-रक्षाबंधन पर्व पर सूर्योदय से सुबह 6.14 बजे तक रहेगी भद्रा

-भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य माना गया है निषेध

बरेली। रक्षाबंधन पर्व पर भाई की कलाई में राखी बांधने के लिए बहिनों को किसी शुभ मुहूर्त का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ज्योतिषिशास्त्र के अनुसार इस पर्व पर पूरे दिन शुभ ही शुभ योग है। शास्त्रों के अनुरूप यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन भद्रा रहित काल में मनाया जाता है। शास्त्रीय मान्यता है कि भद्रा काल में राखी बांधना निषेध है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा के मुताबिक रक्षाबंधन पर भद्रा का प्रकोप सूर्योदय से सुबह 6.14 बजे तक ही रहेगा। इसके बाद पूरा दिन पर्व के लिए दोष रहित है।

रक्षाबंधन के लिए विशेष मुहूर्त

- सुबह 7.29 से 10.46 बजे तक

- दोपहर 1.45 बजे से 3.35 बजे तक

- शाम 6.49 बजे से रात्रि 8.12 बजे तक

रात्रि 9.29 बजे तक रहेगी पूर्णिमा

पं। राजीव शर्मा ने बताया कि सुबह 6.14 बजे के बाद भद्रा काल समाप्त हो जाएगा। इसके बाद से पूरे दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जा सकता है। पंचाग के मुताबिक पूर्णिमा रात्रि 9.29 बजे समाप्त होगी। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र शाम 7.49 बजे तक रहेगा। इसके अलावा सुबह 10.38 बजे तक शोभना योग और इसके बाद अतिग योग शुरू होगा। ज्योतिष शास्त्र में यह उत्तम योग माना जाता है।

पहले घर के द्वार पर बांधे रक्षासूत्र

पं। राजीव शर्मा बताते हैं कि इस दिन प्रात: काल स्नान आदि के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाने के बाद शिव जी की अराधना कर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। इसके बाद लाल व केसरिया धागे को गंगाजल, चंदन, हल्दी व केसर से पवित्र कर रक्षासूत्र बांधने का मंत्र 'येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

'तेन त्वामनुबध्नाभि रक्षे मा चल मा चल।। के साथ अपने घर के मुख्य द्वार पर बांधे। घर के मुख्य द्वार पर बंधा यह धागा घर को हर बुरी नजर से बचाता है। इसके साथ ही घर के वातावरण पंचमहाभूत-जल,वायु, पृथ्वी, आकाश व अग्नि को संतुलित रखता है। इस विधान के बाद ही बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधे।

व्रत की श्रावणी पूर्णिमा आज

पं। राजीव शर्मा के मुताबिक इस बार व्रत की श्रावणी पूर्णिमा 21अगस्त दिन शनिवार को मनाना उत्तम होगा, क्योंकि यह व्रत प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को किया जाता है। इस दिन प्रदोष काल लगभग शाम 7 बजे से रात्रि 9.12 बजे तक रहेगा।