बरेली (ब्यूरो)। शादी समारोह में बैंड बाजा न हो, यह तो हो ही नहीं सकता हैं। इन दिनों जिस किसी के भी घर में शादी होती है। एक अलग ही प्रकार का उल्लास होता है। सब के मन में यह ही होता है कि बारात के टाइम किस गाने पर डांस करें। दूल्हे के दोस्तों में तो इसको लेकर एक अलग ही क्रेज देखने को मिलता है। जब घर से बारात निकलती है तब से लेकर विवाह स्थल पर पहुंचने तक दूल्हे की यह मित्र मंडली बैंड की धुनों पर जम कर मस्ती करती है। कई बार इस दौरान रास्ते में बारातियों के साथ दूल्हे राजा भी जम कर डांस करते हैं। बारात में दूल्हे के साथ भाभी, मामी, मौसी आदि भी डांस करने में किसी से पीछे नहीं रहतीं।

पहले घोड़ी से जाते थे दूल्हे
पहले जमाने में दूल्हा घोड़ी पर चढक़र जाता था। पुराने लोग बताते हैं कि उस समय पर हर रस्म बहुत ही सादगी से निभाई जाती थी। जिस घर में भी शादी होती थी, वहां पर पहले ही दूल्हे के लिए घोड़ी बुक कर दी जाती थी। पुराने लोगों का कहना है कि पहले के समय में लोग ज्यादा दिखावा नहीं करते थे। इस दौरान सभी बराती बस से जाते थे। इस दौरान दूल्हा के कपड़े भी ज्यादा तडक़-भडक़ वाले नहीं होते थे। समय के साथ इस सब में आज काफी बदलाव आ चुका है।

अब बग्गी का चलन
आज के ट्रेंड में काफी बदलाव हो गया है। घोड़ी की जगह अब घोड़ा बग्गी ने ले ली है। आज लोग बग्गी को स्पेशल तरीके से सजवाते हैं। तरह-तरह की लाइट्स से ये बग्गियां जगमगाती हैं। गेंदा के फूलों की सजावट इसे और भी अट्रैक्टिव बना देती है। ये फूल मनमोहक तो लगते ही हैं, इनकी सुगंध से बग्गी पर बैठे दूल्हे का मन भी प्रफुल्लित रहता है। बग्गी के साथ उसमें लगे घोड़ो को भी काफी सुदंर तरीके से सजाया जाता है।

ढोल-नगाड़े की गूंज
सुभाषनगर के रहने वाले सीनियर सिटीजन रामेश्वर सहाय बताते हैं कि पहले के समय में बारात में लोग ढोल और नगाड़े लेकर जाते थे। जब घर से बारात निकलती थी तो बैंड वाले आगे-आगे ढोल बजाते हुए चलते थे। लखन लाल ने बताया कि पहले बारात में रोड पर डांस करने का लेडीज में कोई क्रेज नहीं था। लोग सिम्पल तरीके के साथ बारात लेकर जाते थे।

नागिन बैंड की थी धूम
समय बदला तो बारातों में नागिन बैंड की भी धूम होने लगी। इस तरह की बैंड पार्टीज की उस समय में काफी डिमांड हुआ करती थी। ये बैंड वाले नागिन धुन बजाते तो युवा मंडली अपने आपको नाचने से रोक नहीं पाती थी। बैंड की धुन पर उनके थिरकते कदम एक अलग ही गजब ढाते थे। कई बार इस डांस मस्ती के चक्कर में विवाह स्थल तक बारात देर से पहुंचा करती थी।

ब्रास बैंड का प्रचलन
समय में चेंज आया तो ब्रास बैंड प्रचलन में आ गया। इस बैंड की भी अपनी अलग शान है। जगमग करती लाइट्स में चमचमाते ब्रास मेड इंस्ट्रूमेंट्स पर जब बैंड आर्टिस्ट धुन छेड़ते हैं तो युवा मन उन पर थिरकने को मचल-मचल जाते हैं। इस बैंड टीम में क्लैरेनेट, सेक्सोफोन के अलावा फ्लूट बचाने का भी प्रचलन है। इसके साथ ही मॉडर्न टाइम में मिनी सिंथेसाइजर ने लीड इंस्ट्रूमेंट के रूप में इन बैंड ग्रुप्स में अपनी जगह बना ली है।
बैंड वालों से जब इस बारे में पता किया तो उन्होंने बताया कि हमारे पास कई महीनों पहले ही ऑर्डर आ जाते हंै। लोग अपनी डिमांड के हिसाब से बुकिंग करते है। अधिकतर लोगों का कहना होता है कि बैंड के साथ साउंड सिस्टम हाई लोड वाला होना चाहिए। गानों की थीम भी पहले से डिसाइड कर लेते हैं।

रोशनी के लिए पेट्रोमैक्स
संजय नगर के रहने वाले सूर्यप्रकाश बताते हैं कि पहले के टाइम में आजकल की तरह लाइट या जेनरेटर की फैसिलिटी नहीं होती थी। जिस घर में शादी होती थी, वो लोग बारात में पेट्रोमैक्स ले जाते थे। यह मिट्टी के तेल से जलाई जाती थी। शादी के काफी दिन पहले से ही तेल खरीद लिया जाता था।

शादी में डांस का शौक तो सबको होता है। इसके लिए जिस घर में भी शादी होती है। लोग काफी दिन पहले से ही बग्गी, बैंड बाजा आदि की बुकिंग करा देते हैं। पहले के समय में ये चीजें नहीं हुआ करती थी। लोग बारात को लेकर सिम्पल तरीके से जाते थे। आजकल तो बारात के साथ महिलाएं भी नाचते हुए जाती हैं।
नयना

जमाने के साथ-साथ लोगों में बदलाव आ जाता है। पहले के समय की बात करें तो शादी वाले घरों में इतनी रौनक नहीं होती थी, जितनी आज होती है। आज के दौर में लोगों में काफी उल्लास होता है। हर काम उत्साह के साथ करते हैं। जैसे बग्गी पर दूल्हे के साथ डांस करते चलते हैं। आज माहौल काफी अलग सा हो गया है।
श्रुति अग्रवाल