- नए नियम के अनुसार 15 मीटर से कम हाइट के भवन पर नहीं कर सकते कार्रवाई

- फिर भी नियम का सहारा लेकर विभागीय अधिकारी दिखा रहे कार्रवाई का डर

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1944 में अंग्रेजों ने बनाया था फायर सर्विस एक्ट

2005 फायर सर्विस एक्ट अब है प्रभावी

15 मीटर से कम हाइट के भवन पर नियम लागू नहीं

20 बिल्डिंग ओनर्स को नियम विरुद्ध दिया नोटिस

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बरेली : शहर में फायर विभाग जिन बिल्डिंगों को नोटिस जारी कर कार्रवाई के लिए चेता रहा है असल में यह नियम फायर विभाग की गाइड लाइन में है ही नहीं, जी हां यह खुलासा खुद विभागीय अफसर ही कर रहे हैं। जिस नियम का हवाला देकर बरेलियंस को भ्रमित किया जा रहा है। उस नियम से बिल्डिंग का निरीक्षण तक करने का अधिकार फायर विभाग के पास नहीं है। बावजूद इसके विभागीय अफसर अपने निजी लाभ के लिए बरेलियंस को परेशान कर रहे हैं।

इस नियम के तहत जारी हो रहे नोटिस

वर्ष 1944 में अंग्रेजों ने फायर सर्विस एक्ट के तहत जो नियम बनाया था इसके आधार पर कॉमर्शियल बिल्डिंग का निर्माण कराने से पहले फायर सेफ्टी के मानकों को पूर्ण करना अनिवार्य था लेकिन बाद में इसमें संशोधन कर दिया गया। इसके बाद 2005 फायर सर्विस एक्ट लागू किया गया।

क्या है फायर सर्विस एक्ट 2005

इस एक्ट के तहत 15 मीटर से कम ऊंचाई और 500 स्क्वायर मीटर तक क्षेत्रफल वाली बिल्डिंग पर यह कानून लागू नहीं होता है। बावजूद इसके विभाग बिल्डिंग ओनर्स को नोटिस जारी कर कार्रवाई का डर दिखा रहा है।

तीन माह में इनको जारी हुए नोटिस

शहर में पिछले तीन माह में 20 बिल्डिंग ओनर्स को फायर विभाग ने नोटिस जारी किए हैं। जिनमें 12 ऐसी बिल्डिंग शामिल हैं जिनकी ऊंचाई 15 मीटर से कम है और क्षेत्रफल भी मानक के अनुकूल है। बावजूद इसके विभाग की ओर से इन बिल्डिंग ओनर्स को कार्रवाई का डर दिखाकर विभागीय अधिकारी चक्कर कटवा रहे हैं।

शहर में 15 मीटर से अधिक हाईट वाले भवन

एजूकेशनल - 20

रेजिडेंशियल - 27

कॉमर्शियल - 15

अपनी ही एनओसी बताया फर्जी

हाल ही में विभाग की ओर से होटल जैस ग्रांड और लूथरा टॉवर का किया निरीक्षण किया गया तो ओनर्स ने विभाग को एनओसी दिखाई, इस एनओसी पर फायर उप निदेशक की मुहर थी। लेकिन अपना खेल करने के लिए विभागीय अफसरों ने एनओसी को फर्जी साबित कर दिया।

वर्जन

निरीक्षण करने का अधिकार फायर विभाग के पास है। जो भी निरीक्षण किए गए हैं उसमें नियम का ध्यान रखा गया है।

सोमदत्त सोनकर, एफएसओ।

वर्जन

मामले की जानकारी नही है, अगर ऐसा किया गया है तो शासन को इस बाबत पत्र भेजकर अवगत कराया जाएगा।

अजय कुमार गुप्ता, डिप्टी डायरेक्टर, फायर।