- वाणिज्य कर विभाग ने 22 मेंथा कारोबारियों की जांच मं पकड़ा बड़ा खेल

- रिश्तेदारों, नौकरों के नाम से भी बना रखी थी फर्में, कर रहे बड़ी टैक्स चोरी

बरेली : मंडल में मेंथा कारोबारियों की जांच के बाद वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों को बड़े मकड़जाल का पता चला है। इन कारोबारियों ने दूर-दूर तक अपने कनेक्शन फैला रखे हैं। उनके कनेक्शन तलाशने के लिए अधिकारी दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के अफसरों से संपर्क करेंगे

दो फर्मे मिलीं फर्जी

वाणिज्य कर विभाग ने मंडल में मेंथा कारोबारियों के खिलाफ महीने भर में दूसरी बड़ी कार्रवाई की है। नौ नवंबर को ही बरेली और शाहजहांपुर की 22 फर्मों की जांच कर बड़ी टैक्स चोरी पकड़ी थी। उस दौरान बरेली के देवचरा की दो फर्में फर्जी पाई गई थी। इस बार शनिवार को फिर बरेली की आठ और शाहजहांपुर की 14 फर्मों की जांच की गई तो जलालाबाद की दो फर्मों फर्जी पाई गईं।

लगाया जाएगा टैक्स

अब अधिकारी इन व्यापारियों के बाहर कनेक्शन तलाश करेगी। उन्हें दस्तावेजों के साथ कार्यालय बुलाया गया है। अब तक की जांच में पता चला है कि कारोबारियों ने दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड समेत अन्य कई राज्यों में मेंथा ऑयल बेचा है। वाणिज्य कर विभाग के एडिशनल कमिश्नर (एसआइबी) आरके पांडेय ने बताया कि कारोबारियों ने जहां भी माल बेचा है, वहां भी जांच कराई जाएगी। फर्जी फर्मों के बिलों पर की गई बिक्री को भी पकड़ा जाएगा। उस पर टैक्स लगाया जाएगा।

नौकरों के नाम बनाते फर्जी फर्में

टैक्स चोरी के लिए व्यापारी अपने रिश्तेदार या नौकरों के नाम फर्जी फर्में बनाते हैं। सरकार के आसान नियमों के कारण ही व्यापारी बोगस फर्में बना लेते हैं। अब रजिस्ट्रेशन के समय अधिकारियों को दो दिन में फर्म की जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट देनी होती है। तीसरा दिन शुरू होते ही फर्म को खुद ही जीएसटी नंबर एलॉट हो जाता है। बोगस फर्म पंजीकृत कराने वाले अक्सर शुक्रवार शाम को ऑनलाइन आवेदन करते हैं। शनिवार और रविवार को विभाग में छुट्टी होती है। ऐसे में फर्म के कागज और स्थान का सत्यापन करने का मौका ही नहीं मिलता। सोमवार को यह फर्म खुद ही पंजीकृत हो जाती हैं।

आइटीसी के पकड़े जाते रहे हैं मामले

जीएसटी आने के बाद बोगस फर्म बनाकर आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ उठाने के कई केस पकड़े गए हैं। इसमें किसी सामान को खरीदने के बिल तो काटे जाते हैं मगर हकीकत में कोई सामान ना खरीदा जाता है ना बेचा जाता है। इस बिल को अपने रिटर्न में दिखाते हुए चुकाए गए टैक्स को आइटीसी के माध्यम से वापस ले लिया जाता है। इससे सरकार को राजस्व की हानि होती है।