- नगर निगम ने जहां आवंटित किए थे फड़, वहां बन गई दुकानें व शोरूम

- 256 खुली भूमि की जगह कागजों में रह गई सिर्फ 31, दस्तावेज तक गायब

- नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में खुला मामला, पार्षदों ने लगाए आरोप

बरेली : नगर निगम के कर्मचारी कब बेईमान बन गए, इससे अफसर पूरी तरह अंजान रहे। शहर में आवंटित खुली भूमि की जगह कागजों में सिमट गई। संख्या कम होने के साथ उनकी पत्रावलियां भी गायब होती रहीं। जहां फड़ आवंटित किए गए, वहां बड़ी दुकानें और शोरूम खुल गए। मामला कार्यकारिणी की बैठक में खुला तो खलबली मच गई। पार्षदों ने बड़े घोटाला किए जाने के आरोप लगाए हैं। मामले की जांच शुरू हो गई है।

256 को आंवटित हुए थे स्थान

शहर में करीब 40 साल पहले नगर निगम ने खुली भूमि पर फड़ लगाने के लिए 256 लोगों को स्थान आवंटित किए थे। धीरे-धीरे कुछ लोगों ने निगम के कर्मचारियों से साठगांठ कर इन खुली भूमि पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया। लोगों ने इन भूमि को कब्जा कर बड़ी दुकानें, शोरूम खोल लिए। उन्हें लाभ देने के लिए निगम के दस्तावेजों में भी हेराफेरी कर कई आवंटियों के रिकार्ड लापता कर दिए। शहर के प्रमुख स्थानों की इन बेशकीमती जमीनों की संख्या निगम के रिकार्ड में कम होती गई। पिछले कई साल से 256 में से सिर्फ 31 से ही किराया वसूल होता रहा। निगम को बड़े राजस्व का नुकसन हुआ वही कुछ कर्मचारियों की जेबें भरती गई। एक क्लर्क ने तो पटल परिवर्तन के बावजूद आज तक दूसरी जगह ज्वाइन ही नहीं किया।

पार्षदों ने लगाए गंभीर आरोप

पार्षद सलीम पटवारी, मुकेश मेहरोत्रा, छंगामल मौर्य ने इस गड़बड़ी का जिम्मेदार संपत्ति विभाग के बाबू को बताया। उनका कहना है कि संपत्ति विभाग में जो भी बाबू आया उसने अभिलेखों में हेराफेरी की। एक दुकान का किराया तीन सौ रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक है। नगर निगम जहां फड़ की खुली भूमि होना बता रहा है, वहां होटल, दुकानें, शोरूम और मॉल तक बन चुके हैं।

-कार्यकारिणी समिति की बैठक में निगम द्वारा आवंटित खुली भूमि के किराए को लेकर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। इसकी जांच को कमेटी बनाई गई है, जिसमें कार्यकारिणी के भी तीन सदस्य हैं। मामले की जांच में जो दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।

डॉ। उमेश गौतम, महापौर

-खुली भूमि के किराए से संबंधित मामले की जांच को अपर नगर आयुक्त के नेतृत्व में कमेटी बना दी गई है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अभिषेक आनंद, नगर आयुक्त