बरेली (ब्यूरो)। बिना हेलमेट सफर करना काफी सुखद अनुभव देता है। यही वजह हैं आजकल कि यंग जेनरेशन हेयर स्टाइल खराब होने के डर से हेलमेट को बोझ समझकर इसके इस्तेमाल से बचते हैैं। लेकिन, यह कुछ देर का सुखद अनुभव जीवन भर का दर्द दे सकता है। हेलमेट न लगा होने से सिर की छोटी सी चोट भी गंभीर समस्या बन सकती है। हर वर्ष जिले में हजारों लोग हादसों का शिकार होते हैैं। इनमें से कई लोगों की मौत हेलमेट नहीं लगाने की वजह से हो जाती है। एक्सपट्र्स बताते हैैं कि सिर की चोट अति संवेदनशील होती है। अगर इसका समय रहते इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। ऐसे में वाहन चलाते समय हेलमेट जरूर लगाएं।

पिलियन के लिए भी है जरूरी
न्यूरो सर्जन डॉ। आरके महाजन बताते हैैं कि हेलमेट का अविष्कार 1914 में हुआ था। ब्रिटिश फिजिशियन डॉ। एरिक गार्डनर ने बाइकर्स की सेफ्टी के लिए इसका अविष्कार किया था। लेकिन, ब्रिटिश फिजिशियन डॉ। ह्यूज ने स्टडी की कि बाइक चलाने वाले के एक्सीडेंट के दौरान सबसे ज्यादा चोट कहां लगती थी। उन्होंने लोगों को हेलमेट पहनने के लिए अवेयर किया, हेलमेट शब्द हेल्म से बना है, इसका मतलब सिर की कवरिंग होती है। इंंिडया में 1988 में मोटर व्हीकल एक्ट में यह इंट्रोड्यूस किया गया कि बाइकर्स के लिए हेलमेट पहनना जरूरी है। लेकिन, पिलियन राइडर यानि पीछे बैठने वाले के लिए एक दिसंबर 2001 से यह लागू हुआ कि पीछे बैठने वाले के लिए भी हेलमेट पहनना जरूरी है। साथ ही चार साल से ज्यादा उम्र के बच्चे को भी हेलमेट पहनना जरूरी है।

क्यों है हेलमेट जरूरी
डॉ। आरके महाजन बताते हैैं कि हमारे पास जो हेड इंजरी के पेशेंट्स आते हैैं, उनमें 15 से 20 पर्सेंट लोग बाइक एक्सीडेंट के आते हैैं। उसमें से 90 पर्सेंट लोग वे होते हैैं जो हेलमेट का इस्तेमाल नहीं करते हैं। वह बताते हैैं कि हेलमेट आईएसआई मार्क को होना चाहिए व उसका वेट करीब 1.2 किलोग्राम होना चाहिए। बाइकर्स में फोर व्हीलर्स के अपेक्षा हेड इंजरी के ज्यादा चांसेज होते हैं क्योंकि बाइक में फोर व्हीलर्स की अपेक्षा प्रोटेक्शन डिवाइस कम होते हैैं। जब बाइकर हाई स्पीड में कोलाइड करता है तो उसका सिर झटके के साथ सामने वाले वाहन से या फिर जमीन से टकराता है। हेड इंजरी माइनर से लेकर सीवियर तक हो सकती है। इसलिए हेलमेट लगाएं, हेलमेट को सिर पर लूजली न रखे उसका स्ट्रैप भी बांधे।

फुल फेस हेलमेट ज्यादा सेफ
एक्सपट्र्स के अनुसार फेस को कवर करने वाला हेलमेट यानि जो जबड़े को भी कवर कर ले, वह ओपन फेस हेलमेट से ज्यादा सेफ होता है। इससे हादसे में जबड़े की हड्डी के टूटने की संभावना कम हो जाती है। अधिकांश लोग बिना हेलमेट के वाहन चलाते हैैं, यहीं सिर की चोट या उनकी मौत का कारण बनती है। आजकल हाई स्पीड वाहनों का चलन है, जिनका पिक अप ज्यादा होता है। बिना लाइसेंस व बिना अनुभव वाले 14 वर्ष के बच्चे बिना रोकटोक के वाहन चलाते हैैं। इसके साथ ही देखने को मिलता है कि 14 से 40 वर्ष तक के लोग बिना हेलमेट के अधिक वाहन चलाते हैैं। रोड सेफ्टी ठीक न होने के कारण भी हादसे की संभावना बढ़ जाती है। रोड की कंडीशन भी अच्छी नहीं हैैं, साथ ही लोग ट्रैफिक नियमों को फॉलो भी नहीं करते हैैं।

इन बातों का रखें ध्यान
-आईएसआई मार्क हेलमेट ही इस्तेमाल करें
-हमेशा हेलमेट का स्ट्रेप लगाएं
-वाहन की गति नियंत्रित रखें
-ट्रैफिक नियमों का पालन करें
-याद रखें, दुर्घटना से देर भली

वर्जन
रोड पर पुलिस पब्लिक की सेफ्टी के लिए ही तैनात होती है। दोपहिया वाहन चलाते समय हमेशा हेलमेट पहनें, आईएसआई मार्क हेलमेट का ही इस्तेमाल करें।
राम मोहन सिंह, एसपी ट्रैफिक

कोई भी सिर की चोट हो उसे लाइटली न लें, हेड इंजरी के बाद सूजन दूसरे तीसरे दिन भी आती है। चोट के बाद बेहोशी हो या नाक-कान से खून आए तो यह संंंकेत हैैं कि ब्रेन में डैमेज हुआ हैै। ऐसे में चिकित्सक को अवश्य दिखाएं। सावधानी बरतें, वाहन चलाते समय फुल फेस हेलमेट का इस्तेमाल करें।
डॉ। आरके महाजन, न्यूरो सर्जन

अच्छी क्वालिटी का आईएसआई मार्क का हेलमेट काफी हद तक हेड इंजरी बचाने का काम करता है या फिर उसकी इंटेसिटी कम कर देता है। यंगस्टर्स को खासतौर पर हेलमेट जरूर लगाना चाहिए।
डॉ। कमल जिंदल, न्यूरो सर्जन