यह भी जानें

-18-28 साल तक के लोगों में नशे का ज्यादा ट्रेंड

-25 से ज्यादा शहर में चल रहे रिहेबिलेशन सेंटर

-ब्वॉयज ही नहीं अब रिहैबिलिटेशन सेंटर्स पर ग‌र्ल्स भी लेकर आ रहे फैमिली मेंबर्स नशा छुड़ाने को

बरेली: नशे की लत गलत है, लेकिन इसके बाद भी यूथ के साथ टीनएजर्स भी अब इस ओर अधिक बढ़ रहा है। एक्सपर्ट की माने तो इसका बड़ा कारण टीन एजर्स और यूथ की गलत सोसाइटी में पड़ना और स्टेट्स सिंबल मानना है। स्टेटस सिंबल के चक्कर में ब्वॉयज के साथ अब ग‌र्ल्स भी नशे की ओर बढ़ रही हैं। नशा उन्मूलन सेंटर्स संचालकों की माने तो नशे का चलन 18-28 साल तक के लोगों में ज्यादा है। इसमें कुछ सेल्फ मोटिवेटेड होते हैं जो नशा किसी भी वक्त छोड़ देते हैं लेकिन जो नहीं छोड़ते उन्हें रिहैबिलिटेशन सेंटर्स जाना पड़ता है। साथ ही बताया कि जो भी टीन एजर्स और यूथ नशे का शिकार हो रहे हैं, वे अपनी सोसायटी से ही नशा करना सीख रहे हैं।

काउंसलिंग सबसे अहम

यूथ में कई बार नशे की इतनी बुरी लत लग जाती है कि उनके परेंट्स के नशा छुड़ाने के लिए रिहैबिलिटेशन सेंटर जाना पड़ता है, जहां पर सबसे पहले नशा करने वाली काउंसलिंग की जाती है। काउंसलिंग में नशा करने वाले से जानकारी ली जाती है कि वह नशा कहा, कैसे और क्यों आदि की जानकारी ली जाती है। फिर उसी हिसाब से उसकी काउंसलिंग की जाती है और धीरे-धीरे व्यक्ति नशे से दूर हो जाता है। एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक नशे की चेन ब्रेक करने के लिए काउंसलिंग जरूरी होती है। जिससे वह उसके बाद उसे रिहैबिलिटेशन करते हैं ताकि वह नशा छोड़ सके।

सेल्फ मोटिवेटेड नहीं तो प्रॉब्लम ज्यादा

नशा करने वाला कोई भी व्यक्ति जब वह नशा करने लगता है तो उसके साइड इफेक्ट बाद में पता चलते हैं। इसके बाद वह खुद भी नशा छोड़ सकता है लेकिन इसके लिए सेल्फ मोटिवेटेड होना जरूरी है। अगर नशा करने वाला व्यक्ति सेल्फ मोटिवेटेड नहीं है तो फिर उसके फैमिली मेंबर्स को फोर्सली उसे नशा उन्मूलन सेंटर एडमिट कराते हैं। जहां पर नशा छुड़ाने वाले व्यक्ति का सबसे पहले रिहैबिलिटेशन इनवॉयरमेंटल कट होता है। यानि वह जिस इनवॉयरमेंट में रह रहा है उससे उसे अलग किया जाता है। उसकी दिनचर्या में बदलाव लाने के साथ काउंसलिंग और योगा मेडिटेशन आदि भी कराया जाता है। यह नशा छोड़ने वाले के ऊपर होता है कि वह कितने दिन तक उसे एडमिट रखा जाए।

व्हाइटनर का भी ट्रेंड ज्यादा

बरेलियंस की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक अल्कोहल, स्मैक, व्हाइटनर और चरस के नशे का यूथ अधिक शौकीन है। इसके साथ सूखा नशा अधिक जैसे व्हाइटनर, चरस और स्मैक का यूथ में अधिक ट्रेंड होने के साथ नया ट्रेंड हुक्का अधिक यूज करते हैं। इतना ही नहीं अब नशे में ब्वॉयज के साथ ग‌र्ल्स भी पीछे नहीं है। शहर के कई फैमिली भी नशा करने की शौकीन हो चुकी ग‌र्ल्स और उनकी सोसायटी से परेशान है।

-नशा करने वालों में सबसे अधिक टीनएजर्स के साथ 18-28 वर्ष के युवा अधिक है। कई युवा तो शौक के चलते और गलत संगत के कारण नशा का शिकार हो रहे हैं। ऐसे लोगों को पहले से ही सावधानी बरतनी चाहिए।

-शारिक खान, डायरेक्टर, निर्वान रिहैब सेंटर