बरेली। रेलवे में फिटर के पद से रिटायर हुए रेलकर्मी और उनकी पत्नी की मौत के बाद अविवाहित बेटी पेंशन का हक पाने के लिए भटक रही है।

खुर्रम गौटिया, बियावानी मुहल्ले में रहने वाली पार्वती देवी बताती हैं कि उनके पिता मलखान सिंह एईआर लोको रोड बरेली में फिटर मिस्त्री के पद से सन् 1980 में रिटायर हुए। वर्ष 1991 में पिता का देहांत होने के बाद मां लीलावती को पेंशन मिलने लगी। दिसंबर 2016 में माता का भी स्वर्गवास हो गया। इसके बाद रेलवे ने पेंशन बंद कर दी। चूंकि, मलखान की बेटी पार्वती अविवाहित है, इसलिए उनका भी पिता को मिलने वाली पेंशन पर हक था। लिहाजा पार्वती ने जनवरी 2017 में अपनी पेंशन बंधवाने के लिए आवेदन किया। तब से दो साल बीत गए पार्वती रेलवे अधिकारियों के पास फैमिली पेंशन शुरू करने के लिए भटक रही है।

पीएमओ, राज्य महिला आयोग तक हुई फरियाद

बकौल पार्वती, उसने अट्ठारह महीने तक पेंशन विभाग टालमटोल करता रहा। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और राज्य महिला आयोग में फरियाद की तब रेलवे कुछ हरकत में आया। इज्जतनगर के मंडल रेल प्रबंधक (कार्मिक) ने माता का मृत्यु प्रमाण पत्र, वारिसान प्रमाण पत्र व शादीशुदा दूसरे भाइयों का अनापत्ति प्रमाण पत्र के साथ सभी जरूरी दस्तावेज दिए। जांच भी हुई। लेकिन पेंशन शुरू नहीं हुई।

अविवाहित होने की स्थिति में बेटी का हक फैमिली पेंशन पर रहता है। पीडि़ता की ओर से शिकायती पत्र यूनियन में भी मिला है। हक दिलाया जाएगा।

- मुकेश सक्सेना, मंडल अध्यक्ष, इज्जतनगर मंडल (नरमू)