप्त हुआ है, वह नवंबर तक का ही है। सडक़ हादसों में वर्ष 2019 में सबसे अधिक 533 लोगों ने जान गवाई। अन्य सालों में भी इनकी संख्या 400 से अधिक ही है।

पांच साल में 3693 घायल
सडक़ हादसे हर साल हजारों लोगों का जीवन भी दुखदायी बना रहे हैं। यह वह लोग हैं जो इन हादसों में घायल हुए हैं। वर्ष 2019 से वर्ष 2023 नवंबर तक के हादसों में 3693 लोग घायल हुए हैं। इनमें से सैकड़ों तो ऐसे हैं, जिनकी जिंदगी अपने लिए ही मुसीबत बन गई है। हजारों लोग ऐसे हैं जो अब रोजी रोटी कमाने लायक नहीं रहे। इनकी जिंदगी भी दूसरों की मोहताज हो गई। इनमें कई ऐसे बच्चे भी होंगे जिनकी बचपन की खुशियां छिन गई।

वर्ष 2019 से 2023 तक हादसों का रिकार्ड
वर्ष मृतक घायल
2023 1101 431 932
2022 1050 487 886
2021 936 421 757
2020 680 346 425
2019 1093 533 693

हाईवे के हादसों कैसे लगे लगाम
सडक़ हादसों को रोकने के लिए ट्रैफिक मैनेजमेंट का प्रभावी होना जरूरी है। इसके लिए अवेयरनेस भी उतनी ही जरूरी है। स्मार्ट सिटी में ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए बहुत कुछ किया गया है, पर हाईवे में होने वाले हादसों को रोकने के लिए कोई विशेष कवायद नहीं की गई है। शहर में ट्रैफिक रूल्स को फॉलो कराने के लिए ट्रैफिक लाइट की व्यवस्था है तो ऑन लाइन चालान सिस्टम भी एक्टिव है। शहर के भीतर बड़े एक्सीडेंट की आंशका भी कम ही रहती है, जबकि हाईवे पर यह आंशका कई गुना अधिक होती है। हाईवे के हादसों में ही मृतकों की संख्या ज्यादा होती है।

यातायात माह: शोर ज्यादा फायदा कम
सडक़ हादसों पर लगाम कसने के लिए ही हर साल नवंबर को यातायात माह के रूप में मनाया जाता है। इस पूरे महीने यातायात जागरूकता के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ट्रैफिक पुलिस से लेकर परिवहन विभाग तक जगह-जगह अवेयरनेस कैंप आयोजित करता है। स्कूल-कॉलेजों में भी स्टूडेंट्स को ट्रैफिक रूल्स की जानकारी दी जाती है और सडक़ पर सुरक्षित चलने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। जागरूकता के लिए सरकारी विभागों से लेकर सामाजिक संस्थाएं तक भी दिखावा खूब करती हैं। इस सारी कवायद से सडक़ पर सफर कितना सुरक्षित हुआ, यह इस विशेष माह के हादसों से समझा जा सकता है।

वर्ष 2022 में टूटा रिकार्ड
वर्ष 2019 से 2023 तक के नवंबर में हुए हादसों पर नजर डालें तो वर्ष 2022 में सर्वाधिक हादसे हुए। इस साल कुल 111 हादसे हुए और इनमें 52 लोगों की जान गई तो 80 घायल हुए। इसके बाद वर्ष 2019 के नवंबर में कुल 109 एक्सीडेंट हुए। इनमें 56 की जान गई तो 73 घायल हुए। इस साल भी नवंबर तक 41 हादसे हो चुके हैं। इनमें मृतकों की संख्या 15 है तो घायलों की संख्या 47 है।

पांच सालों में 402 हादसे, 191 मौतें
वर्ष 2019 से 2023 तक के नवंबर में हुए हादसों का रिकार्ड बता रहा है कि इस यातायात जागरूकता महीने में कुल 402 हादसे हए। इनमें 191 की जान गई तो 312 घायल हुए। यह आंकड़े यातायात माह के दौरान चलाए गए अवेयरनेस प्रोग्राम और हादसों को रोकने के लिए किए गए प्रयासों की हकीकत बयां कर रहे हैं।

नवंबर में हुए सडक़ हादसे

वर्ष कुल हादसे घायल मृतक
2019 109 56 73
2020 64 33 45
2021 77 41 64
2022 111 46 83
2023 41 15 47


सडक़ हादसों पर लगाम लगाने के लिए ट्रैफिक माह, ट्रैफिक सप्ताह और समय समय पर अवेयरनेस कार्यक्रम किए जाते हैं। इसके लिए स्कूलों में जाकर भी स्टूडेंट्स को ट्रैफिक रूल्स फॉलो करने के लिए समझाया जाता है। अब तो शहर के कई चौराहों पर ऑनलाइन चालान की भी व्यवस्था की गई है। जहां पर कोई भी ट्रैफिक रूल्स तोड़ेगा तो उसका चालान ऑटोमेटिक हो जाएगा।
राममोहन सिंह, एसपी ट्रैफिक हादसों का साल न बन जाए साल 2023