डग्गामार बसों की वजह से हर महीने रोडवेज को लग रहा है 60 लाख रुपए का चूना

-अधिकारियो को दावा कि लगातार हो रही है कार्रवाई, अब तक 70 गाडि़यों को हुआ चालान

-रोडवेज अधिकारियों का कहना है कि रोजाना उन्हें दो लाख रुपए के राजस्व का उठाना पड़ रहा नुकसान

फैक्ट एंड फिगर

548-बसें है रोडवेज के पास

4-डिपो आते हैं बरेली रीजन में

60-लाख का चूना लगा रही रोडवेज को डग्गामार बसें

54-सवारियां बैठाते हैं रोडवेज बस में

124-संवारियां बैठाते हैं डग्गामार बसों में

70-डग्गामार बसों को 13-से 19 अक्टूबर तक किया गया चालान

25-गाडि़यों को किया गया सीज

160- गाडि़यों का पूरे मंडल में किया गया चालान

48-गाडि़यों को मंडल में किया गया सीज

बरेली : पैसेंजर्स की जिंदगी को खतरें में डालकर सफर कराने वाली डग्गामार बसें रोडवेज को हर माह लाखों रुपए का चूना लगा रही हैं। इतना ही नहीं रोडवेज के बस स्टेशन के समांतर अपना पूरा कारोबार चलाते हैं। यह डग्गामार बसें लांग रूट पर ही नहीं लोकल रूट पर भी खूब संचालित हो रही हैं। हालांकि इसकी जानकारी विभाग के अफसरों को भी काफी समय से है लेकिन वह जानकर भी इस बारे में अभी तक अंजान बने रहे। लेकिन जब घाटे में जा रही रोडवेज को बचाने के लिए परिवहन मंत्री ने नाराजगी जाहिर की तो अफसरों ने डग्गामार बसों पर कार्रवाई शुरू की है।

अभी भी चल रही डग्गामार बसें

परिवहन मंत्री अशोक कटारिया के निर्देश के बावजूद अभी भी डग्गामार बसें धडल्ले से चल रही हैं। सेटेलाइट बस स्टैंड से चंद कदम दूरी पर डग्गामार बसों का एक बस स्टैंड बन गया है, जो बेखौफ चल रहा है जहां से डग्गामार बस वाले संवारियां भी भर रहे हैं लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियो का दावा है कि लगातार कार्रवाई हो रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कार्रवाई हो रही है तो इन डग्गामार बसों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है जबकि नियम कहता है कि परिवहन विभाग के बस स्टैंड से एक किलोमीटर की दूरी पर कोई प्राइवेट बस स्टैंड नहीं हो सकता है। खास बात यह है कि रोडवेज को इन डग्गामार बसों की वजह से हर महीने साठ लाख का नुकसान झेलना पड़ रहा है। रोडवेज के अधिकारियों का कहना है कि रोजाना करीब दो लाख राजस्व का नुकसान झेलना पड़ता है। डग्गामार बस वाले सामान तो अवैध रुप ढोते है। वहीं कम किराया की वजह से सवारियां भी बैठ जाती है क्योंकि उसकी भरपाई वह ज्यादा संवारिया भरकर कर लेते हैं जबकि रोडवेज में सीटों के हिसाब से ही संवारिया बैठाने का प्रावधान है। इसलिए दो तरफा रोडवेज को नुकसान झेलना पड़ रहा है। ऐसे में जहां रोडवेज की बसें खाली रहती है वही डग्गामार बसें 54 की जगह 124 संवारियां तक ढोती नजर आती हैं। हालांकि परिवहन विभाग के अधिकारी आंकड़ों की बाजीगरी कार्रवाई के नाम पर दिखाते हैं।

आंकडों की बाजीगरी

अधिकारियो का दावा है कि जिले में 13 से 19 अक्टूबर तक 70 गाडि़यों का चालान किया गया है और 25 गाडि़यों को बंद किया गया। वहीं मंडल भर में इस दौरान करीब 160 गाडि़यों का चालान किया गया और 48 गाडि़यों को बंद किया गया।

वर्जन

हर महीने करीब साठ लाख का हमको इन डग्गामार बसों की वजह से नुकसान हो रहा है। यह बसें लोगों की ¨जदगी को खतरे में डालकर कमाई कर रही हैं।

चीनी प्रसाद, एआरएम, बरेली डिपो

हमारे यहां पर दो टीमें इसीलिए बनाई गई हैं। लगातार कार्रवाई की जा रही है। टीमें छापा मारने के साथ जहां से सूचना मिलती है। वहां पर भी कार्रवाई करती हैं।

डॉ। अनिल गुप्ता, आरटीओ