बरेली : कोरोना के केसेस लगातार बढ़ रहे हैं, इसमें गंभीर पेशेंट्स की संख्या भी कम नहीं है। शहर के 300 बेड कोविड हॉस्पिटल, निजी मेडिकल कॉलेज या फिर निजी हॉस्पिटल्स में एडमिट पेशेंट्स हों प्लज्मा की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। इसकी वजह से तीमारदार इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम में भी कॉल कर प्लाज्मा की डिमांड कर रहे हैं। लेकिन अब उन्होंने भी हाथ खड़े करना शुरू कर दिए हैं। क्योंकि जिस अनुपात में डिमांड है उस अनुपात में डोनर सामने नहीं आ रहे हैं। कंट्रोल रूम की बात करें तो दिन भर में 15-20 कॉल्स सिर्फ प्लाज्मा की डिमांड के लिए ही आती हैं। हालांकि कई ऐसे लोग हैं जो कोरोना से जंग जीतने के बाद अब प्लाज्मा दान कर दूसरों की जान बचा रहे हैं। अगर आप भी कोरोना को मात दे चुके हैं तो प्लाज्मा डोनेट कर लोगों की जान बचा सकते हैं।

ब्लड बैंक में भी कमी

शहर के जिला अस्पताल हो या फिर निजी ब्लड बैंक में इस वक्त ब्लड की मात्रा भी आम दिनों की अपेक्षा कम हुई है। बात प्लाज्मा की करें तो प्लाज्मा बैंक बनाने की बात तो हुई लेकिन प्लाज्मा कम मिलने से डिमांड ही पूरी नहीं हो पाई तो प्लाज्मा बैंक भी नहीं बन सका। ऐसे में ब्लड बैंक की तरफ से भी लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए अपील की जा रही है ताकि किसी को इमरजेंसी में ब्लड की जरूरत पड़ने पर दिया जा सके।

इन बातों का रखें ख्याल

-ब्लड बैंक प्रभारी ने कोरोना से ठीक हो चुके लोगों से प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की है।

-ठीक हो चुके कोविड पेशेंट ही दूसरे पेशेंट की जान प्लाज्मा देकर बचा सकते हैं।

-कमजोर इम्यूनिटी वाले पेशेंट्स को कानवॉलसेंट प्लाज्मा चढ़ाए जाने के बाद उनमें भी एंटीबॉडी रहने से संक्रमण से लड़ने की क्षमता आ जाती है।

-जो कोविड के संक्रमित पेशेंट्स हैं वह ठीक होने के 28 दिन बाद प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं।

-जो संक्रमित पेशेंट्स वैक्सीन लगवा चुके हैं वह वैक्सीन का दूसरा डोज लेने के 28 दिन बाद प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं।

-जिस कोविड पेशेंट्स को प्लाज्मा थेरेपी दी गई है या जिसको ब्लड टांसफ्यूजन हुआ है वह एक साल के बाद अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।

-वैक्सीन के बाद एंटीबॉडी का इस से कोई संबंध नहीं है।

-वैक्सीन लगने के 28 दिन बाद ही ब्लड डोनेट कर सकते हैं।