बरेली (ब्यूरो)।

कहते हैं जोडिय़ां ऊपर वाले बनाते हैं। हमारे पेरेंट्स तो मेल कराते हैं, लेकिन हाईटेक एरा में कुछ बदलाव आया है। जोडिय़ा अभी भी बन रही हैं लेकिन अब मिलाने का काम व्हाट्सएप ग्रुप और वेबसाइट ग्रुप और वेबसाइट के जरिए होने लगा है। सोशल मीडिया के इस दौर में अब जोडिय़ां रब नहीं बल्कि फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुप पर बन रही हैं। बरेली में अलग-अलग जातियों और कम्यूनिटी के तमाम ऐसे संगठन हैं, जो बकायदा वेबसाइट और ग्रुप तैयार कर जोडिय़ां बनाने का काम कर रहे हैं। इससे रिश्तों को नई कनेक्टिविटी मिली है।

रिश्ता जोडऩे का चार्ज नहीं

समाज के ऐसे लोग जो व्यस्तम लाइफ के कारण अपने बच्चों के लिए सही रिश्ता तलाशने के लिए टाइम नहीं दे पाते हैं उनके लिए यह ग्रुप काफी कारगर साबित हो रहा है। ग्रुप के संचालन करने वाले मेंबर्स का कहना है कि वह इसके लिए कोई चार्ज किसी लडक़ा पक्ष या फिर लडक़ी पक्ष से नहीं वसूलते हैं। वह यह पूरा काम समाज सेवा के लिए फ्री में करते हैं। शादी बुक होने के बाद वह शादी में भी बुलाने पर जाते हैं। कई बार दूसरे प्रदेश में निमंत्रण होने पर उस एरिया के पदाधिकारी हो शादी में शामिल होने के लिए भेज देते है।

क्या है व्यवस्था

न्यूक्लियर फैमिली के कारण अच्छे रिश्ते न मिल पाने के कारण से समाज के लोगों ने ऑनलाइन व्यवस्था बनाई है। इसमें एडमिन की ओर से इच्छुक या रिश्ते सर्च करने वालों के लिए लडक़ा और लडक़ी का फोटो भी मिल जाती है। साथ ही यह भी बता दिया जाता है कि यदि किसी के परिवार से संबंधित जाति का कोई लडक़ा या लडक़ी हो तो उनका फोटो और मोबाइल नम्बर अपलोड कर सकता है।

दूसरे प्रदेशों तक एक्टिव

ग्रुप का संचालन करने वाले मेंबर्स की माने तो उनके इस ग्रुप में सिर्फ बरेली ही नहीं दूसरे प्रदेशों और दूसरे हर किसी के लिए रिश्ते संगठन द्वारा बनाया गया ग्रुप सिर्फ नॉन मैरिड लोगों की शादी कराने की जिम्मेदारी नहीं लेते, बल्कि एक विंडो, डायवोर्सी और जो कपल्स लंबे समय से एक दूसरे से अलग रहे रहे होते हैं उनके लिए भी रिश्ता बनाने का काम करते हैं।

10 वर्ष पहले किया था शुरू

ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष डॉ। योगेश शर्मा ने बताया कि दस वर्ष पहले वह देखते थे कि एक टीचर स्व। छेदालाल शर्मा सभी गल्र्स ब्वॉयज की डिटेल्स लेकर एक बुक प्रकाशित कराते थे। उसके बाद उस बुक्स में छपे हुए बायोडाटा के अनुसार लोग शादी के लिए बातचीत करते थे। उन्हीं को देखते हुए बाद में जब सोशल मीडिया पर लोग एक्टिव होने लगे, और उनके बाद कोई ऐसा प्लेटफार्म नहीं होने के कारण उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप बनाया। इसमें संपूर्ण भारत के पदाधिकारियों को जोड़ा। बताते हैं कि वह इससे पहले महानगर महामंत्री से जिलाध्यक्ष बने तो इसके लिए काम शुरू किया था। इसके बाद ग्रुप में कई सक्रिय मेंबर्स हो गए हैं।

करा चुके 76 शादियां
ग्रुप के माध्यम से होने वाली शादियों की खास बात है कि दहेज के लिए कोई शर्त नहीं रखी जाती है। ग्रुप मेंबर्स का कहना है कि इस ग्रुप के माध्यम से जो भी रिश्ता तय होता है वह ग्रुप से पूरी जानकारी पंसद आने के बाद परिवार वाले मिलकर अपना सहमति से रिश्ता तय करते हैं। अगर इसमें कोई समस्या आती है तो ग्रुप मेंबर्स भी सहयोग के लिए रेडी रहते हैं, लेकिन जो भी रिश्ता होता है उसमें दहेज के लिए कोई विशेष डिमांड आदि नहीं की जाती है। ग्रुप के माध्यम से अभी तक 76 रिश्ते हो चुके हैं और सभी सक्सेस हुए हैं।

मेबर्स करते हैं हेल्प
दूसरे प्रदेश का अगर किसी को कोई रिश्ता पंसद आता है तो उसके बारे में सटीक जानकारी अगर कोई लेना चाहता है तो ग्रुप मेंबर्स उस प्रदेश का जाकर उसके बारे में जानकारी देता है। ताकि कोई धोखा या फिर गलत इनफार्मेशन को लेकर परेशान न हो। शहर में इस तरह के कई लोग अपने अपने समुदाय और जाति के हिसाब से ग्रुप्स का संचालन कर रहे हैं।



ग्रुप बनाने का मकसद था कि लोगों के लिए बेहतर रिश्ते मिल सकें। इस ग्रुप के माध्यम से अब तक 76 लोगों की शादियां हो चुकी हैं सभी सक्सेस हैं। बिजी लाइफ में ग्रुप के माध्यम से लोग अपनी अपनी पंसद का रिश्ता भी घर बैठे तलाश लेते हैं। ग्रुप मेंबर्स इसमें कोई भी हेल्प करने का कोई चार्ज भी नहीं लिया जाता है।
- डॉ। योगेश शर्मा, टीचर