बरेली(ब्यूरो)। मियां को अंदाजा नहीं था कि जिस माल को उन्होंने अपनी आंखों के सामने जलकर राख होते देखा उसकी कीमत उन्हें वापस मिल जाएगी लेकिन, यह सच साबित हुआ। व्यापारी को सिर्फ 24 माह के अंदर ना केवल सामान की पूरी कीमत मिली बल्कि बीमा कंपनी को अतिरिक्त मुआवजा व मुकदमा खर्च भी अदा करना पड़ेगा। यह आदेश फ्राइडे को जिला उपभोक्ता आयोग ने जारी किया है।

फ्राइडे को आया आदेश

सलीम मियां का वर्ष 2019 में ईंट पजाया चौराहा पर केन फर्नीचर का कारोबार था। सात अक्टूबर 2019 की रात गोदाम में आग लग गई। उनकी आंखों के सामने गोदाम में रखा सारा सामान धूं-धूं कर जल गया। सलीम मियां ने शापकीपर बीमा पालिसी ले रखी थी। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने सर्वे तो कराया लेकिन, मुआवजा देने से इनकार कर दिया। तब परिवादी ने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। परिवादी ने अधिवक्ता विवेक सहगल के जरिए गुहार लगाई कि गोदाम में 26 लाख 44 हजार रुपए का सामान था, जो जलकर राख हो चुका है। उसे कंपनी से माल की कीमत के साथ अनुचित व्यवहार के एवज में 75 हजार व 50 हजार रुपये मुकदमा खर्च भी दिलाया जाए।

मुआवजा देने से किया था इनकार
बीमा कंपनी ने अपने जवाब दावे में कहा कि आग बीमा किए गए गोदाम के बजाय परिवादी के गोदाम से सटे हुए किराए के अन्य भवन में लगी थी। जिसकी जानकारी बीमा कंपनी को नहीं दी गई। आयोग ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि माल चाहे जहां रखा गया हो यह महत्वपूर्ण नहीं, मात्र इतना पर्याप्त है कि बीमित माल आग लगने से नष्ट हुआ है। जिला उपभोक्ता आयोग-द्वितीय के अध्यक्ष दीपक कुमार त्रिपाठी, सदस्य दिनेश कुमार गुप्ता व कुसुम ङ्क्षसह ने परिवादी को माल की पूरी कीमत के साथ 50 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व पांच हजार रुपये मुकदमा खर्च भी दिलाए जाने के आदेश बीमा कंपनी को दिए हैं। 30 दिन के अंदर रकम अदा न करने पर बीमा कंपनी को नौ प्रतिशत ब्याज भी अदा करना होगा।
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