बरेली (ब्यूरो)। आम बोलचाल में लोग अक्सर कहते हुए सुनाई देते है भगवान कानून के पचड़े से बताए। यहीं वजह है कि आम आदमी कोई जमीन, पुरानी गाड़ी, पुराना मोबाइल फोन समेत अन्य सामान खरीदने से बचता है, अगर वह खरीदता भी है तो उसकी पूरी छानबीन करने के बाद ही खरीदता है, ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न हो। लेकिन मामलों में लोग अंजाने में कानून के पचड़े में ऐसे फंस जाते है कि चाह कर भी उससे पीछा नहीं छुड़ा पाते है। इसका नतीजा यह होता है कि उन्हें न चाहते हुए भी थाने और कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते है।

माल मुकदमा
कोई भी सामान चोरी होने पर पीडि़त संबंधित थाने में मामले की एफआईआर दर्ज करा देते है। एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस केस की छानबीन में जुट जाती है। जांच पड़ताल में चोरी हुआ सामान पुलिस बरामद कर सील कर देती है। बरामदगी दिखाकर उसे कोर्ट में पेश किया जाता है। इसके बाद पीडि़त अपना चोरी हुआ सामान वापस लेने के लिए कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते है। कोर्ट से उसका सामान रिलीज किया जाता है। इसको पुलिस माल मुकदमा कहा जाता है।

आपसी विवाद में मुश्किलें
कई बार किसी सामान को लेकर लोगों में आपसी विवाद हो जाता है। ऐसे में एक युवक दूसरे पर अमानत में ख्यानत समेत अन्य आरोप लगाकर मामला दर्ज करा देता है। तो ऐसे मामलों में भी पुलिस समान जब्त कर लेती है।

गवां दी स्कूटी
कैंट थाना क्षेत्र में एक युवक महिला पार्टनर के साथ लिवइन रिलेश्न में रह रही है। महिला युवक की स्कूटी और मोबाइल प्रयोग कर रही थी। दोनों में बीते दिनों किसी बात को लेकर विवाद हो गया। इस दौरान महिला पार्टनर स्कूटी से कहीं चली गई और प्रयोग कर रही फोन भी ले गई। इस पर युवक ने महिला पार्टनर पर चोरी की एफआईआर करा दी। पुलिस ने महिला से दोनों ही चीजे बरामद कर ली। महिला ने भी युवक के बेटे पर रेप की कोशिश का मुकदमा करा दिया। हालांकि बाद में दोनों में समझौता हो गया। लेकिन युवक की स्कूटी फंस गई। क्योंकि जिस स्कूटी का मुकदमा लिखा था युवक पर उसका कोई भी कागज नहीं है। क्योंकि स्कूटी किश्तों पर कई साल पहले निकाली गई थी। जिसकी किस्त जमा नहीं हुई थी। जिस वजह से कंपनी ने उसकी आरसी नहीं थी। ऐसे में युवक कोर्ट से भी स्कूटी रिलीज नहीं करा सकता है।


उतारनी पड़ी पेंट
बता दें कि एक युवक की कुतुबखाना में जेब कट गई थी। कोतवाली पहुंचकर युवक ने घटना की जानकारी तत्कालीन इंस्पेक्टर वीरेन्द्र यादव को दी थी। युवक ने बताया था कि उसके पर्स में करीब तीन हजार रुपए थे। पुलिस ने अपने तरीके से मामले को निपटाने का प्रयास किया, लेकिन युवक एफआईआर करने की जिद पर अड़ गया। युवक ने इस मामले को लेकर तब के सत्ताधारी नेता को कॉल कर दी थी। इस पर इंस्पेक्टर ने तत्काल मुंशी को एफआईआर दर्ज करने और युवक की पेंट उतरवाकर सील की थी।

फंस गया मोबाइल
सिकलापुर की रहने वाली एक युवती सेटेलाइट पर प्राइवेट नौकरी करती है। उसका मोबाइल फोन उचक्का छीन ले गया था। इस दौरान युवती ने आरोपित को चौकी चौराहा के पास जाकर दबोच लिया था। युवक को भीड़ ने पीट दिया। युवती की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने दोनों को चौकी ले गई। यहां पुलिस ने युवती से एक तहरीर ली। इसके बाद पुलिस ने युवती का फोन भी ले लिया और दूसरे दिन आने को कहा। दूसरे दिन युवती थाने पहुंची। जहां उसे बताया गया कि फोन ऐसे नहीं दिया जा सकता है। क्योंकि वह फोन माल मुकदमा है। उसे कोर्ट से रिलीज कराना पड़ेगा।

अगर किसी सामान की चोरी या फिर लूट की एफआईआर दर्ज है। वह सामान पुलिस बरामद कर लेती है। तो सामान को सील कर मुकदमे में शामिल कर लिया जाता है। जिसके बाद उस सामान को कोर्ट से रिलीज कराना पड़ता है।
शिवराज, एसपी टै्रफिक