- प्रेमनगर के शास्त्रीनगर की रहने वाली है पीडि़ता, पति-पत्नी दोनों करते हैं प्राइवेट जॉब

- 2.60 लाख रुपये में रेलवे में बना रहे थे टिकट कलेक्टर, जिला महिला अस्पताल में तैनात हैं आरोपित

बरेली : जिला महिला अस्पताल में भले ही मरीजों को समय पर इलाज न मिल रहा हो लेकिन यहां कार्यरत कर्मचारी गोलमाल करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सैटरडे को उजागर हुआ, रेलवे में टिकट कलेक्टर (टीसी) पद पर नौकरी का झांसा देकर जालसाजों ने एक महिला को ग्रामीण महिला विकास मिशन का फर्जी नियुक्ति पत्र थमा दिया। कंम्प्यूटर ऑपरेटर पद के नियुक्ति पत्र की तय तिथि पर महिला जब ज्वाइ¨नग लेने कार्यालय पहुंची तो जालसाजों का फर्जीवाड़ा खुल गया। तीन आरोपितों में दो आरोपित जिला महिला अस्पताल में आउटसोर्सिंग कर्मचारी हैं। तीनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पीडि़ता ने कोतवाली में तहरीर दी है।

क्या है पूरा मामला

पीडि़ता सीमा तिवारी प्रेमनगर के शास्त्रीनगर की रहने वाली है। पति-पत्नी दोनों प्राइवेट नौकरी करते हैं। बताया कि सुभाषनगर निवासी संतोष सक्सेना का उनसे पहले से परिचय था। संतोष जिला महिला अस्पताल में आउटसोर्सिंग कर्मचारी हैं। उसने सीमा को रेलवे में टिकट कलेक्टर के पद पर नौकरी दिलवाने की बात कही। बाकायदा संतोष ने अन्य दो आरोपियों जयपाल व जितेंद्र से मुलाकात कराई। आरोपितों ने महिला से 2.60 लाख रुपये खर्च आने की बात कही। एडवांस के तौर पर आरोपियों ने पचास हजार रुपये की मांग की। इस पर दस फरवरी 2020 को पीडि़ता ने आरोपितों को 49 हजार रुपये दे दिए। इसके बाद आरोपितों ने कागजी प्रक्रिया शुरू करा दी। इसके बाद महिला से आरोपितों ने 2.60 लाख रुपये ले लिए। इसी दौरान कोरोना के चलते लाकडाउन लग गया। आरोपित टालमटोल करने लगे तो पीडि़ता ने दबाव बनाया। आरोप है कि इस पर आरोपितों ने रेलवे में कोरोना के चलते भर्ती में देरी का हवाला दिया और आरडब्ल्यूवीएमएसआर मैनेजमेंट (ग्रामीण महिला विकास मिशन) में नौकरी दिलाने की बात कही। 15 सितंबर 2020 का ज्वाइ¨नग लेटर थमा दिया। फर्जीवाड़ा समाने आया तो पीडि़ता ने आरोपितों को फोन किया। आरोपित अंतिम समय तक पीडि़ता को नौकरी का झांसा देते रहे। बर्दाश्त की हद हो गई तो उसने पुलिस से शिकायत की।

लखनऊ में कराया मेडिकल

आरोपित महिला से पचास हजार रुपये लेने के बाद आरोपित उसे लखनऊ लेकर गए। आलमबाग स्थिति एक बि¨ल्डग में महिला को लेकर आरोपित पहुंचे। वहां महिला के डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद इंटरव्यू व मेडिकल की प्रक्रिया पूर्ण कराई गई। इंटरव्यू व मेडिकल के बाद सौ प्रतिशत भर्ती का हवाला देकर पूरी रकम वहीं पर ले ली और एक-दो दिन में ज्वाइ¨नग का हवाला दिया। काफी लंबा समय बीत गया लेकिन, महिला को नौकरी न मिली।

रेलवे में देर लग रही, जिला अस्पताल में कंम्प्यूटर आपरेटर बनवा दे रहा :

सीमा तिवारी से रेलवे में लेटलतीफी होने पर आरोपितों ने कहा कि अब उसमें संभावना नहीं दिख रही। तुम्हारा पैसा नहीं मरेगा। आरडब्ल्यूवीएमएसआर मैनेजमेंट (ग्रामीण महिला विकास मिशन) में कंम्प्यूटर ऑपरेटर के लिए जगह निकली हैं। उसमे आवेदन कर दो, महाराणा प्रताप जिला संयुक्त अस्पताल में नौकरी लग जाएगी। जालसाजों के चक्कर में फंस चुकी महिला ने जैसे-तैसे हामी भर ली। आरोपितों ने फर्जी फार्म महिला से भरवाया। इसके बाद उसे ज्वाइ¨नग लेटर थमा दिया। फर्जी ज्वाइ¨नग लेटर बाकायदा महिला विकास मिशन नई दिल्ली के डायरेक्टर की ओर से जारी दिखाया गया। जिसमें 21 हजार पांच सौ रुपये प्रतिमाह सैलरी की बात लिखी थी।

महिला की एक साथी को भी ठगा

नियुक्ति पत्र पाने के बाद सीमा को लगा कि उसे सच में नौकरी मिल गई है। यह बात उसने अपनी एक महिला मित्र को बताई। महिला मित्र बेरोजगार थी, उसने भी तुरंत हामी भर ली। सीमा के कहने पर ही उसकी मित्र ने जालसाजों को 30 हजार रुपये दे दिये। सीमा के ठगी का शिकार होने की जानकारी के बाद वह भी रकम वापसी के लिए सीमा के साथ चक्कर काट रही है।

बोला संतोष, खुद को आग लगा लूंगा

सैटरडे को सीमा तिवारी महिला साथी के साथ सीएमएस कार्यालय पहुंची। सीएमएस डॉ। अलका शर्मा को सीमा ने पूरी कहानी बताई। सीमा की कहानी सुन सीएमएस ने संतोष को बुलाया। संतोष ने पेश होते ही कहा कि मैडम मैं निर्दोष हूं। महिला मुझ पर झूठा आरोप लगा रही है लेकिन, सीमा अपनी बात पर अड़ी रहीं। संतोष से सवाल जवाब हुआ तो वह सीएमएस से बोल बैठा-मैडम यदि मैं गलत फंसा तो खुद को आग लगाकर जान दे दूंगा। देखते ही देखते कार्यालय में हंगामा होने लगा। उन्होंने तत्काल कोतवाली पुलिस को मामले की सूचना दी। महिला ने फिर पुलिस को पूरी कहानी बताकर आरोपितों के खिलाफ तहरीर दी।

संतोष के पक्ष में खड़े हुए आउटसोर्सिंग कर्मचारी

संतोष को फंसता देख जिला अस्पताल में तैनात आउटसोर्सिंग कर्मचारी एकजुट हो गए। सीमा तिवारी व उसकी साथी से कहने लगे कि पुलिस से शिकायत करने से कुछ नहीं मिलेगा। पूरा मामला यहीं निपटा लो। बैठकर बातचीत से ही मामले का हल निकल जाएगा। यदि उन्होंने किसी को पैसा दिलाया है तो पूरा वापस करा दिया जाएगा। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने संतोष की लड़ाई को खुद की लड़ाई बताया।

प्रेमनगर पुलिस ने करा दी थी पंचायत

पीडि़ता सीमा तिवारी का कहना है कि मामले की शिकायत उसने प्रेमनगर पुलिस से की थी लेकिन, प्रेमनगर पुलिस ने कार्रवाई के बजाय पंचायत करा मामले को रफा-दफा कराने पर जोर दिया । जालसाजों से पुलिस ने ब्लैंक चेक दिला दिये। आश्वासन दिया कि तुम्हारा पैसा ही तुम्हें चाहिए वह तुम्हें मिल जाएगा जबकि सीमा जालसाजों पर भरोसा न होने की बात कहती रहीं। सीमा का शक सही निकला। जालसाजों ने पीडि़ता को जो चेक दिये वह बाउंस हो गए। प्रेमनगर पुलिस से भरोसा उठने के बाद आरोपितों के जिला महिला अस्पताल के होने के चलते वह कोतवाली पहुंची।

मामला संज्ञान में आया है। कोतवाली पुलिस को जांच कर आरोपितों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश दिये गए हैं।

- यतींद्र सिंह नागर, सीओ प्रथम