बरेली (ब्यूरो)। सीबीएसई बोर्ड एग्जाम स्टार्ट हो चुके हैं। वहीं यूपी बोर्ड के एग्जाम 22 फरवरी से आरंभ होने वाले हैं। ऐसे समय में स्टूडेंट्स की चिंता बढऩे लगी है। जहां स्टूडेंट्स को माक्र्स कम आने का डर सता रहा है, वहीं लोग क्या कहेंगे इसकी चिंता भी उन्हें परेशान कर रही है। इसके अलावा स्टूडेंट्स का कहना है कि पढ़ते टाइम चीजें ब्लैक आउट हो रही हैं। इस बात का समाधान ढूंढने के लिए उनके पैरेंट्स उन्हें लेकर हॉस्पिटल पहुंच रहे हैैं, जिससे मन में पनप रही नेगेटिविटी को दूर किया जा सके।

नहीं हो रहा कंसंट्रेशन
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बच्चे अपनी-अपनी परेशानी लेकर पहुंच रहे हैैं। इसमें सभी बच्चों को एक कॉमन प्रॉब्लम है कि पढऩे में मेरा मन ही नहीं लग रहा है। जब भी पढऩे बैठो तो थोड़ी-थोड़ी देर में कंसंट्रेशन हट जाता है। 30 मिनट भी लगातार नहीं बैठ पा रहे हैैैं। इसके अलावा बच्चों का कहना है कि कितना भी पढ़ लो, कुछ याद ही नहीं हो रहा है। माइंड से चीजें ब्लैक आउट हो रही हैं।

हो रही हेल्थ प्रॉब्लम
साइकोलॉजिस्ट डॉ। खुशअदा ने बताया कि हॉस्पिटल में कई बच्चे रोज आ रहे हैैं, जो एग्जाम फियर से ग्रस्त हैैं। ऐसे में बच्चों को पैनिक अटैक की समस्या भी देखने को मिल रही है। वे छोटी-छोटी बातों में अपसेट हो जा रहे हैैं। उन्हें नींद नहीं आ रही। इसकी वजह से वे ठीक तरह से कोई काम कर ही नहीं पा रहे हैैं।

नहीं देना चाह रहे एग्जाम
स्टूडेंट्स में सोशल और लोगों का प्रेशर इतना है कि वे काफी डरे हुए हैैं। ऐसे में वेे पास न होने के डर से एग्जाम छोडऩा ही बेहतर समझते हैैं। स्टूडेंट्स में परफॉमेंस का प्रेशर ज्यादा है।

पेशेंस लेवल है कम
आज के बच्चों में पेशेंस लेवल कम हो रहा है। उन्हें हर चीज तुरंत ही चाहिए। इसकी वजह से वे एग्र्रेसिव हो गए हैैं और ऐसे में वे कई बार अपने से बड़ों का सम्मान करना ही भूल जाते हैैं और उनसे भी बदतमीजी कर देते हैैं।

अनएंप्लॉयड रह जाने का डर
साइकोलॉजिस्ट डॉ। आशीष ने बताया कि यह पास होने का रिजल्ट नहीं बल्कि लाइफ का रिजल्ट है। यह ही कारण है कि आज के बच्चों में अभी से ही रिजल्ट का डर है। बच्चों का कहना है कि हम इंटरमीडिएट में पास हो या फेल भविष्य में जॉब्स तो हैैं ही नहीं। कई लोग आज पढ़ाई करने के बाद भी अनएंप्लॉयाड हैं। बच्चों में अभी से ही लाइफ में फेल हो जाने का डर सता रहा है। उन्होंने बताया कि उनके पास कई ऐसे पेशेंट्स आए, जिनके क्वेश्चन का आंसर ही उनके पास नहीं था।

थोड़ी एंग्जाइटी है जरूरी
साइकोलॉजिस्ट शिवानी ने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि थोड़ी एंग्जाइटी होना भी जरूरी है। यह एक नॉर्मल प्रॉसेस है। अगर किसी चीज का डर नहीं होगा तो काम करने में दिक्कत होगी। इसके अलावा एंग्जाइटी तब सीवियर हो जाती है, जब इसकी वजह से हमारे रोज के काम प्रभावित होने लगें। नहीं तो यह कोई बीमारी नहीं है।

सोशल मीडिया का भी डर
सोशल मीडिया भी स्टूडेंंट्स की कमजोरी बन गया है। जितना डर उन्हें फेल या पास हो जाने का नहीं है, उससे ज्यादा डर उन्हें वायरल हो जाने का है। जो चीज अभी हुई ही नहीं उसका अनुमान लोगों ने अभी से लगा लिया है कि कहीं फेल हो गए और किसी ने उसे पोस्ट कर दिया तो क्या होगा। इसके साथ-साथ बच्चों को समाज का डर भी सता रहा है कि समाज क्या कहेगा।

परेटो रूल करें फॉलो
डॉ। आशीष ने कहा कि लोगों को परेटो रूल का फॉलो करके पढ़ाई करनी चाहिए। इसका मतलब है कि भले ही 20 परसेंट पढ़ें, लेकिन सॉलिड पढ़ें। एग्जाम में पूरा पढऩे का टाइम नहीं होता है। ऐसे टाइम में पहले सबसे जरूरी चीजों को ध्यानपूर्वक पढ़ें फिर कम इंपॉर्टेंट चीजों पर नजर डालें। ऐसा करके पढऩे से बोझ कम रहता है।

ये करें काम
-माइंड का काम करने के लिए एक्सरसाइज है जरूरी
-रोज 40 से 45 मिनट तक मेडिटेशन करना चाहिए
-याद किया हुआ रोज रिवीजन करना चाहिए
-सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी नहीं हो सकती है तो कुछ टाइम के लिए ही बचें
-डाइट में हेल्दी फूड शामिल करें।
-रिवीजन के समय न करें हड़बड़ी
-स्ट्रेस से दूर रहने का प्रयास करें


स्टूडेंट्स को स्मार्ट स्टडी पर फोकस करना चाहिए। अब सब कुछ पढऩे का समय नहीं है। इसके अलावा स्टूडेंट्स को अपने बारे में सोचना चाहिए। दूसरा क्या कह रहा है, क्या सोच रहा है, इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
डॉ। आशीष, साइकोलॉजिस्ट

काफी स्टूडेंट्स के कॉल आते हैैं कि हम पेपर नहीं देना चाहते हैैं क्योंकि हमें कुछ याद नहीं हो रहा हैैं। हर दिन में कम से कम पांच से 10 ईशू आ जाते हैैं। स्टूडेंट्स में कंसंट्रेशन की प्रॉब्लम बढ़ी हुई है।
डॉ। शिवानी, साइकोलॉजिस्ट