बरेली (ब्यूरो)। गंगा को हम माता मानते हैं, फिर हम इस बात को क्यों भूल जाते हैं कि हम अपनी माता से कैसा बर्ताव कर रहे हैैं। क्या हम अपनी जन्मदायनी माता के साथ ऐसा व्यवहार कर सकते हैैं जैसा मां गंगा के साथ करते हैं। जबकि वह तो मोक्षदायिनी है। प्रत्येक व्यक्ति उनमें स्नान कर अपने आप को कृतार्थ करता है। इसके बाद वह उन्हें ही क्यों गंदा करता है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लाखों लोग चौबारी रामगंगा में स्नान करने के लिए पहुंचे। गंगा स्नान करने के बाद मनौतियां मांगी, लेकिन जाते समय गंदगी यहीं छोड़ गए। बड़ी संख्या में लोगों ने खंडित मूर्तियां और भगवान के पुराने कैलेंडर्स व पोस्टर्स भी गंगा में विसर्जित किए जो अब घाट पर बिखरे पड़े हैं। जबकि सरकार करोड़ो रुपये खर्च कर गंगा के तटों को स्वच्छ बना रही हैै। कार्तिक पूर्णिमा स्नान के बाद रामगंगा चौबारी घाट पर दूर तक गंदगी बिखरी है। प्रशासन की भी सुस्ती देखने को मिल रही है। घाटों पर कोई अलर्ट दिखाई नहीं दे रहा है।

आस्था के नाम पर अपमान
मां गंगा की प्रत्येक घर में पूजा होती है। इसके बावजूद लोग उन्हें गंदा और दूषित करने से बाज नहीं आते हैं। सब कुछ जानने के बाद भी लोग अनजान रहकर गंगा का दूषित करते हैं। मन में श्रद्धा होने के बावजूद भी गंगा का अपमान करने से पीछे नहीं हटते हैं। स्नान करने बाद घर की पूजा सामग्री को गंगा में विसर्जित कर जल को पूरी तरह से दूषित कर देते हैं।

कूड़े के अंबार में भगवान
गंगा स्नान करने जो लोग जाते हैं। वहीं घाटों पर कूड़े के ढेर भी बना देते हैं। घरों में खंडित हुई भगवान की मूर्तियों को भी गंगा में विसर्जित करते हैं। कुछ मूर्तियां गंगा में विसर्जित होने की बजाए किराने पर ही कूड़े के ढेर में पड़ी रह जाती हैं। घरों में लगने वाले पोस्टर जिन पर भगवान की मूर्ति बनी होती हैं। उन्हें भी ऐसे ही फेक देेते हैं।

संदेश पर नहीं दिखी संजीदगी
गंगा नदी की धार को अविरल व निर्मल बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। सरकार समय-समय पर स्वच्छ गंगा का अभियान चला रही है। यहां तक कि सामाजिक संस्थाएं भी गंगा सफाई अभियान चला रही हैं। इसके बावजूद भी गंगा का आंचल स्वच्छ नहीं हो पा रहा है।

धरातल पर नहीं दिखे दावे
कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले रामगंगा चौबारी मेले को प्रशासन ने पॉलीथिन फ्री करने का दावा किया था, लेकिन गंगा स्नान के बाद घाट पर जो तस्वीर नजर आई वह दावों के बिल्कुल उलट है। गंगा घाट पर दूर तक घरों की पूजा सामग्री के साथ ही पॉलीथिन बिखरी नजर आई। इससे साफ है कि लोग न तो गंगा को निर्मल करने को लेकर अवेयर हैं और न ही उनमें प्रशासन का कोई खौफ है।


वर्जन
यह मेला वहुत समय से यहां लग रहा है। लोग हर साल ऐसे ही गंदगी करते हैं। पुलिस भी कुछ नहीं कहती। पुलिस के सामने से भी लोग घाटों को गेदा करते हैं। जबकि सरकार के तरफ से गंगा सफा्रई अभियान चलाया जा रहा है। इसके बावजूद भी गंगा मैली ही है।
सुनील कुमार

लोगों में गंगा मां के लिए बहुत श्रद्धा है। इसलिए वह हर साल गंगा स्नान करने कार्तिक मांस की पूर्णिमा को आते हैं। लेकिन सबका अपना। अपना तरीका है। कि कौर कैसे मां की पूजा करता है। ऐसे में लोग अगर मां को पूज्यनीय मानते हैं। तो उन्हें गंदा नहीं करनी चाहिए।
देवेश

मां गंगा में सबकी श्रद्धा भी रखते हैं। इसके बाद भी लोग घाटों को गंदा करते हैं। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य बनता है। कि वह इस बात का ध्यान रखे कि घर की पूजा सामग्री को जमीन में दबा दे। गंगा में प्रवाहित न करे। क्योंकि इससे गंगा प्रदूषित होती है।
सुमित

गंगा मां में श्रद्धा रखने के बावजूद भी लोग इसकी मर्यादा को भूल जाते हैं। स्नान करने के बाद पूजा करते हैं। पूजा सामग्री जिस पॉलीथिन में लाते हैं। वहीं घाट के किनारे पर छोड़ देते हैं।
स्वदेश

गंगा घाट को जल्द से जल्द को साफ कराया जाएगा। इसके लिए सख्ती से काम किया जाएगा। स्वच्छ गंगा मिशन को पूरी तरह से धरातल पर लाया जाएगा।
डीएम मानवेंद्र सिंह