- फैसले पर रही बरेलियंस की नजर, सभी के बरी होने पर खुशी की लहर

-फैसले के बाद शहर में समान्य बने रहे हालात

-हिन्दूवादी संगठनों ने फैसले को बताया न्याय की जीत

बरेली: अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस केस की सीबीआई कोर्ट में 28 साल तक सुनवाई के बाद वेडनेसडे को फाइनल डिसीजन आ गया। इस डिसीजन का बरेलियंस को बेसब्री से इंतजार रहा। डिसीजन जानने के लिए वह सुबह से टीवी पर न्यूज चैनल्स को ट्यून करने लगे। दोपहर में जब कोर्ट का फाइनल डिसीजन आया तो शहर में कहीं खुशी तो कहीं मायूसी भी छा गई। हिन्दूवादी संगठनों ने इस फैसले को न्याय की जीत बताया तो मुस्लिम पक्ष के कई लोगों ने इस फैसले पर नाखुशी भी जाहिर की। इस फैसले को लेकर भले ही शहर के आम लोगों में भी उत्सुकता रही हो, पर फैसले के बाद उन्होंने अपना धैर्य बनाए रखा और अपनी भावनाओं को भी काबू में रखा।

शहर में सामान्य रही हलचल

कोरोना काल में आए बाबरी विध्वंस केस के फैसले को बरेलियंस ने तहे दिल से स्वीकार किया। फैसले के पक्ष या विरोध में उन्होंने अपनी ओर से कोई रिएक्शन नहीं दिखाया। इस फैसले के बाद के रिएक्शन को लेकर भले ही पुलिस व प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में हो, पर बरेलियंस की समझदारी से शहर के हालात सामान्य बने रहे। इससे पुलिस ने भी राहत की सांस ली।

भाजपा ने जताई खुशी

कोर्ट के फैसले में पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती सहित सभी 32 आरोपियों के बरी होने को पार्टी के लोगों ने न्याय की जीत बताया। इस फैसले के बाद पार्टी के कार्यालय में एकजुट हुई पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई। इस मौके पर महानगर अध्यक्ष डॉ। केएम अरोड़ा, क्षेत्रीय मंत्री उमेश कठेरिया, महामंत्री अधीर सक्सेना, प्रभु दयाल, डॉ। तृप्ति गुप्ता, देवेन्द्र जोशी, बंटी ठाकुर, जेपीएस पाल, ज्ञान प्रकाश लोधी, विक्रम सिंह आदि मौजूद रहे।

आरोपियों का बरी होना दुखद

सीबीआई कोर्ट की ओर से सभी आरोपियों के बरी होने पर तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि 28 सालों की तप्तीश के बाद सीबीआई नामजद आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं जुटा सकी। सीबीआई इंसाफ पर आधारित फैसला कराने में नाकाम साबित हुई। राम मंदिर के पक्ष में दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भी 1992 की इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण माना था। इस फैसले के मद्देनजर देशभर के उलेमा कानूनविदों से राय मशवरा करेंगे। इसके बाद ही आगे का कदम उठाया जाएगा।

फैसले को बताया न्याय व धर्म की जीत

राम मंदिर मामले को लगातार लटकाए जाने से जनता में आक्रोश था। विवादित ढांचे का ढहना इसी आक्रोश का नतीजा था। इसके बाद मंदिर पक्षकारों पर झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए थे। इस मामले में आज कोर्ट फैसला न्याय व धर्म की जीत है।

गुलशन आनंद, हिन्दुवादी नेता

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबाईआई कोर्ट के फैसला ऐतिहासिक है। हिन्दू युवा वाहिनी इस फैसले से बेहद खुश है। फैसले के बाद संगठन के लोगों ने बैठक भी की थी। इसमें एक दूसरे को मिठाई भी खिलाई गई।

अजय प्रताप, हिन्दू युवा वाहिनी

फैसले के दिन पुलिस का टेस्ट

-विवादित ढांचा विध्वंस के फैसले के दिन चप्पे चप्पे पर तैनात रही पुलिस

बरेली: विवादित ढांचा विध्वंस मामले में वेडनेसडे को सीबीआई कोर्ट के फैसले के दिन पुलिस अलर्ट रही। किसी तरह का कोई विवाद न हो इसके लिए पुलिस शहर के प्रमुख चौरहों के साथ-साथ गली मोहल्लों में भी पेट्रोलिंग करती रही। किसी भी स्थित से निपटने के लिए पीएसी और आरएएफ की कंपनियों को भी तैनात किया गया था। इसके साथ ही पुलिस अफसर भी सड़कों पर उतरकर सुरक्षा व्यवस्था देखते रहे। पुलिस ने सोशल मीडिया पर भी नजर रखी। जिससे किसी भी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई।

सेक्टर में बंटी थी फोर्स

सुरक्षा को लेकर ट्यूजडे को ही एसएसपी ने पुलिस लाइंस में मॉक ड्रिल कराई थी। इसके अलावा सेक्टर व्यवस्था लागू की थी। वेडनेसडे सुबह से ही शहर से लेकर देहात तक पुलिस सड़कों पर उतर आई। हर संवेदनशील इलाके पर पुलिस फोर्स को तैनात किया गया। मिश्रित आबादी वाली जगहों पर पुलिस देर शाम तक गस्त करती रही। इस दौरान संदिग्ध लगने वाले लोगों की भी तलाशी ली गई।

सोशल मीडिया पर भी नजर

शहर के आजमनगर। गुसाई गौटिया। हजियापुर। उमरिया। परतापुर चौधरी। समेत सीबीगंज और कैंट के कई इलाकों में पुलिस गश्त कराई गई। इसके साथ ही पुलिस की साइबर सेल की टीमों ने सोशल मीडिया पर नजर रखी। व्हाट्सएप और फेसबुक पर कमेंट और पोस्ट करने वालों को लगातार फालो किया गया। पुलिस ने कई खुराफातियों के मोबाइल नंबर भी सर्विलांस पर ले रखे थे।