- आरयू में मुस्लिम कवियों में राष्ट्रीय चेतना विषय पर संगोष्ठी का आगाज

- शिक्षाशास्त्र विभाग की ओर से हुई संगोष्ठी, आरयू वीसी सहित कई बड़े वक्ताओं ने रखे विचार

बरेली : मुसलमां और ¨हदू की जान, कहां है मेरा ¨हदुस्तान मैं उसको ढूंढ रहा हूं। न बंग्लादेश न पाकिस्तान, मेरी आशा मेरा अरमान, वो पूरा पूरा ¨हदुस्तान मैं उसको ढूंढ रहा हूं। अजमल सुल्तानपुरी की इन्हीं लाइनों से सैटरडे को एमजेपीआरयू के वीसी प्रो। अनिल शुक्ला ने उन युवाओं को बड़ा संदेश दिया, जो इन दिनों आजादी के नारे लगा रहे हैं।

रहीम और रसखान पढ़ें

वीसी ने कहा कि आजादी के नाम पर देश को टुकड़ों में विभाजित करने की सोच रखने वालों को रहीम, रसखान और नजीर अकबरावादी को पढ़ना चाहिए। दो दिवसीय संगोष्ठी शिक्षाशास्त्र विभाग की तरफ से आयोजित की गई थी। प्रो। शुक्ल इसकी अध्यक्षता कर रहे थे।

देश जोड़ने की बात कही

'मुस्लिम कवियों में राष्ट्रीय चेतना रहीम, रसखान एवं नजीर अकबराबादी के संदर्भ' विषय में आयोजित इस संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि ¨हदी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज के सभापति प्रो। सूर्य प्रसाद दीक्षित रहे। उन्होंने कहा कि मुस्लिमं कवियों ने हमेशा देश को जोड़ने की बात कही है। इसे कभी उन्होंने तोड़ने में विश्वास नहीं रखा। विशिष्ट अतिथि के तौर पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रो। आरिफ नजीर, वक्ता काशी ¨हदू विश्वविद्यालय के प्रो। वशिष्ठ अनूप और उत्तर प्रदेश ¨हदी संस्थान की उप संपादक डॉ। अमिता दुबे रहीं।

ये रहे मौजूद

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रो। नलिनी श्रीवास्तव ने किया। आयोजन सचिव डॉ। क्षमा पांडेय ने अतिथियों का परिचय दिया। प्रो। संतोष अरोरा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान डॉ। गौरव राय, डॉ। राम बाबू सिंह, डॉ। प्रवीण तिवारी, डॉ। विमल यादव, डॉ। आभा त्रिवेदी आदि मौजूद रहे।