बरेली(ब्यूरो)। जगह बदलने से रिश्ते नही बदला करते, पुरखे बदलने से धर्म नहीं बदला करते मानवता की खुली आंख के सबसे सुंदर अपने राम। माता-पिता, गुरुजन, परिजन ने अपने-अपने देखे थे। दुनिया भर ने देखे अपने, अपने-अपने, अपने राम प्रख्यात कवि डॉ.ॅ। कुमार विश्वास के कंठ से जब भक्तिरस में ओतप्रोत स्वर प्रस्फुटित हुए तो सारा पंडाल राममय हो उठा। यह पावन अवसर था राधारानी सेवा ट्रस्ट की ओर से आयोजित कार्यक्रम अपने- अपने राम का, जिस का साक्षी बना इंटरनेशनल सिटी का कैंपस। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश सरकार में केबिनेट मंत्री धर्मपाल ङ्क्षसह, वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री डॉ। अरुण कुमार, एमएलसी कुंवर महाराज ङ्क्षसह, पूर्व विधायक राजेश मिश्रा (पप्पू भरतौल) ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर डॉ। विश्वास ने कहा कि जीवन में कभी भी निराश न हों। आज एक छोटा सा अवसर छीन जाने पर लोग आत्महत्या कर लेते हैं। राम ने एक रात पहले ही राज्याभिषेक नहीं होने पर अपनी मां को कहा कि मां आप ङ्क्षचतित न हो, पिताजी (राजा दशरथ) ने मुझे वनवास नहीं दिया, बल्कि जंगल का राज्य दे दिया है। उस जंगल का राज्य दिया है, जहां सारी बड़ी चुनौतियां मुझे बड़ा बनाएंगी। उन्होंने कहा कि राम की कहानियों में कोई चमत्कार नहीं बल्कि पुरुषार्थ है।

बताया अपना सौभाग्य
बरेली में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने वाल्मीकि, गोस्वामी तुलसीदास के साथ ही अपनी सरस शैली द्वारा राम-कथा को लोक-कंठ तक पहुंचाने वाले शब्द-शिल्पियों में प्रमुख स्व। राधेश्याम कथावाचक जी की पुण्य-भूमि बरेली में राम नाम-स्मरण को अपना सौभाग्य बताया। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए राम पर शंका करने वालों के लिए कहा कि शंका करने वालों को मुक्ति भी राम के नाम से ही मिलेगी। मौजूद हजारों लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि राम पर शंका कोई पहली बार नहीं हुई है। राम इस देश की चेतना के प्राण है। उन्होंने राम गुणगान करते हुए हाथ अगर जुडक़े रहते हैं तो प्रणाम बन जाते हैं। संकल्पों की पुण्य बेदी पर सभी काम बन जाते हैं। अगर आत्मा रहे निरंतर, मन के मानस के संग में तो पर पीड़ा पीने वाले स्वयं राम बन जाते हैं। जब-जब घिरे अंधेरे, हमने तुम्हें पुकारा राम। एक तुम्हारे होने भर से जग भर में उजियारा राम। अपने-अपने अपने राम गाया तो सभी एक सुर में गाने लगे। भगवान राम की स्तुति के साथ उन्होंने सतत तीन घंटे तक धारा प्रवाह भगवान राम की जीवनशैली को लेकर मौजूद लोगों को संबोधित किया।

वन गए तब बन गए
बीते कुछ दिनों से रामचरित मानस की प्रतियां जलाने व उनकी चौपाई को लेकर हो रहे विवाद पर कुमार ने कहा कि तंज कसने से पहले उसका अध्ययन जरूरी है। बताया कि राम जब वन गए राम तब बन गए। वनवास जाते समय राम वन-वन घूमे। वंचितों को गले लगाया और छोटी-छोटी शक्तियों, वंचितों को एक जुट करके उन्हें गले लगाया। वन जाते समय वह राजकुमार राम थे, लेकिन जब 14 वर्षों का वनवास खत्म करके लौटे तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम बनकर लौटे। इसलिए जीवन में संघर्षों से नहीं डरे और विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी नैतिकता बनाए रखे।

हर किरदार में प्रेरणादायी
डॉ। कुमार विश्वास ने कहा कि पूरी दुनिया में श्रीराम ऐसे हैं, जो हर किरदार में प्रेरणादायी हैं। पुत्र, पति, भाई सहित हर किरदार में उन्होंने दुनिया का मर्यादा और प्रेम की सीख दी है। उन्होंने रात 10.30 बजे तक भगवान श्रीराम के अलग-अलग प्रसंगों का वर्णन करते हुए अपने-अपने राम का श्रवण कराया।

कृष्ण पर भी बोले कुमार
कार्यक्रम के दौरान कहा कि जगह बदलने से रिश्ते नहीं बदला करते, धर्म बदलने से पुरखे नहीं बदला करते। सभी पुरखे एक हैं। राम के साथ श्रीकृष्ण पर बोलते हुए कहा कि राम जिन षड्यंत्रों के लिए निकाले गए, श्रीकृष्ण उन्हीं षड्यंत्रों को निपटाने के लिए घर से निकले। जीवन में परफैक्ट मैन जीवन में एक केवल श्रीकृष्ण ही हुए।