क्या है मामला

जीबीटीयू की काउंसलिंग खत्म होने के बाद आरयू की बीटेक में सीटें खाली रह गई थीं। इन पर दो ऐसे स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया, जिन्होंने रैंक कार्ड में छेडड़ाड़ की। रैंक कार्ड जीबीटीयू के इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर दिया गया था। श्रेया सक्सेना और ऋषभ सक्सेना ने कार्ड में छेड़छाड़ कर रैंक पहले से बेहतर दिखाई। श्रेया ने कंप्यूटर साइंस और ऋषभ ने ईआई में एडमिशन लिया। बाद में जब इस बात की पोल खुली तो डीन ने दोनों का एडमिशन कैंसिल करते हुए फीस वापस कर दी। इस पूरे प्रकरण में आरयू बचाव की मुद्रा में रही। एडमिशन के समय स्टूडेंट्स के डॉक्यूमेंट्स नहीं जांचे गए और फर्जी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर एडमिशन दे दिया। जबकि कार्रवाई करने की बात आई तो दोनों स्टूडेंट्स को जाने दिया और जांच भी नहीं की।

होनी चाहिए थी जांच

वहीं जीबीटीयू के वीसी प्रो। आरके खंडल ने इसे बहुत गंभीर मामला बताया। उन्होंने कहा कि फर्जी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर एडमिशन लेना गुनाह की श्रेणी में आता है। इसकी बाकायदा जांच होनी चाहिए थी। साथ ही उन दोनों पर एफआईआर दर्ज कर एक साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर देना चाहिए था, जिससे वे कहीं और एडमिशन न ले सकें। उन्होंने बताया कि जीबीटीयू की काउंसलिंग के समय यह घटना होती तो उनकी तरफ से भी एक्शन लिया जाता।

नींद से जागा RU

फर्जी एडमिशन पर जब सब कुछ निपट गया या फिर निपटाया गया तब आरयू एडमिनिस्ट्रेशन की नींद टूटी है। आरयू के वीसी ने अब इसे गंभीर प्रकरण मानते हुए डीन से रिपार्ट मांगी है। प्रो। मुहम्मद मुजम्मिल ने बताया कि डीन से पूरे प्रकरण पर व्यापक रिपोर्ट मांगी है और रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई करने की बात कही है। उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ी तो एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।

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