बारात और सामूहिक आयोजन बंद होने से डीजे, घोड़ा-बैंड वालों के सामने रोजी रोटी का संकट

200 से अधिक लोग घोड़ा और चित्रशाला बैंड वाले हैं शहर में

300 करीब डीजे संचालक हैं शहर में

-मार्च से सामूहिक आयोजन और अन्य गतिविधयां बंद होने से चौपट हो गया बिजनेस

-रोजी रोटी के संकट के चलते यह सभी लोग हो रहे परेशान, अनलॉक में भी नहीं सुधर रहे हालात

बरेली : कोरोना काल में लॉकडाउन हर तबका बुरी तरह प्रभावित हुआ है। किसी का बिजनेस चौपट हो गया तो किसी को काम नहीं मिल रहा है। यहां तक कि कई परिवार ऐसे हैं जिनके लिए रोजी रोटी का भी संकट खत्म हो गया है। हर किसी का कामकाज भी प्रभावित हुआ। अब लॉकडाउन के बाद जनजीवन नॉर्मल होकर पटरी पर लौटने लगा है, लेकिन दर्जनों परिवार अभी भी ऐसे हैं जो लॉकडाउन जैसे हालात से गुजर रहे हैं। ये वह परिवार हैं जिनकी रोजी रोटी शादी समारोह या सामूहिक आयोजनों पर निर्भर है। इनमें भी सबसे बुरी हालत शहर में रहने वाले करीब 200 से अधिक घोड़ा बग्गी व चित्रशाला वालों के हैं। 300 से अधिक परिवार डीजे वालों के हैं जिनकी आज भी बिजनेस न चलने से रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

घोड़ा बग्गी बेचने की नौबत

अनलॉक वन, टू, थ्री, फोर और अब 1 अक्टूबर से फाइव भी शुरू हो गया है। लेकिन बैंड-बाजा, घोड़ा बग्गी आदि वालों का तो अभी भी लॉकडाउन ही जैसी स्थित है। इस पेशे से जुड़े बिजनेस मैन की माने तो वह हर वर्ष सीजन में इतना कमाते थे कि पूरा परिवार सुकून से जीवन यापन करता था। इतना ही नहीं उनके पेशे से जुड़े लोगों की भी रोजी रोटी आसानी से चलती थी। लेकिन जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है और सामूहिक आयोजन बंद हुए है तब से ऐसी स्थिति आ गई है कि वह घोड़ा बग्गी वाले घोड़ा बग्गी तक बेचने को तैयार हैं। शहर में करीब दो सौ से अधिक घोड़ा बग्गी वाले हैं जो कभी बारातों में दूल्हा को बैठा शादी समारोह में जाते हैं तो कहीं सामूहिक आयोजनों में और जुलूस की शान बना करते हैं।

यहां रहते हैं अधिक बिजनेस से जुड़े

शहर में घोड़ा बग्गी, बैंड आदि का बिजनेस करने वाले श्यामगंज, प्रेमनगर, इज्जतनगर, बारादरी, पीलीभीत बाईपास रोड, बदायूं रोड और मिनी बाईपास सहित कई स्थानों पर इन लोगों के परिवार हैं, जिनकी रोजी रोटी इस बिजनेस के दम पर ही चलती है, लेकिन लॉकडाउन के बाद से अब इनके पास कोई विकल्प ही नहीं है। ऐसे में इन लोगों ने जो रुपए बिजनेस में लगाया था वह भी नहीं निकल पा रहा है्। घोड़ा बग्गी का काम करने वालों का कहना है कि संकट के दौर से गुजर रहे हैं समझ नहीं आ रहा है कि घोड़ों को खिलाएं या खुद और परिवार को खिलाएं।

कई माह से बेरोजगार

शहर के डीजे, बैंड और चित्रशाला वालों की माने तो शादी ब्याह में जब जाते थे तो अच्छी इनकम होती थी। जिससे वह अपना और अपने परिवार का अच्छी तरह से भरण पोषण के साथ कई अन्य को रोजगार भी मुहैया कराते थे, लेकिन अब कई माह से खाली बैठे हैं समझ नहीं आ रहा है कि जो घोड़ा आदि पाले हैं उनको खिलाएं तो कहां से खिलाएं, बस किसी तरह गुजारा कर रहे हैं।

नहीं हो रही बुकिंग

घोड़ा बग्गी से जुडे़ लोगों की माने तो जहां पहले जुलूस और अन्य सामूहिक आयोजनों में उनके घोड़ों पर बैठने वालों से अच्छी इनकम होती थी तो वह अब खाली बंधे हुए हैं। इस वक्त कोई खाली बैठने या पर्सनल यूज के लिए भी लोगों ने घोड़ा पर बैठना या फिर घूमना छोड़ दिया है। इसीलिए बैंड और घोड़ा पालकों की समस्या और बढ़ी हुई है। वहीं डीजे संचालाकों की माने तो पहले छोटे-छोटे आयोजनों में भी उनके पास एडवांस बुकिंग होती थी, जिससे वह और उनके परिवार के साथ कई लोगों का भी रोजगार चलाते थे, लेकिन अब मार्च माह से कोई डीजे बुकिंग के नाम से पूछने तक नहीं आ रहा है। अब पर्सनल प्रोग्राम में भी कोई डीजे यूज नहीं करना चाहता है।

अनलॉक-5 में जागी उम्मीद

अक्टूबर से अनलॉक-5 शुरू हुआ है। इसमें शासन की तरफ से आम लोगों को कुछ राहत दी गई। इससे आम लोगों को भी कुछ उम्मीद जागी है, घोड़ा बग्गी, बैंड बाजा और डीजे ओनर्स में एक बार फिर से उम्मीद जागी है कि शायद अब शादियों में अब उनकी बुकिंग शुरू हो जाए तो कम से कम रोजी रोटी का तो संकट दूर हो ही जाएगा। इसी उम्मीद में बैंड बाजा और घोड़ा बग्गी वाले फिर से अपनी तैयारी कर साज बनाने में जुटे हैं।

लॉकडाउन के दौरान से खाली बैठा हूं परिवार का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो गया है। अब तो सबकुछ अनलॉक हो गया है लेकिन बैंड, घोड़ा बग्गी और डीजे वालों के परिवार पर आज भी लॉकडाउन जैसी हालत है।

राजकुमार, चित्रशाला

छह माह से अधिक हो गए हैं कोई काम ही नहीं मिल रहा है। ऐसे में बैंड वालों की रोजी रोटी पर संकट आ गया है। इस वक्त कोई बारात आदि करता भी है तो वह बैंड, घोड़ा बग्गी और डीजे आदि की बुकिंग ही नहीं करता है, क्योंकि हर कोई भीड़ कम करना चाहता है।

बाबू, बैंड

डीजे में पूरा रुपया भी फसा हुआ है और मार्च से कोई बुकिंग नहीं मिली है ऐसा लग रहा है कि जैसे अभी भी लॉकडाउन चल रहा है। परिवार की रोजी रोटी का भी संकट जैसी स्थित हो गई है। ऐसे में सरकार को कुछ मदद करनी चाहिए, ताकि हम लोगों को भी राहत मिल सके।

अमन, डीजे ओनर

अनलॉक चल रहा है लेकिन डीजे, बैंड और चित्रशाला वालों के परिवार को अभी भी लॉकडाउन चल रहा है। समझ नहीं आ रहा है कि क्या करुं कौन सी बिजनेस की जाए, जिससे रोजी रोटी का संकट दूर किया जा सके। काफी समय से खाली बैठा हूं।

महावीर, डीजे ओनर