-आईसीयू फुल होने पर महिला को कोविड एल-3 से किया गया था रेफर

-मौत का ग्राफ कम रखने के लिए पोर्टल पर पॉजिटिव रिपोर्ट को कर दिया निगेटिव

बरेली: सनराइज एंक्लेव निवासी राजकुमारी की मौत स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से ही हुई। तीन सौ बेड अस्पताल की फ्लू कार्नर प्रभारी से मांगी गई रिपोर्ट का जवाब देते हुए बताया कि राजकुमारी की जांच समय पर हुई और वह पॉजिटिव थीं। मतलब साफ है राजकुमारी की जांच भी हुई और वह पॉजिटिव भी थीं। लेकिन इलाज के अभाव में मौत होने और आंकड़ों को कम रखने के लिए उनकी रिपोर्ट को ही पोर्टल पर निगेटिव चढ़ा दिया गया।

यह है पूरा मामला

करीब छह दिन पहले राजकुमारी को एक निजी अस्पताल से हालत बिगड़ने के बाद कोविड जांच कराने के लिए भेज दिया गया था। परिजन उन्हें जिला अस्पताल ले गए थे, लेकिन वहां जांच न होने के चलते तीन सौ बेड ले आया गया। जहां हालत गंभीर होने के चलते तीन सौ बेड अस्पताल परिसर में एंबुलेंस में ही उनकी कोविड जांच की गई। जिसमें वह पॉजिटिव आईं थी। ऑक्सीजन स्तर काफी कम होने जिला सर्विलांस टीम से बात कर राजकुमारी को कोविड एल-3 अस्पताल भेजा गया था। जहां आइसीयू बेड न होने की बात कहकर वापस कर दिया गया। तीन सौ बेड अस्पताल वापस लाते समय उनकी रास्ते में मौत हो गई। इस मामले में पर्दा डालने और लापरवाही से मौत होने की बात छिपाने के लिए राजकुमारी के परिजनों को डरा दिया गया। इसके चलते वह शव घर ले गए और खुद ही अंतिम संस्कार कर दिया।

ऐसे खुली पोल

जब परिजनों ने ऐतराज नहीं जताया तो विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों ने रिपोर्ट बदलकर राजकुमारी को पॉजिटिव से निगेटिव कर दिया। शुरुआत में विभाग महिला को पॉजिटिव ही नहीं मान रहा था। लेकिन जब साक्ष्य सामने आए तो प्रभारी सीएमओ डॉ। आरएन गिरी ने मामले में तीन सौ बेड के फ्लू कार्नर प्रभारी डॉ। सुचिता से रिपोर्ट मांगी। इसका जवाब देते हुए डा। सुचिता ने कहाकि महिला की जांच हुई थी और वह पॉजिटिव थीं। उन्हें सर्विलांस टीम के कहने पर ही उन्हें कोविड एल-3 भेजा गया था।

हॉस्पिटल होगा सील

जवाब न मिलने पर सील होगा अस्पताल

जिला सर्विलांस अधिकारी ने कहाकि

जिस अस्पताल में राजकुमारी का इलाज चल रहा था। उनसे जवाब मांगा गया है। अगर दो दिन में जवाब नहीं मिलता तो अस्पताल सील किया जाएगा। बताया कि रिपोर्ट निगेटिव कैसे हुई इसकी जांच चल रही है।

इस गंभीर मामले में फ्लू कार्नर प्रभारी से रिपोर्ट मांगी गई है। उनका अब तक जवाब नहीं मिला है। रिपोर्ट मिलने पर देखा जाएगा कि लापरवाही किस स्तर पर हुई।

- डा। आर एन गिरी, प्रभारी सीमएओ