पुलिस को चकमा देकर बदमाश कोर्ट में कर दे रहे हैं सरेंडर

बारादरी में चोरी के आरोपी महेश ने किया कोर्ट में सरेंडर

<पुलिस को चकमा देकर बदमाश कोर्ट में कर दे रहे हैं सरेंडर

बारादरी में चोरी के आरोपी महेश ने किया कोर्ट में सरेंडर

BAREILLY:

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केस 1- बारादरी के चोरी के केस में आरोपी महेश ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। पुलिस ने उसके साथी को पकड़ने के बाद उसके नाम का खुलासा किया था।

केस 2- सेना में फर्जी तरह से भर्ती मामले में आदेश गुर्जर के साथी कपिल ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। उसका भी नाम जांच में सामने आया था।

केस 3- बारादरी के रोहली टोला में डकैती में शामिल बदमाश मुन्ने खां ने कोर्ट में सरेंडर किया। वह कोर्ट में डकैती के दूसरे केस में वारंट तुड़वाकर जेल चला गया।

केस 4- सुभाषनगर में 307 के केस में तीन युवकों अमित, सूरज व दीपक ने भी सरेंडर कर दिया था। तीनों की पुलिस तलाश ही करती रह गई थी।

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केस क्- बारादरी के चोरी के केस में आरोपी महेश ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। पुलिस ने उसके साथी को पकड़ने के बाद उसके नाम का खुलासा किया था।

केस ख्- सेना में फर्जी तरह से भर्ती मामले में आदेश गुर्जर के साथी कपिल ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। उसका भी नाम जांच में सामने आया था।

केस फ्- बारादरी के रोहली टोला में डकैती में शामिल बदमाश मुन्ने खां ने कोर्ट में सरेंडर किया। वह कोर्ट में डकैती के दूसरे केस में वारंट तुड़वाकर जेल चला गया।

केस ब्- सुभाषनगर में फ्07 के केस में तीन युवकों अमित, सूरज व दीपक ने भी सरेंडर कर दिया था। तीनों की पुलिस तलाश ही करती रह गई थी।

BAREILLY BAREILLY :

कानून के हाथ अपराधियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। पुलिस आरोपियों को पकड़ने में नाकाम साबित हो रही है। जी हां पुलिस जिस भी केस की तप्तीश करती है। उसका आरोपी पुलिस की पकड़ में आता ही नहीं है। बदमाशों के आगे पुलिस का मुखबिर तंत्र फेल हो गया है। आरोपी कोर्ट में सरेंडर कर देता है और पुलिस मुंह ताकती रह जाती है। ऐसा करने से जहां पुलिस की तप्तीश धरी की धरी रह जाती है। केस का आरोपी सरेंडर करके जहां खुद को काफी हद तक सेफ कर लेता है। वहीं केस को सॉल्व करने के लिए पुलिस को नाको चने चबाने पड़ जाते हैं। ऊपर के कुछ केस इस बात की गवाही देते हैं।

परिवार को बचाने को सरेंडर

केस में वही अभियुक्त सरेंडर करता है जिसके खिलाफ नामजद एफआईआर होती है या फिर जांच में उसका नाम सामने आता है। जबकि पुलिस इन अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के लिए उसके घर में दबिश देती है। काफी दिनों तक अभियुक्त गिरफ्तार नहीं होता कुर्की की भी कार्रवाई करती है। इसके चलते अभियुक्त के घर वाले भी परेशान होते हैं। ऐसे में अभियुक्त कोर्ट में सरेंडर करना ही भलाई समझता है।

पुलिस का भी रहता है डर

कई बार बदमाशों को यह भी डर सताता है कि यदि पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो वह उससे सख्ती के साथ पूछताछ करेगी। उन्हें यह भी डर रहता है कि पुलिस उनपर थर्ड डिग्री का भी इस्तेमाल कर सकती है। जबकि कोर्ट में सरेंडर करने पर पुलिस सिर्फ रिमांड पर लेकर कागजी कार्रवाई ही पूरी करती है। ऐसे में बदमाश कहीं न कहीं पुलिस के हाथ न आकर सरेंडर करने में भलाई समझते हैं।

पुलिस भी है मजबूर

किसी भी बड़े मामले का खुलासा करने में पुलिस पर एक्स्ट्रा प्रेशर होता है। इस प्रेशर को दूर करने के लिए पुलिस जल्द से जल्द केस का खुलासा करना चाहती है। जो भी बदमाश हत्थे आ जाते हैं उन्हें जेल भेज दिया जाता है लेकिन स्टाफ की कमी व अन्य केस में बिजी होने के चलते अन्य बदमाश पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ पाते हैं।

महेश ने खुद ही लिखी स्क्रिप्ट

कुछ दिनों पहले पुलिस ने पेरोल पर छूटे सब्जी चोर चंद्रपाल को गिरफ्तार किया था। चंद्रपाल ने महेश, नन्हा व एक अन्य का नाम चोरी में लिया था। महेश ने चंद्रपाल के जेल जाने के दूसरे दिन ही कोर्ट में सरेंडर कर दिया। महेश के जेल जाने की आधी स्क्रिप्ट पुलिस हवालात में उसके साथी और आधी उसने खुद लिखी। दरअसल चंद्रपाल के सामने पुलिस ने महेश के जेल के दोस्त गौतम से पूछताछ की थी। गौतम की मुखबिरी के बाद ही महेश भागने में कामयाब हो गया था। महेश दहेज हत्या में जेल में बंद था और वह एक महीने पहले ही जेल से छूटकर आया था। वह जेल में डिप्टी जेलर का राइटर भी रहा था।