बरेली(ब्यूरो)। ट्रैफिक रुल्स तोडऩे के मामले में जिले की महिलाएं पुरुषों से ज्यादा आगे हैं। ट्रैफिक रुल्स को लेकर अवेयरनेस और ड्राइविंग में ाी महिलाएं पुरषों के मुकाबले आी काफी पीछे हैं। जबसे बरेली में डीटीआई शुरू हुआ है, तब से तो स्थिति और ाी बदतर हो गई है। डीएल बनवाने के लिए सेंसरयुक्त ट्रैक पर जबसे टेस्ट शुरू हुए हैं तब से मात्र 47 प्रतिशत महिलाएं ही टेस्ट में पास हो सकी हैं, जबकि इसकी तुलना में पुरुषों को औसत 66.49 प्रतिशत रहा है।

मात्र 484 महिलाएं पास
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए बरेली के परसाोड़ा स्थित सेंसरयुक्त ट्रैक पर टेस्ट पास करना होता है। यह टेस्ट पास करना कितना कठिन है, यह आरटीओ के आंकड़े स्वयं ही बयां कर रहे हैं। सेंसरयुक्त ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट में फेल होने वाली की संया में लगातार बढ़ी है। इसलिए बीते वर्षों की तुलना में महिलाएं डीएल बनवाने से कतराने लगी हैं। बीते वर्ष जुलाई माह से अब तक 1028 महिलाओं ने डीएल बनवाने के लिए आवेदन किया था, जिसमें से मात्र 484 महिलाएं ही सेंसरयुक्त ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट में पास हुईं। जबकि 544 महिलाएं टेस्ट में फेल हो गईं।

66.49 प्रतिशत पुरुष पास
एआरटीओ मनोज कुमार ने बताया कि जबसे डीएल के लिए सेंसरयुक्त ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट शुरू हुआ है। तबसे से अबतक जिले में 18992 पुरुषों ने डीएल बनवाने के लिए आवेदन किया था, उनमें से 12629 पास हो गए।

अवेयरनेस की कमी
एआरटीओ मनोज कुमार ने बताया कि पहले की तुलना में महिलाएं ज्यादा वाहन चलाने लगी हैं। लेकिन ट्रैफिक रुल्स को लेकर आी ाी महिलाओं में कम अवेयरनेस है। यदि महिलाएं ट्रैफिक रुल्स को लेकर थोड़ा और अवेयर हों तो सेंसरयुक्त ट्रैक पर ड्राइविंग करने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी।

दो वर्ष में 2813 महिलाओं के बने डीएल
एआरटीओ इंफोर्समेंट ने बताया कि एक अप्रैल 2021 से अब तक जिले में करीब 70 हजार लोगों ने डीएल बनवाने के लिए अप्लाई किया। जिसमें करीब 65 हजार पुरुषों के और करीब पांच हजार आवेदन महिलाओं के थे। इसमें 49037 पुरुषों के डीएल बनाए गए, वहीं 2813 महिलाओं के डीएल बनाए गए।

बोले अधिकारी

सेंसरयुक्त ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट में फेल होने का औसत पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का ज्यादा है। जब से डीटीआई शुरू हुआ है, तब से मात्र 484 महिलाएं ही सेंसरयुक्त ट्रैक पर टेस्ट पास कर सकी हैं। इससे साफ है कि महिलाएं अभी भी पुरुषों के मुकाबले ट्रैफिक रुल्स को लेकर कम अवेयर हैं।
मनोज कुमार, एआरटीओ इंफोर्समेंट