बरेली (ब्यूरो)। यह सच है कि मंहगाई दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन, वर्तमान में फ्यूल के दाम घटने के बाद भी लोकल रूट्स पर चलने वाले निजी वाहनों का किराया कम नहीं किया गया है। इन वाहन स्वामियों की यह मनमानी आम जनता की जेब पर भारी पड़़ रही है। पिछले दिनों डीजल-पेट्रोल के दामों में क्रमश: नौ व सात रुपए की गिरावट आई है। इसक बाद भी इनके द्वारा किराया कम नहीं किया जा रहा है। शहर में सात रुट्स पर निजी वाहन चलाए जाते हैं। इन पर रोज लगभग 15 हजार यात्री सफर करते हैं। इन वाहन चालकों की मनमानी इन पैसंजर्स का सिरदर्द बनी हुई है। हद यह कि बढ़े किराए का विरोध करने पर इनके चालक अभद्रता पर उतर आते हैं।

मनमाने ढंग से वसूली
शहर के लोकल रूट्स पर चलने वाले इन वाहनों के चालक मनमाने ढंग से किराया वसूलते हैं। उनके लिए किसी के आदेश काई मायने नहीं रखते। वे अपने तरीके से किराया वसूलते हैं। जैसा रूट होता है, वैसा ही किराया निर्धारित कर लेते हैं। वाहन चलाने के लिए एक यूनियन भी बना लेते हैं, जिसमें लगभग 50 या इससे ज्यादा वाहन स्वामी इक्कठे होते हैं। उनका एक ठेकेदार बना देते हैं, जो इन सब को कमांड करता है। उसी के अनुसार ही वाकी के सभी चालक भी कार्य करते हैं। इसके अनुसार ही किराए की भी वसूली होती है। पुलिस स सांठगांठ का जिम्मा भी इस ठेकेदार का ही होता है। ऐसे में पुलिस का भी इन्हें पूरा सहयोग मिलता है, जिसकी वजह से इन पर कोई पावंदी नहीं लगाई जाती और ये आसानी से मनमानी करते रहते हैं।

लोकल रुट का किराया
बरेली टू नबावगंज 35 रुपए
बरेली टू बहेड़ी 50 रुपए
बरेली टू फरीदपुर 25 रुपए
बरेली टू फतेहगंज पूर्वी 40 रुपए
बरेलीे टू फतेहगंज पश्चिमी 20 रुपए
बरेली टू मीरगंज 40 रुपए
बरेली टू मिलक 55 रुपए

डेली पैंसजर्स का औसतन आंकड़ा
बरेली टू नवाबगंज 2500 से 3000
बरेली टू बहेड़ी 2000 से 2500
बरेली टू फरीदपुर 2000 से 2500
बरेली टू फतेहगंज पूर्वी 3000 से 3200
बरेलीे टू फतेहगंज पश्चिमी 1500 से 2000
बरेली टू मीरगंज 2000 से 2500
बरेली टू मिलक -2500 ये 2300

चालकों की बात
कई वर्षों से थ्री व्हीलर चला रहा हुं। ऐसा कुछ नहीं है कि किराया ज्यादा हैे। जैसा रूट होता है। किराया भी वैसा ही लिया जाता है। बात करें गाड़ी की तो यह मेरी पर्सनल गाड़ी है।
फहीम, वाहन चालक

पांच वर्षों से नवाबगंज रोड पर मैजिक चला रहा हूं। किराया बढ़ाना तो हमारी मजबूरी है, क्योंकि डीजल जब मंहगा होता है तो किराया भी बढ़ाया जाता है। तेल की कीमतों में कमी हुई है तो किराया भी कम होगा।
रहमान, वाहन चालक

यात्रियों की बात
लोकल रूटों पर चलने वाले वाहनों में हमेशा से ही मनमाने ढंग से किराया वसूला जाता है। जब भी किराए के लिए बोलो तो चालक लडऩे के लिए उतारू हो जाते हैं। ऐसे में किराया उनकी मर्जी के हिसाब से देना होता है।
ममता

मंहगाई तो बढ़ ही रही है। लेकिन, सबसे ज्यादा लोकल रूटों के किराए में वृद्धि की जाती है। एक माह नहीं बीतता तब तक किराए में बढ़ोतरी कर देते हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि इनकी मनमानी चलती है।
आरती, यात्री


वर्जन
तहसील क्षेत्र में चलने वाले डग्गामार वाहन चालकों पर कोई पाबंदी नहीं होती है। ये अपने तरीके से ही किराया वसूलते हैं। अपना चार्ट खुद ही बनाते हैं। इसमें परिवहन विभाग का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।
दिनेश सिंह, आरटीओ (ई)