बरेली (ब्यूरो)। आजकल टीनएजर्स में कुछ कॉमन बीमारियां पाई जा रही हैं, जिसे अधिकांश इग्नोर कर दिया जाता है। इससे परेशानी बढऩे पर उन्हें लंबा ट्रीटमेंट लेना पड़ जाता है। यूटीआई यानी यूरीन ट्रैक इंफेक्शन इनमें से ही एक है, जो कि हाइजीन मेंटेन न करने और बाहरी इंफेक्शन की वजह से टीनएजर्स में कॉमनली पाई जा रही हैै। इसके अलावा एनीमिया, मैैंसुरेशन जैसी कई प्रॉब्लम्स हैं, जिसके लिए गल्र्स को अवेयर होना जरूरी है।

क्या है यूटीआई?
यूरीन ट्रैक इंफेक्शन यूरीनरी सिस्टम में इंफेक्शन की वजह से होती है। गाइनाकोलॉजिस्ट डॉ। हिमानी गोयल ने बताया कि यूटीआई की प्रॉब्लम होने की वजह से यूरीनेशन के दौरान जलन होने लगती है, बार-बार वॉशरूम जाना पड़ता है। इचिंग होने लगती है। इसके अलावा उल्टी जैसी कई और समस्याएं होने लगती हैैं। मौसम चेंज होने की वजह से कई बार फीमेल हाइजीन मेंटेन नहीं कर पाती हैं तो खतरा बढ़ जाता है।

यूटीआई के लक्षण
यूरिनेशन के टाइम दर्द या जलन
बार-बार टॉयलेट आना
पीठ और रिब्स के पास पेन होना
लोवर स्टोमक में दबाव फील होना
यूरीन में खून आना
बुखार या ठंड लगना
पेट दर्द होना
अजइजी फील होना
उल्टी आना
पेट दर्द
पेल्विक दबाव

लेक ऑफ इंफॉर्मेेशन
एडोलसेंट काउंसलर अल्पना सक्सेना ने बताया कि आज भी कई गल्र्स ऐसी हैैं, जिन्हेें यूटीआई, पैड के बारे में सही से जानकारी नहीं हैै। वहीं कई ऐसे मरीज आते हैैं, जिन्हें कुपोषण या एनीमिया की समस्या है। सभी केसेस में एक ही कॉमन प्रॉब्लम देखी गई है कि गल्र्स को इसे बारे में पता ही नहीं की यह प्रॉब्लम उन्हें क्यों हो रही है।

ट्रीटमेंट है जरूरी
कई बार लोग इसे मामूली परेशानी जानकार इलाज कराने से बचते हैं। ऐसे में यह एक सीवियर प्रॉब्लम बन सकती है। यूटीआई का शुरुआत में इलाज कराने से इसे जल्द ठीक किया जा सकता है। वहीं टाइम पर इलाज न होने की वजह से कई बीमारियां हो सकती हैैं।

यह होती हैं प्रॉब्लम्स
किडनी में इंफेक्शन
ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होना
बॉडी में इलैक्ट्रोलाइट्स इंबैलेंस होना
स्टोन होना

किडनी तक पहुंच जाता है इंफेक्शन
एडोलसेंट काउंसलर अल्पना सक्सेना बताती हैं कि रोज उनके पास 25 से 30 मरीज आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो इसमें पर्सनल हाईजीन सबसे ज्यादा मायने रखता है, पर टॉयलेट रोकने और पानी कम पीने के कारण लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि टॉयलेट रोकने पर यूरिनरी ब्लडर में पड़ा रहता है। पेशाब रोकने की वजह से यूरिनरी इंफेक्शन हो जाता है। कई बार यह ऊपर की तरफ भी जा सकता है। ऐसे में किडनी में इंफेक्शन हो सकता है।

न करें यूरीन कंट्रोल
डॉ। हिमानी गोयल ने बताया कि आमतौर पर पानी कम पीने से स्टोन बनने के चांस रहते हैं। इससे कंस्ट्रेटेड यूरिन हो जाता है। इसमें पानी कम पीना सबसे बड़ी वजह है। उन्होंने बताया कि सर्दियों और बारिश के सीजन में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। वहीं यदि महिलाएं गंदा वेस्टर्न टॉयलेट यूज करती है तो उन्हें यूरिन इंफेक्शन हो सकता है। लापरवाही करने पर यह इंफेक्शन यूरेथ्रल ओपनिंग से होकर योनि में जा सकता है।

अवेयरनेस की कमी
कॉनट्रासेप्शन एक समस्या नहीं है, लेकिन गल्र्स में इसको लेकर अवेयरनेस की कमी है। आज कल गल्र्स सोशल मीडिया और गूगल का इस्तेमाल करके कोई भी मेडिसिन ले लेती हैैं। इससे जब परेशानी और भी बढ़ जाती है तो पेरेंट्स उन्हें हॉपिटल लेकर पहुंंचते हैं। साथिया केंद्र में 10 से 19 साल की गल्र्स को ट्रीट किया जाता है। ऐसे में गल्र्स की काउंसिलिंग कर उन्हें चीजों के बारे में अवेयर किया जाता हैै।

एनीमिया की भी है समस्या
एडोलसेंट काउंसलर अल्पना ने बताया कि एनीमिया की भी परेशानी गल्र्स में बढ़ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह अनहेल्दी फूड है। लोग कभी भी कही भी कुछ भी खा लेते हैैं। इसकी वजह से उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वह बच्चों को गाइड करें।

इन बातों का रखें ख्याल
लंबे समय तक यूरीन न रोकें।
विटामिन-सी वाले फल और सब्जियां जरूर खाए।
साफ-सफाई का ध्यान रखें

गल्र्स को हाइजीन मेंटेन करने की जरूरत होती है। इसके अलावा पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिए और डाइट को अच्छा रखना चाहिए।
डॉ। हिमानी गोयल, कंसल्टेंट गाइनीकोलॉजिस्ट

गल्र्स को अवेयरनेस की जरूरत है। अभी कई गल्र्स को सेल्फ हेल्थ की नॉलेज नहीं हैैं। सरकार कई ऐसी स्कीम लाई है, जिसका फायदा उठाना चाहिए। जैसे की फ्री परामर्श और उपचार, जिसके बारे में लोग जानते ही नहीं है। गल्र्स को हर तरह की बीमारियों की जानकारी देने के लिए उनकी काउंसलिंग की जाती हैै।
अल्पना सक्सेना, एडोलसेंट काउंसलर