बरेली (ब्यूरो)। पराली जलाने पर प्रतिबंध के बावजूद ऐसे मामले लगातार सामने आते रहते हैं। इसको लेकर प्रशासन बराबर किसानों को अवेयर करता रहता है। इसके बावजूद अक्सर पराली जलाने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। ऐसा ही मामला बहेड़ी क्षेत्र में सामने आया है, जहां क्षेत्र के पांच किसानों ने अपने खेतों में पराली को जला दिया। सेटेलाइट से इसकी तस्वीर ली गई, जिसको केंद्र सरकार से बरेली डीएम को भेजा गया। एक साथ पांच स्थानों पर पराली जलाने की घटनाएं सामने आने पर प्रशासन में खलबली मच गई। इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए डीएम, एसएसपी और सीडीओ ने बहेड़ी क्षेत्र में कैंप करके इस तरह की घटनाओं को रोकने के निर्देश दिए।

डीएम ने की बैठक
डीएम रविंद्र कुमार ने तहसील बहेड़ी में संचारी रोगों की रोकथाम, पराली प्रबंधन को लेकर ब्लॉक्स के खंड विकास अधिकारियों, एडीओ पंचायत, चिकित्सा अधिकारियों ग्राम प्रधानों, ग्राम पंचायत सचिवों, लेखपालों के साथ बैठक की। डीएम ने जिले में पराली जलाने के सर्वाधिक केस बहेड़ी तहसील से आ रहे हैं, जबकि पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है। इसच्े बच्चों, वृद्धजनों, सांस और दमा के मरीजों को परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि बहेड़ी क्षेत्र के अधिकांश लोग शिक्षित और संपन्न हैं। इसके बावजूद जागरूकता की कमी और प्रशासनिक लापरवाही से ऐसा हो रहा है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण नई दिल्ली के आदेश के अनुसार फसल अवशेष जलाना दंडऩीय अपराध है। मुख्यमंत्री और सचिव भी पराली जलाने को लेकर सख्त हैं। ऐसे में किसान किसी भी दशा में फसल अवशेषों को न जलाएं।

उठा सकते हैं लाभ
डीएम ने ग्राम प्रधानों से कहा कि वे गांवों में लगातार पराली न जलाने के संबंध में उदघोषणा कराएं। ग्रामीणों को समझाएं कि वह फसल अवशेष को जलाने के बजाय वेङ्क्षलग मशीन से वेल्स बनाकर एचपीसीएल बायोगैस प्लांट दातागंज बदायूं, बायो एनर्जी प्लांट फरीदपुर में भेजकर आर्थिक लाभ भी कमा सकते हैं। गोशालाओं में आपूर्ति कर पराली दो खाद लो के तहत किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। पूसा बायो डी-कम्पोजर यूरिया का छिडक़ाव कर पराली का इन सीटू प्रबंधन कर खेत में जीवांश की मात्रा बढ़ा सकते हैं। साथ ही पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं। डीएम ने कहा कि कार्बाइन हार्वेस्टर बिना एसएमएस (सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम) के चलते मिले तो सीज किया जाएगा।

सफाई पर दें ध्यान
डीएम ने कहा कि बहेड़ी क्षेत्र में डेंगू और मलेरिया के केस अधिक मिल रहे हैं। ऐसे में यहां साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। डीएम ने कहा कि अगर बहेड़ी क्षेत्र के सफाई कर्मचारियों को कहीं और लगाया गया हो तो उनको तैनाती स्थल पर भेजा जाए। डेंगू और मलेरिया से प्रभावित गांवों में प्राथमिकता के आधार पर सफाई कराई जाए। डीएम ने प्रधानों से कहा कि ग्रामीणों को बुखार आने पर तुरंत नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाकर इलाज करच्एं। मच्छरों से बचने के लिए फुल आस्तीन के कपडे पहनें। साफ सफाई रखें, च्सिसे मच्छर ना पनप पाएं। नालियों में जमे पानीच्में मच्छर रोधी दवा, जला मोबिल आयल, चूना डलवाएं, एंटीलार्वा का छिडक़ाव करवाएं। ग्रामीण क्षेत्रों में जरूर फाङ्क्षगग कराएं। डीएम ने झोलाछाप से बचने और प्रशिक्षित चिकित्सक से इलाज करवाने की सलाह दी। इस दौरान एसएसपी घुले सुशील चन्द्रभान, मुख्य विकास अधिकारी जग प्रवेश, सीएमओ डा। विश्राम ङ्क्षसह, उप कृषि निदेशक डा। राजेश कुमार, एसडीएम बहेड़ी अजय कुमार उपाध्याय आदि मौजूद रहे।

की गई कार्रवाई
डीएम ने 15 दिन पूर्व जिला कृषि अधिकारी को वेस्ट कम्पोजर बांटने के निर्देश दिए थे लेकिन अभी तक सभी लोगों को नहीं मिला। डीएम ने ग्राम प्रधानों से पूछा कि उनके क्षेत्र में वेस्ट डी-कंपोजर का वितरण हुआ कि नहीं। इस पर सकारात्मक टिप्पणी न मिलने पर जिला कृषि अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि देने के निर्देश दिए।

प्रदूषण नियंत्रण को नहीं जानकारी
जिले में अब 17 स्थानों पराली जलाने की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण विभाग को इस बारे में जानकारी ही नहीं है। ऐसा खुद प्रदूषण नियंत्रण विभाग के क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी रोहित ङ्क्षसह कह रहे हैं। उनका कहना है कि पराली जलाने की घटनाओं के बारे में डीएम के यहां ही रिपोर्ट आती है।